कोरोना का डोज.... आधा घंटा रोज..!
साहिबगंज :- 21/06/2021. "करें योग रहें निरोग" के मूल मंत्र के साथ बरहरवा, झिकटिया न्यू आइडियल क्लासेस में कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करते हुए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के शुभ अवसर पर योग तथा क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बरहरवा नगर अध्यक्ष श्री shyamal दास जी ने युवाओं एवं बच्चों से नियमित योग करने और बाहर के वस्तुओं का सेवन कम करने का दिशा निर्देश दिया। और कहा हम सब कोरोना वायरस से लड़ सकते हैं।
नेहरू युवा संगठन के राष्ट्रीय स्वयंसेवक श्री अजीत कुमार घोष ने कोविड-19 की तीसरी लहर को देखते हुए बच्चों के बीच जागरूकता अभियान चलाया साथी बच्चों से बार-बार साबुन से हाथ धोने की अपील की। बच्चों को अपना सेहत और खान पान का ध्यान रखने को कहा। अगर आपको सर्दी, खांसी, बुखार यादी कोई लक्षण दिखे तो जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श लें।। पर्यावरण की रक्षा को ध्यान में रखते हुए "जल संरक्षण अभियान" चलाया गया। और लोगों से अपील कि करेंगे हम जल संचय अब है बस यही निश्चय। योग प्रतियोगिता में प्रथम कोमोला कुमारी, दूसरे स्थान पर मनीष कुमार, तीसरा स्थान पर रोहित कुमार, चौथे स्थान पर सनातनू कुमार, पांचवें स्थान पर सुजीत कुमार रहे हैं। ड्राइंग में भारती कुमारी, मधु कुमारी,मयंक कुमार, पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे हैं। क्विज प्रतियोगिता राहुल घोष, मनीष कुमार, कोमोला कुमारी, पहले दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। सभी को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया इस अवसर पर रवि कुमार, राकेश मंडल, राजा ठाकुर, अनुज कुमार, राजा साहा, हरिओम प्रसाद, आदि मौजूद थे।।
हम लाये है तूफान से कश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के..!!
झिकटिया चौक बरहरवा, ने बड़े ही धूमधाम से मनाया गणतंत्रता दिवस..! इस समारोह के मुख्य अतिथि बरहरवा नगर अध्यक्ष श्यामल दास एवं उपाध्यक्ष लोकेश कुशवाहा ने झंडा तोलन किया..! इस अवसर पर सभी ने झंडे को सलामी दी और राष्ट्रगान गाया..! राजा ठाकुर ने देश भक्ति गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की..! करण यादव, राखी कुमारी, राजा कुमार, गणेश कुमार ने गणतंत्र दिवस पर भाषण एवं देश भक्ति कविता प्रस्तुत किया..! उपाध्यक्ष लोकेश कुशवाहा ने युवाओं को संबोधित करते हुए निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी..! नगर अध्यक्ष श्यामल दास ने विद्यार्थियों का उत्साह वर्धन करते हुए कहा कि बरहरवा का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है, युवाओं की आवाज बुलंद होनी चाहिए, जोश और आत्मविश्वास से भरा होना चाहिए..! इस गणतंत्रता दिवस के शुभ अवसर झंडा तोलन कार्यक्रम में आ०भ०वि०प० के प्रदेश कार्यकारिणी समिति के सदस्य सोनू गुप्ता भी मौजूद रहे..! न्यू आइडियल क्लासेस के प्राचार्य अजीत कुमार घोष जी ने सभी मुख्य अतिथि, अभिभावक, शिक्षक एवं सभी विद्यार्थियों का सहृदय स्वागत किया एवं गणतंत्रत दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी..! इस अवसर पर बिहारी मंडल, शिबू साहा , सोनी कुमारी, सूरज साहा, चिरंजित घोष, रामबाबू, जहूर, आलम, रवि कुमार, विष्णु मंडल, राम मोहन, गगन कुमार, बजल कुमार, राकेश मंडल एवं आसपास के सभी गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे..!
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ए०बी०वी०पी० का सदस्यता अभियान बैठक संपन्न..!
