04 अप्रैल 2021

आलेख :- अजित कुमार..!

धूल प्रदूषण भरे वातावरण में आम जनता का सांस लेना हुआ दूभर..!
स्थानीय विधायक का धरना प्रदर्शन हुआ बेकार, हालात जस का तस बरक़रार..!
साहिबगंज/मंडरो :-04/04/2021. साहिबगंज जिला के मिर्जाचौकी आसपास क्षेत्रों में पत्थर क्रशर मशीन से उड़ने वाले धूल प्रदूषण मिर्जाचौकी क्षेत्रवासियों का जीना मुहाल कर दिया है। संध्या के समय कुहासे के भांति उड़ते हुए धूल कण रिहायशी इलाकों के माहौल को गमनिय कर देता है। जिसके कारण क्षेत्रवासियों का सांस लेना भी दूभर सा होने लगता है। लोग मजबूरी में इस तरीके का धूल प्रदूषण वातावरण में घुट-घुट कर जीने को मजबूर है। ज्ञात हो कि बोरिओ विधानसभा क्षेत्र के विधायक लोबिन हेंब्रम के द्वारा इस मुद्दे को लेकर झारखंड विधानसभा में मामला भी उठाया था। यहां तक की मिर्जाचौकी में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन भी किया था। लेकिन क्षेत्रीय पत्थर व्यवसायियों की मनमानी और सरकार में स्थित कुछ चुनिंदा प्रतिनिधियों के सहयोग के कारण आज के समय में पत्थर व्यवसायियों का मनोबल इस तरह बढ़ गया है कि बिभागीय नियमों का धज्जियां उड़ाते हुए बेखौफ दिन और रात चौबीसों घंटे बिना पानी का छिड़काव किये ही प्रदूषण युक्त पत्थर क्रशर का संचालन किया जाता है और न हीं सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जाता है। ऐसे में जनता की जिंदगी बेबस सी नजर आ रही है क्योंकि स्थानीय विधायक के इतने बड़े प्रदर्शन व झारखंड विधानसभा में उक्त मामले को लेकर हुए हंगामा के बावजूद भी सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगना आश्चर्य वाली बात होने के समान हो रही है। इससे साबित होता है कि स्थानीय कुछ हीं जनप्रतिनिधि के सहयोग तथा जिला प्रशासन के ढुल मिल रवैया से मिर्जाचौकी तथा आसपास क्षेत्रों में उड़ने वाले धूल प्रदूषण का माहौल बना हुआ है। जिसमें जनता घुट-घुट कर जीने को विवश है।
क्या कहते हैं ग्रामीण..?? मिर्जाचौकी क्षेत्र में कोराना महामारी से तो नहीं बल्कि धूल प्रदूषण वाली महामारी से जरूर मर जाएंगे..!


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लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा में सभी धर्मों का बड़ा ही आस्था और विश्वास..!
मंडरो :-20/11/2020. पूर्वोत्तर भारत में मनाये जानने वाले लोक आस्था का महापर्व छठ आरंभ हो चुका है। तीन दिनों तक चलने वाले यह पर्व अपने आप में आस्था और विश्वास का अटूट निष्ठा रखता है।यह त्यौहार को लगभग समाज के सभी धर्म समुदाय के लोग मनाते आ रहे हैं ऐसे में मंडरो प्रखंड क्षेत्र के नीमगाछी गांव के निवासी धर्मा पहाड़िया के यहां छठ त्यौहार के आस्था में बड़ा ही विश्वास है।जिनके यहां छठ का त्यौहार काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।पूजा के संबंध में धर्मा पहाड़िया ने बताया कि यह हमारे समाज का बेहद ही खास त्योहार है इसलिए हमारी मन्नते थी पांच वर्ष तक छठ व्रत करने की जिसको लेकर हमारा परिवार छठ त्यौहार मनाते आ रहा है।वही मिर्जाचौकी नया टोला निवासी मुस्लिम धर्म समुदाय के लोगों में भी इस त्यौहार को लेकर पूर्ण आस्था एवं विश्वास है नया टोला निवासी शेख मुन्ना जी के द्वारा पुत्र प्राप्ति के मन्नत मांगी गई थी मन्नते पूरी होने पर उनके द्वारा भी त्योहार धार्मिक विधि-विधान से छठ का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ सभी के सहयोग से मनाया जाता है।


