11 जनवरी 2021

रचना :- विकास कुमार बिट्टू..!

पिताजी आप बहुत याद आते है........

 

बोले किसी से ना,पर उसे भी दर्द होता है

हर एक मुस्कुराते चेहरे के पीछे,एक दर्द होता है.

लड़खड़ाते क़दमों से,वो घर का बोझ ढोता है

बिखरें ख्वाबों को भी,जज्बातों में संजोता है

बोले किसी से ना,पर उसे भी दर्द होता है

हर एक मुस्कुराते चेहरे के पीछे,एक दर्द होता है

सोचें जो भुल जाउ,बीते पिछड़े यादों को

पर सब कुछ भुला देना,ये आसान थोड़े ही न होता है

बोले किसी से ना,पर उसे भी दर्द होता है

हर एक मुस्कुराते चेहरे के पीछे,एक दर्द होता है

पर जीवन का ये चक्र,ऐसा ही तो होता है

हर एक काली रात के बाद,एक नया सवेरा होता है

बोले किसी से ना,पर उसे भी दर्द होता है

हर एक मुस्कुराते चेहरे के पीछे,एक दर्द होता है  

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