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, बरहरवा इकाई द्वारा "सदस्यता अभियान" को लेकर बैठक किया। बैठक के मुख्य अतिथि साहिबगंज-पाकुड़ विभाग के सह विभाग संयोजक राहुल मिश्रा ने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्रहितों में कार्य करने वाला विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है और एक गैर राजनीतिक छात्र संगठन है। विद्यार्थी परिषद शैक्षिक परिवार की संकल्पना का संगठन है। शिक्षक, शिक्षार्थी और शिक्षाविद इसके घटक हैं। विद्यार्थियों के हितों के लिए यह छात्र संगठन सदैव तत्पर रहती है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए अजीत कुमार घोष ने छात्रों को ऑनलाइन सदस्यता अभियान की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दें। इस सदस्यता अभियान में सभी को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने का आह्वान किया। साथ ही विद्या भारती के द्वारा चलाया जा रहा है ऑनलाइन क्विज प्रतियोगिता के बारे में जानकारी दें। जिला संगठन मंत्री अभिषेक शर्मा ने कहा कि विद्यार्थी परिषद का सदस्यता लेकर हम अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर सकते हैं। क्योंकि विद्यार्थी परिषद देश व राष्ट्र हित में कार्य करने वाला संगठन है। कोविड-19 वैश्विक महामारी और लॉकडाउन के बीच कॉलेज के शैक्षणिक समस्याओं एवं समाधान पर चर्चा किया गया। कोरोना वायरस तथा लॉकडाउन जैसी विषम परिस्थितियों के बीच होने वाली आगामी परीक्षाओं में विद्यार्थियों को हर संभव मदद किया जाएगा।। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा जल्द ही कॉलेज इकाई एवं नगर इकाई गठन की घोषणा की जाएगी। इस बैठक में मुख्य रूप से कॉलेज मंत्री अभिषेक गुप्ता, दीपक साह, चिरंजित घोष, विष्णु देव महतो, मुकेश साह, भरत साह, शिव कुमार मंडल, राकेश ठाकुर, रामबाबू साह, रविंद्र ठाकुर, मोहन चौधरी, लाल बाबू साह, सहदेव गोराई, सरफराज, रोहित साह, अजहर, अशरफ, कुंदन कुमार ठाकुर, मुकेश गुप्ता आदि उपस्थित रहे।
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संवाद के साथ, बुजुर्गों का सम्मान..!
आज पूरी दुनियां वैश्विक महामारी कोविड-19 और लॉकडाउन से जूझ रहा है। ऐसे विषम परिस्थितियों में देश के युवाओं का ध्यान हमारे अपने ही बड़े बुजुर्ग की ओर नहीं जा रहा है। तेज रफ्तार से बदलती हुई तकनीकी ने बच्चों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया है। ऐसे में हमारे बड़े बुजुर्ग खुद को अकेला महसूस कर रहे हैं। और अकेलापन मानसिक तनाव की ओर ले जाता है। अकेलापन का एकमात्र उपचार एवं दवा है वह संवाद।। हमारे अपने दादा-दादी, नाना-नानी एवं बड़े बुजुर्गों से बात संवाद करने का समय निकालना चाहिए। उनके स्वास्थ्य संबंधित जानकारी लेना चाहिए। वह हमारे प्यार और सम्मान के हकदार है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज हम बड़े हुए हैं क्योंकि बड़ो में हमें उंगली पकड़कर चलना सिखाया है। बड़ों ने हमें अपने कंधों पर बैठाया है। जब हम साइकिल चलाना सीख रहे थे तो पीछे सीट पकड़कर हमें सहारा दिया ।जब हम लड़खड़ा रहे थे, तब हमने गिरने से बचाया। कहानियां एवं लौरियों के माध्यम से हमें आत्मस्वाभिमानी बनाया।