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मंडरो प्रखंड क्षेत्र के जर्जर सड़कों मे अब तक कोई सुधार नही..! यहाँ पत्थर व्यवसाय से राजस्व को करोड़ों का फायदा, पर क्षेत्र का विकास नहीं..!
साहिबगंज/मंडरो :- प्रखंड के मिर्जाचौकी रक्सी स्थान सड़क,गांधी नगर सड़क महादेववरन सड़क मुख्य बाजार सड़क,तथा आस पास के कई सड़क एवं ग्रामिण सुदूर क्षेत्र की सड़कों की स्थिति बेहद ही खराब व जर्जर है,इन सड़को पर चलने जैसी स्थित तब और ज्यादा बद से बद्तर  हो जाया करती है जब थोड़ी सी बारिश अपना रंग दिखाकर बरसती है।विशेष कर गांधीनगर महादेववरण चार नम्बर सड़क साथ में मिर्जाचौकी रक्सी स्थान जाने वाले सड़को की बात की जाय तो इन सड़कों पर कई वर्षों से सालों भर घुटने भर पानी जमा रहता है सड़क तालाबनुमा है।इस सड़क पर मछली भी पाली जा सकती है, एसे में इन्ही सड़क से होकर माँ रक्सी माता जो आस पास के क्षेत्र में वन देवी के रूप में विख्यात है यहाँ हाल में बोरियो विधनसभा क्षेत्र के विधायक लोबिन हेब्रम पुजा को आये थे,स्थान को जानेवाले मुख्य रास्ते को श्रधालु हो या स्थानीय ग्रामिण क्षेत्र के लोग रास्ता पार करते वक्त अपने नाकों पर हाथ रख कर रास्ता पार करते है चुकी बहुत ही गन्दी-बदबू होती है तो वहीआस-पास रहने वाले लोगों का इस गन्दी बदबू से जीना मुहाल हुआ है,लेकिन इस सम्बंध मे जन-प्रतिनिधि या फिर अब तक जनता के वोट से बने सांसद व विधायक रह चुके नेताओ के द्वारा कोई ठोस कदम नही उठाया गया,कुछ महीने पुर्व में सड़क निर्माण कार्य चल रहा था किन्तु अब बाधित है।हाँ इस समस्या की आवाज जब-जब उठी फोटो खिंचवाने नेतागण व् जन प्रतिनिधि जरुर पहुँच गये।बताते चले की मंडरो प्रखंड के मिर्जाचौकी मुख्य रूप से पत्थर व्यवसाय का क्षेत्र है यंहा के पत्थर व्यवसाय मालिक से करोड़ों अरबों रूपये का सरकर को राजस्व की प्राप्ति होती होगी पर यंहा विकास के नाम पर घंटा है,जबकी यहाँ के पत्थर चिप्स स्टोन से अन्य राज्य गतिशील है पर मिर्जाचौकी बाजार के स्थिति थोड़ी सी बारिश होते हैं सड़कों की स्थिति बहुत ही ख़राब हो जाया करती है चाहे वो हटिया रोड हो गांधीचौक हो चार नंबर शिव मंदिर रोड हो या फिर गांधी नगर की सड़कें थोड़ी सी रिमझिम बारिश होते ही सड़कों के घुटनों पर कीचड़ पानी का जाम लग जाता है ऊपर से भारी वाहनों का परिचालन नाक में दम पर कर देता है बहुत दुख तो तब होती है जब विद्यार्थी छात्र छात्रा छोटे-छोटे मासूम बच्चे डगमग-डगमग डोलते हुए तथा अपने आप को कीचड़ से बचने का प्रयास करते हुए पढ़ने को जाते हैं कुछ तो जाते समय कीचड़ में गिर कर घायल भी हो जाते हैं।एसे मुसीबत का सामना स्थानीय ग्रामीण जनता को भी करना पड़ता है बाजार की स्थिति आस-पास के गांव स्थिति से ज्यादा खराब हो चुकी है मिर्जाचौकी क्षेत्र जहां  स्टोन क्रशर मिल है यंहा दूसरी राज्यों से ट्रकों का आगमन होता रहता है जहां रोजाना लाखों रुपए का कारोबार होता है फिर भी विकास के मामले में जीरो है चुकी सड़कों की स्थिति बहुत दयनीय है मंडरो प्रखंड के मिर्जाचौकी की जनता के साथ हमेशा छल किया जाता है चुनाव के माहौल में राजनीतिक पार्टियों के द्वारा बड़े-बड़े वादे हुए दावा किया जाते जाते हैं चुनाव समाप्त होते ही सब खत्म है प्रखंड में हमेशा बड़े अधिकारी व पदाधिकारियों का आवागमन भी होता है सभी अपनी अपनी आंखें नीचे कर आते हैं और चले जाते हैं। क्या अब मिर्जाचौकी की सड़कों के हालात में सुधार न होंगे..?? क्या आजीवन ऐसे ही क्षेत्र की जनता जिल्लत भरी जिन्दगी जियेंगे..?? ऐसे में जिला प्रशासन का ध्यानाकर्षण न होगा........????

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सन्थाल परगना के सच्चे वीर सपूत..!
साहिबगंज/मंडरो :- 29.06.2020. आजादी किसे प्यारी नहीं होती,पशु हो या पंछी या फिर आम इंसान सभी को आजादी प्यारी होती है।लेकिन हम इतिहास के अनछुए पन्नों पर नजर डालते है तो हम सभी सोचने पर मजबूर होते हैं की हम सभी को आजादी कितनी कठिनातियों भरे कटीले पथ से गुजरने के बाद आज से वर्षों पुर्व हमारा देश आजाद हुआ।आजादी प्राप्ति में भारत के असंख्य भारत माँ के वीर सपूतों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों को इस धरती माँ की आन-बान और शान की रक्षा हेतु कुर्बान हो गए।उन्हीं वीर महापुरुषों में झारखण्ड की माटी के सैंकड़ों वीर सिपाही ने भी अपनी जान की परवाह किये वगैर अपने प्राणों को अपनी धरती,धर्म,धाक और इज्जत की लूट को बचाने को लेकर सन्थाल परगना के चार सिपाही सिद्धो, कान्हु, चाँद और भैरव जो भोगनाडीह साहेबगंज जिला के वीर सपूत थे। भोगनाडीह ग्राम जो साहेबगंज जिला के अंतर्गत आता है,वर्षों पुर्व चुन्नी मांझी के चार पुत्र सिद्धो,कान्हू,चाँद,और भैरव थे।हुल आंदोलन के मुख्य नायक सिद्धो का जन्म 1815 ई.,तथा कान्हू का जन्म 1820 ई.को हुआ था।इन्हीं दो भाईयों के नेतृत्व में 30 जून 1855 को वर्तमान साहेबगंज जिला के भोगनाडीह गाँव से यह विद्रोह प्रारम्भ हुआ।इतिहासकारों ने सन्थाल हुल विद्रोह को मुक्ति आंदोलन का भी दर्जा दिया।इस आंदोलन में शामिल लोग गाँव-गाँव जाकर हुल विद्रोह के लिए निमन्त्रण देते थे।जैसा की प्रारम्भ से ही वनवासी विचार के,स्वभाव के सीधे व सरल होते हैं,तथा अपनी धर्म और प्रकृति के अथाह प्रेमी होते है। जमींदारों व अंग्रेजों द्वारा धर्म, प्रकृति, वनस्पति तथा इज्जत के लूट के विद्रोह में ही हुल आंदोलन का जन्म हुआ। उस समय ''अपना देश और अपना राज" का नारा दिया गया। इस आंदोलन को सफल करने तथा बाहरी लोगों को भगाने के लिए खुला विद्रोह का निर्णय लिया गया।इसकी पहली सफलता 10 जुलाई 1855 को मेजर को पराजित कर हासिल हुआ।1855 में आरम्भ हुआ यह विद्रोह केवल सन्थाल परगना ही नहीं बल्कि कई जगहों पर हुई।अंग्रेजों द्वारा इस आंदोलन को दबाने के लिए गिरफ्तारियाँ की गई,यहां तक की गोलियॉं भी बरसाई गई,जिसमे हजारों-हजार की संख्या में लोग शहीद हुए,वहीं बहराइच में चाँद तथा भैरव को गोलियों के शिकार हो वीरगति को प्राप्त हुए।इस आंदोलन में लगभग बिस हजार वनवासियों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी,वो आखरी दम तक लड़ते रहे।कहते है "घर के भेदी लंका ढाहे,,ऐसा ही कुछ उस समय सिद्धो कान्हू के साथ भी हुआ।उसके अपने ही लोग चन्द पैसे की लालच में आकर अंग्रेजों से मिल गए,जिसके कारण सिद्धो और कान्हू को भी गिरफ्तार कर लिया गया,अनन्तः 26 जूलाई 1855 को खुले आम वृक्ष से लटकाकर फाँसी दे दी गयी। पर आज उनकी वीर गाथा अमर है।


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मिर्जाचौकी में जाम, समस्या के आगे जिला प्रशासन हुआ बौना..! उच्च आला पदाधिकारियों व अंतर्राज्यीय अधिकारियों के साथ हुई बैठक, निकला ना निदान..!
साहेबगंज/मंडरो :- शासन और प्रशासन आपकी जय हो...!!! देश के कानून विधि व्यवस्था सारी सुख सुविधा सब आप हीं के लिए तो है और जनता तो जनता है, ये अपना मतदान करती है सुख- दुख में जी लेती है..! पर हाँ, सरकार जिनकी भी हो जनता आस लगाए रहती है कि कुछ लाभ मिल जाए...कुछ विकास हो जाए और विधि व्यवस्था में सुधार हो जाए।बस और क्या...???बाकी सब आप हीं का तो है। बात अगर साहेबगंज जिला के मंडरो प्रखंड मिर्जाचौकी क्षेत्र का किया जाए तो यह किसी से छुपा नहीं है कि यहां पड़ोसी अन्य राज्यों से भारी वाहनों का आना जाना लगा रहता है।यानी चौबीसों घंटे  सड़क पर भारी वाहन मंडराती रहती है।ऐसे में जाम लगना स्वाभाविक है।अगर विधि व्यवस्था तथा याता यात नियम व कानुन ताक पर रख दिया जाए तो यहां के क्षेत्रीय जनता वर्षों से भीषण जाम जैसे हालात से प्रताड़ित होता आ रहा है और कशमकश की जिंदगी जिए जा रहा है। खबरें छपती है...अखबार की शोभा बनती है...अधिकारियों के बैठकें होते है किंतु सब बेकार हो जाता है।फिर से वही भारी वाहनों के जाम जैसे हालात तथा बीच सड़क पर वाहन चालक तथा आम जनता के बीच चिल्लम चिल्ली झड़प तथा चीख पुकार और फिर प्रसाशन के पुलिसिया डंडे का प्रहार।अब बस यही देखने और सुनने को मिल जाता है।लेकिन इससे भी ज्यादा आम जनता के लिए तकलीफ की बातें होती है तब जब शासन और प्रशासन या उच्च आला-अधिकारी के आगमन की सूचना मिलते ही सभी सड़कें बड़ी ही आसानी से खाली हो जाती है जैसे कोई बात ही नहीं सब सामान्य है।फिर क्या आम जनता की बद-दुआएं तथा अपशब्द कहते वह कोसते ताने मारने जैसे हालात रह जाते हैं।वहीं संयोगवश बिना सूचना के अगर कोई आला अधिकारी या फिर जन प्रतिनिधियों का क्षेत्र से गुजरना होता है तो फिर सारी विधी व्यवस्था की पोल पट्टी खुल जाती है।और फिर क्षेत्रीय प्रशासन को लताड़ लगती है या फिर सड़क पर जाम जैसी स्थिति में फंसे भारी वाहनों पर गिरती है गाज।किंतु यह कहावत बिल्कुल फिट बैठती है कि अपना काम बनता, बाढ़ में जाये जनता तत्काल कार्रवाई होती है और तत्पश्चात फिर से वही आलम हो जाता है।ये समस्या एक दो वर्ष से नही बल्की कई वर्षों से चली आ रही है।ये लाज्मी है की साहेबगंज बाजार से अत्यधिक जाम जैसे हालात मिर्जाचौकी बाजार का हो जाता है।पर यहां की समस्या तथा जनता का दर्द नोटों के खनक के आगे बेकार व लाचार पड़ गई है।

   खैर यहाँ की जनता है हर हाल में जीना सीख लेती है और परिस्थिति में ढलना जानती है किन्तु शासन और प्रशासन जी यहां तो चित्त आपकी है और पट भी आप हीं की है। इसलिए तो जय हो शासन जय हो प्रशासन..!


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बन्द करो तम्बाकू, गुटखा, धुम्रपान, वर्ना गवां दोगे जान..!
युद्ध निरंतर जारी है..! तैयारियां भी भरपूर है..! नए-नए एक से बढ़कर एक विनाशकारी हथियार तैयार हो रहे हैं..! मानवता को युद्ध से फायदा भी चाहिए पर नुकसान का पता नहीं..! मानवता ग्रास हुए जा रही है..! एक तरफ दारू फिर दवा और अंत में दुआ पर निर्भर हो रही है..! फिर भी युद्ध निरंतर जारी है..! वर्तमान मानवता युद्ध के शिकार हो रहे हैं..! मानवता के शौक विशेषकर युवा पीढ़ी और उसके शौकीयाअंदाज..। बात युद्ध की हुई है तो हर किन्हीं के दिमाग में सवालिया निशान कौंध रहा होगा कि आखिर किस से युद्ध की बातें हो रही है...??? यह कोई और नहीं बल्कि वर्तमान समय में युवा पीढ़ी को शिकार करती दुश्मन तम्बाकू, सिगरेट, गुटखा है..!
आज 31मई तम्बाकू दिवस है।वर्तमान समय में एक तरफ विश्व कोरोना महामारी के दंष झेल रही है पर तैयारी है मानवता के रक्षा का, स्वच्छता का!पर कैसे..?एक तरफ छुआछूत की बीमारी तो दूसरी ओर घृणित तंबाकू गुटखा सिगरेट आखिर कैसे बचेगी मानवता है!जब तंबाकू गुटखा सिगरेट मानवता के युवा पीढ़ी को ही अपना शिकार बना रही है।हर स्थान अत्र तत्र गंदगी तथा थूकदान का अम्बार लगा रही है ऐसे में घातक कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है...?आखिर इसका जिम्मेदार कौन है..???किसे दोष दिया जाय !!!तम्बाकू गुटखा सिगरेट निर्माण कार्य में संलिप्त नीतिकार को या फिर गुटका तंबाकू सिगरेट सेवन करने वाले आम जनमानस को या फिर इन धंधों से संलिप्त मुनाफा खोरौं को।जो भी हो मानवता हार रही है यह कहना गलत न होगा कि देश में बड़े-बड़े गुटखा सिगरेट तंबाकू आदि के उद्योग चल रहे हैं लगातार प्रचार-प्रसार किया जा रहा है टीवी चैनलों के माध्यम से,सरकार के राजस्व को बड़ी आमदनी भी हो रही है और दूसरी तरफ ढकोसला के तौर पर स्वास्थ्य विभाग को परेशान किया जा रहा है दिवस मनाया जा रहा है कार्यक्रम हो रहे हैं मीटिंग चलती है,फिर दुआ के तौर पर ईश्वर के भरोसे छोड़ दिया जाता है।
यह बात सभी को ज्ञात है साथ ही तंबाकू गुटखा सिगरेट के पैकेट पर लिखा भी होता है कि तंबाकू सेवन करने से कैंसर होता है फिर भी सरकार उद्योग को पूर्णता रोक लगाने में नाकाम है।क्यों की उनकों अपने राजस्व की चिंता है और चिंता है युवाओं को अपने शौकिया अंदाज की।यानी जानबूझ कर जाहर खाया जा रहा हैं आम जनता या फिर सत्ता धारी सरकार ही क्यों न हो।परेशान स्वास्थ विभाग हो रहा है।यानी युद्ध निरंतर जारी है मानवता लगातार जीवन संग्राम से जूझ रही हैं