इसीलिए हमारी सभ्यता और संस्कृति में बड़े बुजुर्गों से पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है। उनका आदर सम्मान किया जाता है।
जबकि अन्य देशों में ऐसा नहीं है अगर हम चाइना की बात करें तो 1959-61 में अकाल आया तो वहां बच्चों और बुजुर्गों को भोजन देने से इनकार कर दिया। और कहा गया "जो कामाएगा वही खाएगा" बुजुर्गों को पहाड़ से फेंक दिया जाता था। उनका अपमान किया जाता था। आज भी अगर अमरीका में देखा जाए तो लोग बुजुर्ग होने से पहले ही वृद्धा आश्रम बुकिंग कर लेते हैं। ताकि वृद्धावस्था किसी पर बोझ ना बने और उसका अंतिम संस्कार अच्छे से हो।
लेकिन हमारे हिंदुस्तान की सभ्यता और संस्कृति में बड़े बुजुर्गों के लिए कहा गया है "old man is the equal to one library"एक बुजुर्ग व्यक्ति एक पुस्तकालय के बराबर होता है"। हमारे यहां आज भी बच्चों को दादा-दादी, नाना-नानी के कहानियों एवं लौरिंयों के बिना नींद नहीं आती। बुजुर्गों द्वारा दी जाने वाली शिक्षा रुचिकर होता था उसने प्रेम, लगाव, दर्द,डर,भय, खुशी, क्रोध, करुणा, आनंद आदि सभी मुद्राओं का बोध होता है । जो जीवन से जुड़ी जीवन जीने की शिक्षा देती है। हमारा व्यक्तित्व का विकास करता है। जापान के विद्वानों ने इसे Best education system कहा है। इसीलिए जापान के बच्चों से 10 साल तक किसी प्रकार का परीक्षाएं नहीं लिया जाता है। भारतीय नई शिक्षा नीति 2020 में भी 5 साल तक बच्चों से किसी प्रकार का परीक्षाएं ना लेने का प्रावधान किया गया है। विषय वस्तु को मनोरंजन एवं रुचिकर बनाने की विधि हमारे बड़े बुजुर्गों का देन है।
इतिहास गवाह है शिवाजी को महाराजा शिवाजी बनाने में उसके माता जीजाबाई का अहम योगदान था। जो उन्हें बचपन से ही रामायण, महाभारत एवं वीर योद्धाओं की कहानियां सुनाया करती थी।
स्वामी विवेकानंद की महानता उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस जी के बिना अधूरी है। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को वीर योद्धा बनाने में उनके नाना जी का बहुत बड़ा योगदान था।
अभी भी हिंदुस्तान के प्रत्येक गांव में दादा-दादी, नाना-नानी की लोरियां, कहानियां, किस्से सुनाई जाती है और वह जाते जाते अपने पीछे देश व समाज के लिए होनहार, वीरवान, अजय योद्धा अपनी परछाई के रूप में छोड़ जाता है। कहा जाता है हीरे से ज्यादा हीरे को तलाशने वाले की ज्यादा कीमत होती है। इसीलिए हमें अपने मां बाप बूढ़े बुजुर्गों का सम्मान श्रवण कुमार की भांति करना चाहिए।।
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नई शिक्षा नीति, नई आजादी की ओर..!