तैयारियाँ...बरबादीयाँ...नाकामियाँ...और फिर तैयारियां...बंद करना है तम्बाकू पूर्णतया बन्द हो...........!!!

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साहब हम लोगों के लिये चारपाई ही एम्बुलेंस है..! 
मंडरो प्रखंड के लाचार स्वास्थ व्यवस्था का हाल..!
साहिबगंज/मंडरो 16/03/2020.  सरकार स्वास्थ विभाग में बेहतर स्थिति को लेकर लाख दावे कर ले परंतु जमीनी स्तर पर यह दावे तथा इरादे मात्र छ्लावा तथा खानापूर्ति साबित हो रही है..! स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रूपया पानी की तरह बहाये रहे हैं, स्वास्थ्य भवन तैयार हो रहे हैं, एक से एक विज्ञापन जारी हो रहे हैं, पर संथाल परगना के वह पुरानी जुगाड़ वाली चारपाई वाला एम्बुलेंस ही वक्त पर खरी उतरती रही है..! सरकार तो स्वास्थ में हो रहे विकास को लेकर स्वांग भर रही है पर आदिवासी पहाड़िया मूलवासी जनजाति के लिए मिलने वाले स्वास्थ लाभ से अभी तक कोसों दूर है..!
     बात अगर झारखंड राज्य का पिछड़ा जिला साहेबगंज के मंडरो प्रखंड जो कि इस प्रखंड के अधिकतर आबादी पहाड़ों के तलहटी में निवास करती है, ऐसे गांव तक सरकारी स्वास्थ व्यवस्था बिल्कुल ही नदारत है..! कहीं चिकित्सालय पालतू पशुओं का बसेरा बना है, तो कहीं स्वास्थ केंद्र धूल फांकते सन्नाटा स्वास्थ केंद्र में तब्दील है..! ऐसी स्थिति में अगर इन क्षेत्रों के ग्रामीण किसी बीमारी का शिकार होते हैं तो उनका ईश्वर ही सहारा है..! बीते रविवार को मंडरो प्रखंड के बच्चा पंचायत कुकुडाड़ निवासी गर्भवती महिला सलोम पहाड़ीन को प्रसब-पीड़ा हुई तत्काल आदिवासी पहाड़ियां समुदाय का वही उनका पुराना जुगाड़ चारपाई वाला एम्बुलेंस ही काम आया..! आनन-फानन में प्रसव पीड़ित महिला को चारपाई पर चार कंधो के सहारे ग्राम प्रधान चंदू पहाड़िया, मधु पहाड़िया, सुरजा पहाड़िया, सहिया  दीदी सभी उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्तों से होकर स्वास्थ केंद्र की ओर चल दिया..!
                    यहां सरकार के ना तो एंबुलेंस काम आई ना ही बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था..! ऐसी स्थिति में दोषी किसे ठहराया दिया जाय..?? मंडरो प्रखंड के स्वास्थ्य व्यवस्था को या फिर प्रखंड विकास की बदहाली को..! इस तरह के लाचार-मजबूर व्यवस्था के मामले ना जाने कितने ही बार होते होंगे पर कुछ ही मामला जो कैमरा में कैद हो कर प्रकाशित हो पाती है..! किंतु सरकार सिर्फ अपना पीठ थपथपाने तथा विकास का ढिंढोरा पीटते, गीत गाते तथा पूर्व से बेहतर स्वास्थ व्यवस्था मे सुधार की बात करते नजर आते हैं..! विशेष बात यह है कि प्रखंड क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा तथा स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति काफी दयनीय है..! भूले-भटके कभी लोग सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पहुंच भी जाए तो निराशावश वापस निजी स्वास्थ्य केंद्र में उपचार कराने को विवश होकर लौट जाते हैं..! इसका मुख्य कारण है स्वास्थ्य व्यवस्था का अभाव..! कहीं स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की कमी है तो कहीं दवाइयों की कमी के कारण आदिवासी मूलवासी भोले-भाले ग्रामीण झोलाछाप डॉक्टरों से उपचार कराने तथा मनमाने पैसा पानी की तरह बहाने को मजबूर हो जाते हैं..!

क्या कहते हैं ग्राम प्रधान..?? ग्राम प्रधान (चंदू पहाड़िया) ने कहा की गाँव तक सही सड़क नही है..! कैसे एम्बुलेंस आएगी..?? जल्दबाजी में खटिया ही हम लोगों के लिये एम्बुलेंस का काम करती है..!

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साहिबगंज:-11/10/2018. गंगा से जीने वालों, गंगा को जीने दो...! हमारे देश भारत की महान पाप विनाशनी नदी गंगा..! उद्गम स्थान से अन्तिम विलय तक अलग-अलग नामो से प्रचलित गंगा..। प्रकृति के महान प्रतीक हिमालय के विस्तृत हिमशिखरों से उद्गम होकर भारत के विशाल वक्ष पर मुक्त-माला की भांती लहराती, इठलाती, झूमती, नाचती, कूदती हुई धारा..! गंगोत्री के पास से गुजरती मध्यम-मध्यम विचरती हुई देव प्रयाग को अपने मे समाहित करती मिलाती अलखनंदा को....! जहाँ अपने पिता हिमराज के गोद से उतरती वह हरिद्वार को पुण्य तीर्थ बनाते हुए हजारों किलोमीटर की यात्रा करते करते प्रयाग तथा काशी के तटों को पवित्र बनाती इसकी धारा बंगाल तक पहुँचती है..। अनंत काल से गंगा की अनंत गाथा युगों-युगों से चलती आ रही, पतित पावनी गंगा की जितनी भी वर्णन की जाय कम है..। जिस प्रकार माँ अपने बच्चों की हर तमन्ना पूरी करती है, उसी प्रकार गंगा भी प्राणी व मानवता की हर इच्छा को युगों-युगों से पुरा करती व पवित्र करने के साथ-साथ मुक्ति देते आयी है, यहां तक की विस्तृत विशाल गंगा की गोद मे असंख्य जलीय जीव को जीवन देती तथा मानवता की भी प्यास बुझाती गंगा, जिसके कर्जदार भारत के उस राज्य व क्षेत्र के गंगावासी एवं प्राणी जो गंगा के तट पर वास करते है..।
जन्म से लेकर मृत्यु तक हर सम्भव, हर खुशी, धार्मिक संस्कृति के साथ आर्थिक हर कार्यक्षेत्र मे गंगा मानवता के लिये वरदान साबित हुई है..। इसलिए गंगा को माता का श्रेय यानी रिश्ते मे सर्वोपरि मा गंगा.....। झारखंड राज्य के एक मात्र जिला साहेबगंज, जहाँ राजमहल के विस्तृत पहाडियों के तलहटी मे बसा शहरी व ग्रामीण क्षेत्रवासी को तृप्ति तथा पापविहीन के साथ साथ मुक्ति प्रदान करती माँ गंगा..। कल-कल करती धाराओं के उठते लहर गीत सुनती, शुकून व शन्ति प्रदान करती युगों-युगों से बहती आ रही है..।
पुरे झारखंड मे साहेबगंज जिला का विशेष सौभाग्य जो गंगा दर्शन का सुख प्राप्त है..। एक तरफ संथाल परगना या यूं कहें की राजमहल पहाडिय़ों की खुबसूरती घाटीनुमा हरियाली,वनसम्पदा,वनस्पति ओषधियों का भण्डार तो दुसरी ओर साक्षात मुक्तिदायनी माँ गंगा..। जो अपने आँचल मे असंख्य जलीय प्राणी तो रंग-बिरंगे पंक्षी का डेरा संजोये है, साहेबगंज जिला के प्रकृति मे चार चांद लगाये है..। इस खुबसूरत प्रकृतिवादी दर्शन के लिये मा गंगा का उपकर कहें या साहेबगंज जिलावासियों के पुनर्जन्म के अच्छे कर्म..। युग व्यतीत हुए दशक बीत रहे हैं, समय व्यतीत के साथ साहेबगंज की प्रकृति व गंगा भी मानो धूमिल व विलुप्त होकर रूठती जा रही है..। वर्तमान समय के अनुसार साहेबगंज गंगा की बात की जाय तो गंगा आज विलुप्ती के कगार पर खड़ी है..। मानो गंगा अब गंदे नाले मे तब्दील हो गई हो..। आज गंगा की गोद छोटी व आँचल सीमटती जा रही है..। गंगा की गोद मे वास करने वाले असंख्य जलीय जीव-जन्तु का अस्तित्व खतरे मे है, यूं कहें की गंगा तथा गंगा मे निवास करने वाले प्राणी..! 
कुछ वर्षों से मानवता के स्वार्थ की पूर्ति करते करते गंगा अपने परिस्थिति पर दुर्भाग्य के आँसु बहाने को पल-पल घुट-घुट कर रोने को मजबुर है,जिसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मनुष्य जाति है..। वर्षों से गंगा मे गाद अपना डेरा जमाये बैठा है, और तो और मनुष्य के सदा हितकारी गंगा आज मनुष्यों द्वारा ही अपमानित व अपवित्र किया जा रहा है..। शहर का कचरा हो या शहर के गंदे नाली का पानी या फिर शहर के कल-कारखानों से निकलने वाले अवशिष्ट गन्दगी..। हम कह सकते है स्वार्थी मानव के द्वारा माँ गंगा के आँचल पर दाग लगाया जा रहा है, ऐसा कहना गलत न होगा..। वर्तमान मे जो गंगा पर संकट आन पड़ी है जो बेहद ही गम्भीर है..। क्योंकि मनुष्यों द्वारा हो रहे प्रकृति से दुर्व्यवहार व खिलवाड़ यानी मानव जनसंख्या मे बढ़ोतरी के साथ-साथ लगातर वृक्ष की अंधाधुंध कटाई..! मनुष्य के आवश्यकता उपभोगवश हर हाल मे प्रकृति व पर्यावरण को नष्ट किया जा रहा है..।
नतिजन भूस्खलन व मिट्टी कटाव के कारण भारी मात्रा में बहकर आने वाली गाद जो गंगा को अपना घर बना लिया है, जिसके साफ़ सफाई की व्यव्स्था वर्षों से बिल्कुल नादारद है..। दुसरी ओर शहरी क्षेत्र से निकलने वाली गन्दगी नलियों से भारी मात्रा मे कचड़ा प्लास्टिक का अम्बार लगातर गंगा किनारे बहकर आना व फेंका जा रहा है जो गंगा को दुषित करने के साथ-साथ गंगा मे प्रवास करने वाले जलीय जीव-जन्तु को भी भारी नुकसान पहुंचा रहा है, ऐसा होना मानवता के साथ-साथ प्राणी के लिये भी बेहद खतरनाक है, ऐसी स्थिति मे गंगा पर आये भयंकर संकट का जिम्मेदार खुद मनुष्य है..। गंगा के उदगम स्थल से विलय तक अगर बात की जाय तो उतराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल अन्य राज्य के कई बड़े छोटे शहर जिला क़स्बा गांव जैसे हरिद्वार, मुरादाबाद, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, मुंगेर, भागलपुर, साहेबगंज, राजमहल, पाकुड़, मालदा,सहित हावड़ा इत्यादि शहरों की प्यास बुझाती तथा सिचाई ब्यवस्था, आर्थिक स्थिति को बरकरार रखते हुए वर्षों से अपना कर्तव्यनिर्वाह करती आ रही है गंगा..।
बदले में देशवासी, देश की जनता, देश की सरकार, गंगा रक्षा व गंगा स्वच्छता हेतू नमामि गंगे परियोजना के तहत अनेकों कार्यक्रम गंगातटीय शहर व ग्रामीण क्षेत्रों मे छोटे-बड़े कार्यक्रम किये और ससमय करते आ रहे हैं..। लेकिन योजना के तहत जितने भी कार्यक्रम हुए उतने हीं तमाशा व घोटाले सामने आये..! गंगा आज भी जस की तस मैली है..! हाँ कुछ गंगा नजदीकी कल-कारखाने खानापूर्ति के नाम पर जरुर बन्द कर दिये गये,जो सिर्फ दिखावा रहा..। विशेष तौर से झारखंड की बात की जाय तो झारखंड का एक मात्र जिला साहेबगंज से होकर गुजरने वाली गंगा की भी स्थिति गम्भीर है, जिसकी चिंता झारखंड सरकार के साथ-साथ साहेबगंज जिलावासियों की होनी चाहिये, न की गंगा के नाम पर दिखावे व प्रदर्शन वाला कार्यक्रम व मनोरंजन..।
मै भी क्या गंगा की कथा-व्यथा लेकर बैठ गया, मै तो भुल हीं गया था की *ये तो नारी है, जो मात्र त्याग की मुर्ति,और बहता पानी..! ये तो दात्री है, देश इसे माँ कहती है, पुत्र इनकी गोद को गन्दा करे ये पुत्र की इच्छा..।  ओह.......इस धरती पर मनुष्य कितने स्वार्थी है, वे गंगा की रक्षा न करके कूडा-कचरा,प्लास्टिक, कल कारखाने के अवशिष्ट, मल-मूत्र से तटीय क्षेत्रों के साथ जल भी प्रदुषित किये जा रहा है..। गंगा का नुकसान यानी सर्वेसर्वा मानवता का नुकसान..! अब तो गंगा की यही आश है...! गंगा से जीने वालों, गंगा को जीने दो..! गंगा को जीने दो..!