कहा जाता है परिवर्तन प्रकृति का नियम है लेकिन नई शिक्षा नीति जीवन में परिवर्तन लाने वाली है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्ना डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी कहा करते थे कि 21वीं सदी भारत का होगा। क्योंकि भारत विश्व की सबसे युवा देश है यहां की 60% आबादी युवा है।
"न्यू इंडिया" और "अच्छे दिन" जैसे नारे को साकार करने के लिए हमें एक ऐसी शिक्षा नीति की आवश्यकता थी जो रिसर्च और इनोवेशन पर आधारित हो। जिसमें बजट का 6% खर्च होगा। इस शिक्षा मंत्री का फ्रेमवर्क काफी अच्छा है। लेकिन शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
हमेशा से सरकारी स्कूलों को मुख्यधारा में लाना चुनौतीपूर्ण रहा है।।
नई शिक्षा नीति 1986 के तहत सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्राथमिकता दी गई थी लेकिन जमीनी स्तर पर कोई क्रांतिकारी बदलाव नहीं हुआ। देश की जनता को नई सरकार से काफी उम्मीदें हैं ।भारतवासियों को यह आशा और विश्वास है कि "मोदी है तो मुमकिन है"।।
अगर हम इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो भारतीय शिक्षा नीति में लंबे समय से कोई बदलाव नहीं हुआ है। अमरीका में इतिहास के प्रोफेसर रह चुके डॉ धर्मपाल जी के दृष्टि से देखें तो लॉर्ड मेकाले द्वारा बनाई गई भारतीय शिक्षा नीति 1935 आजादी के बाद भी चलता आया है।।
लॉर्ड मैकाले ने 2 फरवरी 1935 को ब्रिटेन के पार्लियामेंट में कहा था कि "मैं भारत के उत्तर-दक्षिण पूरब-पश्चिम घुमा लेकिन मुझे इस धरती पर एक भी भिकारी, बेगारी, चोर आदि नहीं दिखा। इतने योग्य और महान व्यक्तित्व के धनी लोगों को मैंने कभी नहीं देखा। इस देश को लंबे समय तक गुलाम बनाने के लिए इस देश की परंपरागत शिक्षा प्रणाली को खत्म करना होगा और अंग्रेजी शिक्षा नीति बनानी होगी"।।
लेकिन आजादी के बाद अंग्रेजो के द्वारा बनाई गई शिक्षा नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया। 1948-49 में सर्वपल्ली डॉ. राधा-कृष्ण जी ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का गठन किया। उसके बाद 1952-53 में मुदालियर जी के नेतृत्व में माध्यमिक शिक्षा नीति बनाई गई। फिर 1968 नई शिक्षा नीति बनी। इस आंशिक परिवर्तन को किस प्रकार से समझा जा सकता है कि किसी कार का ड्राइवर बार-बार बदल रहा है लेकिन कार वहीं है। परंतु नई शिक्षा नीति ने 2020 ड्राइवर नहीं कार को बदलने का काम किया है।
90 के दशक में, एक समय तो ऐसा लग रहा था की शिक्षा नीति से एक भी व्यक्ति ईमानदार नहीं निकला। देश में घोटाले और भ्रष्टाचार की बाढ़ लगी हुई थी। देश के युवाओं को एक साजिश के तहत नालायक, निकम्मा, बेरोजगार और भ्रष्ट बनाया जा रहा था। उन्हें शिक्षा से दूर किया जा रहा है। देश का युवा वायु के समान होता है। जब वायु धीरे धीरे चलता है तो सब को अच्छा लगता है। वही सब कुछ बर्बाद कर देने वाली आंधी किसी को अच्छा नहीं लगता है।। इसीलिए हमें देश के युवाओं को ज्ञान विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जोड़ना चाहिए। इसके लिए वर्तमान शिक्षा में बदलाव कर नई शिक्षा नीति की बहुत आवश्यकता थी।।
नई शिक्षा नीति के माध्यम से छात्रों के पास किसी भी विषय को चुनने का अधिकार होगा। और आप इच्छा अनुसार अपनी मर्जी से विषय का चयन कर पढ़ सकते हैं।
अंग्रेजी माध्यम को जिस प्रकार सर पर चढ़ा लिया गया था। अब स्थानीय या भारतीय भाषाओं को भी माध्यम के रूप में चयन करने की छूट दी गई है जो काफी कारगर और सराहनीय पहल है।।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने शिक्षा नीति को नया भारत तैयार करने भारत नींव कहा है। एपीजे अब्दुल कलाम जी कहा करते थे गुणवत्तापूर्ण मानव तैयार करने के लिए शिक्षा बहुत जरूरी है।
कहा जाता है कि कीचड़ में कमल खिलता है नई शिक्षा नीति ग्रामीण प्रतिभाओं को निखरने का अवसर प्रदान करेगी। ग्रामीण छात्रों को नई आजादी और उज्जवल भविष्य की ओर ले जाएगी।।
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लाखटके का अध्यादेश..!