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साहिबगंज/मंडरो :-13/09/2018.
मंडरो प्रखंड के खैरवा पंचायत के बसाहा गांव से मानव तस्करी का मामला प्रकाश मे आया..! गुप्त जानकारी मिलने के बाद परिजनों ने साहेबगंज रेलवे स्टेशन से आरोपी को धर दबोचा..। परिजन व ग्रामीणों का आरोप है की काम करने के लिये ले गया पर अब तक एक पैसा भी भुगतान नहीं किया न हीं ले गए लड़की से परिजन हाल जान सका कि आखिर दिल्ली गई लड़कियाँ किस हालत मे है..?  मंडरो प्रखंड के मिर्जाचौकी थाना अन्तर्गत खैरवा पंचायत के बसाहा गांव से मानव तस्करी का मामला प्रकाश मे आया..! आरोपी जियरुद्दीन अन्सारी उम्र 30 वर्ष ,ग्राम भैलाटिका थाना गंगटी सहयोगी सुनीता मरान्डी ग्राम बाबुपुर बोआरिजोर की निवासी को साहेबगंज स्टेशन से पीड़ित परिजनों के द्वारा पकड़ कर मिर्जाचौकी थाना लाया गया..। मिली जानकारी के अनुसार लगभग चार माह पुर्व मंडरो प्रखंड के खैरवा पंचायत के बसाहा गांव से सुनीता मरान्डी के द्वारा काम कराने के लिये चार लड़की सुहाव्नी किस्कू उम्र 19 वर्ष, पिता किशुन किस्कू, रजनी टुडू 18 वर्ष, पिता मंगल टूडू, सोनी मुर्मू, रमु मुर्मू मराँग, बेटी मरान्डी पिता बजल मरांडी को दिल्ली ले जाया गया था पर अब तक दिल्ली गये लड़कियों से परिजनो का सम्पर्क नहीं हो पाया..!
उक्त आरोपी को गुप्त जानकारी मिलने के बाद परिजनों ने साहेबगंज रेलवे स्टेशन पर धर दबोचा..। परिजन व ग्रामीणों का आरोप है की काम करने के लिये ले गया है पर अब तक एक पैसा भी नही दिया और न हीं ले गए लड्की से परिजन हाल जान सका कि आखिर दिल्ली गइ लड़कियाँ किस हालत मे है..। जबकी उसी गांव के एक युवक कुछ महीने पहले काम करने के दिल्ली गया था पर शोषित होकर वापस आ चुका..। वही इस मामले मे मिर्जाचौकी प्रशासन के द्वारा मामले के तह तक जाने का प्रयास जारी है..। इस सम्बंध मे मिर्जाचौकी थाना प्रभारी ऋषिकेश कुमार का कहना है की बाहर गये सभी लड़कियाँ बालिग है तथा उन लडकियों के परिजन के आपति के बाद सभी लडकियों को सुरक्षित वापस लाया जायेगा..। कथित रुप से आरोपी का कहना है की मुझ पर लगाया गया आरोप निराधार व वेबुनियाद है, लड़की को काम करने के लिये ले गए थे, काम से वापस आने के बाद ही पैसा दिया जायेगा..। सोचनीय व चिंतनीय विषय यह है की सीधे-साधे आदिवासी संताल क्षेत्र के लोगों को काम दिलाने के बहाने बहला फुसला कर या पैसे का लालच देकर बाहर ले जया जाता है तथा बाहर गए युवक या युवतियों का शारीरिक, मानसिक व आर्थिक  शोषण किया जाता है..। इस प्रकार के और भी कई मामले प्रकाश मे आ चुके है...! संताल परगना क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, उच्च अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्त्ता का ध्यान इस गंभीर समस्या की ओर देने की नितांत आवश्यकता..! 

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साहिबगंज/मंडरो :-05/08/2018.
फॉसिल्स का किया निरीक्षण..! राजमहल की पहाड़ियों पर करोड़ों वर्ष पुराने जीवाश्मों की स्थिति संकट में है। इनके रखरखाव के लिए बनाया गया सेड जर्जर हो चुका है..! जीवाश्मों की सुरक्षा भगवान भरोसे है..! कहा जाता है राजमहल की पहाड़ी आश्चर्यजनक जीवनदायिनी वनस्पतीय औषधि व जीवाश्म से भरी पड़ी है। लेकिन खनन के कारण इन जीवाश्मों व वनस्पतीय औषधियों का अस्तित्व संकट में पड़ गया..। जंगल की अंधाधुंध कटाई व पत्थर खनन के कारण जीवनदायिनी वनस्पति विलुप्त हो रही है..।
राजमहल पर्वत श्रृंखला के मंडरो प्रखंड क्षेत्र के भुतहा, बंचप्पा, चुनाखारी, गिलामारी, धोकुट्टी पहाड़ क्षेत्रों में अपर लॉयर मोड़ वाले जीवाश्म की खोज सम्भव हो गया है..। कथनानुसार इन पहाड़ी क्षेत्रों में डॉ० बीरवल साहनी ने कुल 14 प्रकार के जीवाश्म की पहचान की थी..। पर अब इनका अस्तित्व खतरे में है..। सुरक्षा के अभाव में या अज्ञानता वस इसे यू ही बेकार लावारिश छोड़ दिया गया था..! ज्ञात हो कि इन्हे अवश्य लूटा गया और अब तक लूटा जा रहा है..! 
अब इन्हीं अवशेषों की रक्षा हेतु तारा पहाड पर स्थित फॉसिल्स पार्क का निरिक्षण साहेबगंज डी०डी०सी० नैन्सी सहाय, डी०एफ०ओ० मनीष तिवारी एवं एस०पी० एच०पी० जनार्दनन रविवार शाम को किया..! मंडरो प्रखंड क्षेत्र में करोड़ों वर्ष पूर्व राजमहल पहाड़ी की गोद में अथाह बेशकीमती धरोहर बिखरे पड़े फॉसिल्स को संरक्षित करने कि बात कही..! 
जानकारी देते हुए डी०एफ०ओ० मनीष तिवारी ने कहा कि फॉसिल्स पार्क को हर सम्भव संरक्षित करने की आवश्यकता है, ये विलुप्ति के कगार पर है यह बहुत जल्द समाप्त हो जाएगा..। जिस तरह लोगो के द्वारा फॉसिल्स को तोडा जा रहा है, वन सम्पदा तथा खनन के कारण फॉसिल्स नष्ट हुआ जा रहा है, यह अच्छी बात नहीं है..। पूर्व में यहाँ पर फॉसिल्स को ना तोडने को लेकर एक बोर्ड भी लगाया गया था..। लेकिन उस बोर्ड को भी असमाजिक लोगो के द्वारा हटा दिया गया या नष्ट कर दिया गया..। वही मंडरो प्रभारी वनपाल नवारी मोदी को निर्देश देते हुए जल्द से जल्द बोर्ड लगाने को कहा गया, साथ ही कहा गया कि चाहे चरवाहा हो या कोई अन्य लोग अब से फॉसिल्स को कोई नहीं तोड़ सकता है, पकड़े जाने पर सुसंगत धाराओं के अंतर्गत कार्यवाही करने कि बात कही,उन्होंने कहा कि बहुत जल्द फॉसिल्स पार्क को चार दिवारी देकर स्थान की घेराबन्दी की जाएगी ताकि यहाँ से फॉसिल्स को तोड कर अन्यत्र ना ले जाया जा सके, बल्कि भ्रमण करने आने वाले पर्यटक व शोधार्थी भी इस फोसिल्स को देख सके..। मौके पर मंडरो के बी०डी०ओ० हरिवंश पंडित, प्रधान सहायक अनिल मंडल, सी०आई० अनुज कुमार सहित मंडरो फॉरेस्ट के पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारीगण मौजूद थे।
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साहिबगंज:-27/07/2018. 
जल जमाव से सड़कों की स्थिति बदतर.....! मंडरो प्रखण्ड के मिर्जाचौकी बाजार में सड़कों की स्थिति थोड़ी सी बारिश होते ही बेहद बदतर हो जाती है...! चाहे वो हटिया रोड हो, गाँधी चौक, चार नम्बर शिव मंदिर रोड या फिर गाँधी नगर की सड़के हो, थोड़ी सी रिम-झिम बारिश होते ही सड़को पर पानी का जमाव व किचड़ से जाम लग जाता है..। ऊपर से भारी वाहनों के परिचालन से सड़कें और भी खराब होती जा रही है..!
दुःख तो तब होता है जब विद्यालय जाने के क्रम में छोटे-छोटे मासूम बच्चे अपने आप को बचते-बचाते विद्यालय तक पहुच पाते है..। 
विद्यालय जाते समय कुछ बच्चे तो गिर भी जाते है..! इस मुसीबत का सामना स्थानीय ग्रामीण व आम जनता को भी करना पड़ता है। 
मिर्जाचौकी बाजार की स्थिति आस-पास के गांव स्थिति से ज्यादा खराब हो चुकी है..। मिर्जाचौकी क्षेत्र में सैकड़ो चिप्स स्टोन कर्सर मिल है,जहाँ कई दूसरे राज्यों से भारी वाहनों का आवागमन होते रहता है..! जहाँ रोजाना लाखों रूपये का कारोबार होता रहता है एवं सरकार के राजस्व को भी मुनाफा होता है, फिर भी विकास के मामले में मिर्जाचौकी के सड़को की स्थती दयनीय है।
चुनाव के माहौल में राजनितिक पार्टियों के द्वारा बड़े-बड़े वादे-दावे किये जाते है..! चुनाव समाप्त होते ही सब वादे अग्नि में जल कर राख हो जाते है..।
सूत्रों की माने तो कुछ सड़कों के टेंडर का कार्य पास हो गया है,परंतु व्यवसायीवर्ग व ग्रामीणों की आपसी रंजिश में विकास का कार्य दम तोड़ रही है..। वहीं मंडरो प्रखंड में हमेशा बड़े पदाधिकारियों की गाड़ी मिर्जाचौकी बाजार से ही होकर आना जाना होता है..। अब तो मिर्जाचौकी की सड़के कब चमन होंगी ये कहना मुश्किल है।
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साहेबगंज/मंडरो :- 04/07/2018.
हैवान शिक्षक ने किया नाबालिक बच्चे के साथ छेड़खानी...! गुरु और शिष्य के रिश्ते को किया तार - तार..! शिक्षक की अश्लील हरकत मिर्जाचौकी क्षेत्र में आग कि तरह फ़ैल गई..! ग्रामीणों ने घटना के विरोध में हुए आक्रोशित,प्रशासन ने किया शक्ति प्रदर्शन..! मंडरो  प्रखंड के मिर्जाचौकी थाना क्षेत्र अंतर्गत मध्य विद्यालय मिर्जाचौकी में बीते मंगल वार को चौथी कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा के साथ अश्लील हरकत तथा छेड़खानी किया गया,जिसकी शिकायत प्रिया कुमारी(परिवर्तित नाम) ने अपने मम्मी से कि,घटना को गम्भीरता से लेते हुए पीड़ित लड़की के पिता ने अगले दिन यानी आज बुधवार को विद्यालय पहुंच कर विद्यालय प्रबन्धक से उक्त घटना का शिकायत कि,हालाकि घटना बड़ी थी इसके वजह से आस पास के गांव में घटना कि खबर आग की तरह फ़ैल गई, तदुप्रांत ग्रामीणों की  भीड़ विद्यालय समीप एकत्रित हो गया,तथा ग्रामीणों के द्वारा स्कूल को घेर लिया गया साथ ही,आरोपी शिक्षक को ग्रामीण के हवाले कर,सामाजिक दंड देने की मांग हुई।हालात बिगड़ता देख, तुरन्त ही मिर्जाचौकी प्रशासन को सूचना दिया गया,फलस्वरूप एसआई संतोष सिंह अपने दल बल के साथ विद्यालय पहुंचे,परंतु ग्रामीण गुस्सा के आगे प्रशासन की एक न चली,जिसके कारण साहेबगंज जिला से दर्जनों की संख्या में फॉर्स,साथ ही आस पास के क्षेत्रीय थाना मुसल्लीफ थाना, जिडवाबाड़ी थाना,साथ ही मंडरो प्रखंड विकास पदाधिकारी हरिवंश पण्डित,तथा और भी बड़े अधिकारी आने के पश्चात उग्र ग्रामीणों पर लाठी चार्ज कर भीड़ को तितर बितर किया गया, और यातायात व्यवस्था दुरुस्त कर आरोपी शिक्षक को प्रशासन अपने हिरासत में लिया।
वहीं आरोप लगे शिक्षक का कहना है कि मुझे साजिश के तहत फसाया जा रहा है,बच्चे झूठ बोल रहे हैं...!