कोरोना का कहर पूरे दुनिया में अब भी जारी है जिसके कारण जनता में हाहाकार मचा हुआ है। स्वास्थ्य के साथ-साथ पूरी दुनिया में तेजी के साथ फैल रहे घातक कोरोनावायरस में वैश्विक अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से प्रभावित किया है। जिसकी वजह से वैश्विक मंदी स्पष्ट रूप से दिख रहा है।
वैश्विक महामारी और लॉकडाउन के दौरान झारखंड सरकार और माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने विधानसभा में एक अध्यादेश जारी कर एक कानून पारित किया। जिसमें यह प्रावधान रखा गया है कि लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने पर 1 लाख नगद राशि का जुर्माना या फिर 2 साल कैद की सजा होगी।
यह कानून झारखंड की जनता के लिए कहां तक उचित है?
क्या झारखंड के मौजूदा हालात ऐसे कानूनों को स्वीकार करने की क्षमता रखता हैं?
जंगल झाड़ पहाड़ झरनों से भरा प्रदेश को झारखंड कहा गया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि झारखंड प्रदेश प्राकृतिक रूप से धनी वह उन्नत होने के बावजूद झारखंड की जनता मौजूदा संसाधनों से अछूते हैं। इस प्रदेश की मूल निवासी कहे जाने वाले आदिवासी भाइयों बहनों की स्थिति और भी नाजुक है। आजादी के 70 साल के बाद भी वे लोग विकास से कोसों दूर है। झारखंड की अधिकांश जन सामान्य व्यक्ति दलित, पिछड़ा,शोषित ,वंचित श्रेणी में आते हैं। जिसके कारण यहां की जनता की प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है। देशभर में झारखंड का प्रति व्यक्ति आय 25 वें पायदान पर है।जबकि झारखंड के साथ ही अस्तित्व में आए उत्तराखंड 7वें में और छत्तीसगढ़ 20वें स्थान पर है।प्रति व्यक्ति आय में सिर्फ बिहार, उत्तर प्रदेश और मणिपुर ही झारखंड से पीछे रह गया है बाकी सभी अन्य राज्य झारखंड से आगे आ गई है। झारखंड का प्रति व्यक्ति सालाना आय 60,339 है। परंतु इसमें से कुछ नामी और गिने-चुने उद्योगपति, व्यापारी, खिलाड़ी आदी के नाम को हटा दिया जाए तो औसतन प्रति व्यक्ति आय और भी कम हो जाएगा। झारखंड में गरीबी रेखा के नीचे यानी बीपीएल परिवारों की संख्या काफी अधिक है। यहां से 37% लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं। जो सरकारी डाटा में रिकॉर्ड है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और हो सकती है। झारखंड में 24% आबादी शहरों में रहते हैं और वही 76 % आबादी गांव में रहते हैं।। हाल ही में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी(CMIE)की ओर से किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक जुलाई 2020 में बेरोजगारी दर 21.1% हो गई है जो काफी निराशाजनक है। युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने के नाम पर सरकार किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया है।
इसीलिए झारखंड के मौजूदा परिवेश को देखते हुए मास्क नहीं पहने को लेकर भारी भरकम जुर्माना पर हड़कंप मच गया । हंगामा इस कदर मचा है कि एक तरफ जहां इस अध्यादेश के लागू होने के बाद आम आदमी 1 लाख रुपये का भारी-भरकम जुर्माना के नाम से ही खौफ खा रहा है, वहीं दूसरी ओर सियासी दल इसे काला अध्यादेश का नाम दे रहे हैं। सत्तारुढ़ पार्टी की ओर से भी इस अध्यादेश पर सफाई दी गई है। इस मामले में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने भारतीय जनता पार्टी पर संक्रामक रोग अध्यादेश को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है। जबकि भाजपा की ओर से 1 लाख जुर्माने की व्यवस्था वाले संक्रामक रोग अध्यादेश को गरीब विरोधी काला कानून बता रहा है। और सोशल मीडिया फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम के माध्यम से सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।वहीं भाजपा के विधायक दल के नेता श्री बाबूलाल मरांडी ने इस मुद्दे पर माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा और उन्होंने कहा कि राज्य मंत्री परिषद का यह निर्णय ना तो उचित है और ना ही व्यवहारिक करार दिया है।
यह बात सच है कि महामारी का प्रसार रोकना उचित है और यह हर किसी की जिम्मेवारी भी है लेकिन इसकी आड़ में जनता का शोषण करने की अनुमति नहीं दिया जाना चाहिए। यह आदेश कठोर कानून बनाने के नाम पर जनता को गुमराह किया गया । झारखंड सरकार ऐसे अध्यादेश को पारित कर खुद की सक्रियता जनता के सामने रखना चाहती है। जबकि झारखंड की जनता अस्पतालों, डॉक्टर नर्सों एवं होम क्वॉरेंटाइन सेंटर की आभाव छेल रही है। कोरोनावायरस की जांच के लिए मौजूदा संसाधनों की कमी है। जांच कीट की कमी होने के कारण वास्तविक संक्रमित लोगों की संख्या का पता नहीं चल रहा है।
गुमला में एक बीएसएफ जवान को बिना सिंपल जांच किए ही कोरोनावायरस से संक्रमित घोषित कर दिया जाता है जिसके बाद जवान की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु के बाद सैंपल जांच का वास्तविक रिपोर्ट नेगेटिव आया। इस प्रकार की घटना काफी चिंताजनक और निराशाजनक है।
झारखंड सरकार को तत्काल अस्पतालों एवं स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्थाओं सुधार करने में ध्यान देना चाहिए। हमें इस प्रकार के अध्यादेश के भरोसे में नहीं रहना चाहिए। ऐसा अध्यादेश प्रभावी होने की वजह पुलिस के लिए धन बनाने के अवसर में तब्दील हो सकता है।देश के अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी कोरोना संक्रमण को लेकर जागरूकता अभियान बड़े पैमाने पर चलाना चाहिए। जुर्माने दर 50 से ₹500 तक होना चाहिए। और जुर्माने के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति को 2 मास्क दे देना चाहिए ताकि लोगों में मास्क पहने की आदत विकसित हो सके।।
हालांकि राज्य की हेमंत सरकार ने अध्यादेश को लेकर फैली भ्रांतियां दूर करने के लिए प्रेस विज्ञप्ति जारी कर अभी दंड-जुर्माना की राशि तय नहीं किए जाने की बात कही है।
कैबिनेट में आधी-अधूरी तैयारियों के साथ अध्यादेश लाना झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार के लिए भारी पड़ा। कोरोना रोकथाम के नाम पर एक लाख के भारी-भरकम जुर्माने से पीछे हटते हुए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि दंड की राशि अभी तय नहीं है। राज्य सरकार की ओर से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया है कि आगे रेगुलेशन जारी कर नियम के उल्लंघन के हिसाब से दंड की राशि तय की जाएगी। स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से राज्य से संबद्ध संक्रामक रोग अध्यादेश 2020 का उल्लेख करते हुए कहा गय
2020 का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि आम लोगों में जुर्माने को लेकर फैली भ्रांतियां सही नहीं है। यह कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए फौरी तौर पर किया गया उपाय है। जुर्माने की राशि अभी तय नहीं है।
लॉक डाउन का सफर का लंबा रहा है। प्रवासी मजदूर भाई लोग अपने धैर्य खो का शहर से गांव की ओर लौटने लगे। सरकार उन्हें गांव तक पहुंचाने के लिए कई वादे करते रहें परंतु प्रवासी मजदूर को सरकारी संसाधनों का लाभ बहुत कम मिला। प्रवासी मजदूर अपने गांव जाने के लिए खुद जुगाड़ करने लगे। अधिकांश लोग पैदल ही गांव जाने के लिए निकल पड़े। कुछ लोग साइकिल, रिक्शा, बसों, ट्रेनों का सहारा लिया। उन्हें गांव में रोजगार नहीं मिलने के कारण वे लोग शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं। कई लोग सामाजिक, परिवारिक, आर्थिक कलह से ग्रसित हो रहे हैं। गांव पहुंचकर उसे नए रोजगार का अवसर प्रदान करना यह सरकार की जिम्मेवारी है। ताकि प्रवासी मजदूरों केवी जीवन में खुशियां ली लौट आए।।
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