लेकिन ध्यान केंद्रित करने वाली बात ये है कि उस विद्यालय के चौथी कक्षा में पढ़ने वाली एक छात्रा झूठ बोल सकती है,परंतु उक्त कक्षा के लगभग आधा दर्जन छत्राओं ने आरोपी शिक्षक को दोषी करार दिया,जो कि निष्पक्ष जांच का विषय है। सौ बात की एक बात ये है की इस तरह की घटना मिर्जाचौकी से इस विद्यालय की छवि पे असर पड़ सकता है,साथ ही ग्रामीण भी सोचने को विवश है कि शिक्षा के मंदिर में ऐसी घटना होने लगे तो अभिभावक भरोसा करे तो करे कैसे.? ऐसी परिस्थिति में झारखंड सरकार को बड़ा कदम उठाते हुए राज्य के सभी विद्यालयों में तीसरी आंख (सी०सी०टी०वी०) लगवाने के विषय में सोचना होगा,ताकि इस तरह की घटना न घटित हो साथ ही शिक्षा व्यवस्था में भी सुधार हो सके..!
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साहिबगंज/मंडरो:- 09/06/2018. प्रत्येक वर्ष झेलते हैं ग्रामीण,नरकीय आपदा…! कहीं नाले हुए संकीर्ण तो कहीं मिटा दिया गया पहाड़ी पानी का निकास नाला...! भारतीय मौसम विभाग की ओर से भारी बारिश कि संभावना जताई जा रही थी, शुक्रवार के अहले सुबह से ही लगातार लगभग दो घंटे भारी बारिश के पश्चात नजदीकी पहाड़ों से आये मिट्टी युक्त पानी का तेज सैलाब मानो लोगों के मन में कुछ घंटो के लिए भय तथा बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न कर दिए,ये पानी का ठहराव कुछ घंटे तक ही रहा लेकिन इन्हीं चन्द समय में ग्रामीणों के नरकीय जिंदगी बना जाता है ये दृश्य।
ऐसा एक वर्ष का नहीं,बल्कि दशकों से चली आ रही प्रथा की तरह पैर जमाए है,मानो प्रतेक वर्ष आने वाली दुखद आपदा त्योहार हो, जो पूरे बरसात भर झेलने को विवश करती रही है। मंडरो प्रखंड के महादेववरन पंचायत के कुछ क्षेत्र में पहाड़ों से उतरने वाले पानी का निकास नाला दिन - प्रतिदिन बन्द किया जा रहा है,घेरा जा रहा है,तो कहीं नाला संकीर्ण किया जा रहा है।
पानी का निकास नहीं होने के कारण पहाड़ से उतरने वाले पानी ग्रामीणों के घर,गलियों,सड़कों पर बहने लगते हैं।कारण दशकों से इस पहाड़ पानी के निकास द्वार यानी नाला की सफाई नहीं की गई है,फलस्वरूप गंदा मटमैला पानी अपना रास्ता खुद तलाश कर जबरन ग्रामीणों के घरों, गलियों, सड़कों पर बहने लगता है। 
अफसोस योग्य बातें ये है कि ग्रामीण वर्षों से प्रत्येक बरसात इस मुसीबत को झेलते है,परंतु अमीरों के भय व कुट नीतियों के कारण एकमत हो कर समस्या का निदान नहीं कर पाते हैं।आए दिन नाला को संकीर्ण किया जा रहा है, तो कुछ नाला बन्द किया जा चुका है,तो कुछ की घेरा बन्दी कर दी गई।इस गम्भीर समस्या से जैसे जनप्रतिनिधि का कोई सरोकार ही नहीं, और तो और नाले की घेरेबन्दी से अब तक अनजान बने हैं अधिकारी बाबू...! 
अगर पानी के निकास नाले का सफाई तथा संकीर्णता जैसे समस्या की ओर ध्यान केंद्रित न हुआ तो नाला का नामोनिशान मिट जाएगा तथा आने वाले वक्त में सड़के गटर व नाले में तब्दील हो जाएगी।

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मंडरो/साहेबगंज:-09/06/2018.
बंगाल का प्रवेश द्वार तेलियागढ़ किला...! राजमहल पहाड़ी क्षेत्र की गोद में बसा साहिबगंज जिला, इस जिले में निर्मित पुराने जमाने के भवन इमारत व किला का विशेष गौरवशाली इतिहास जो अतीत के झरोखों से दर्शन कराती है, उत्सुकतावश प्रत्यक्ष दर्शन करने से खुद को रोका भी नहीं जा सकता है। इन्हीं पुराने ऐतिहासिक पन्नों या यूं कहें स्मारकों का रेल सफर के दौरान रेल मार्ग के नजदीक बना वर्षों पुराना ऐतिहासिक खंडहर की झलक रेल यात्रा के दौरान हो जाती है।
साहिबगंज जिला मुख्यालय से 7 से 8 किलोमीटर दूर करमटोला पहाड़ी क्षेत्र के तलहटी में चारों ओर घनी झाड़ीनुमा टीले पर बना जो कि वर्तमान में सिर्फ एक खंडहर मात्र रह गया है, वो स्थान आसपास के क्षेत्र में तेलियागढ़ी किला के नाम से विख्यात है। ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो इस तेलियागढ़ी से रिश्ते पुराने जमाने के राजा महाराजा, मुगल शासक, अंग्रेज तथा कुछ लुटेरों से भी रहे हैं।
झारखंड स्थित राजमहल पहाड़ी श्रृंखला का सफर करेंगे तो साहिबगंज जिला मुख्यालय से पश्चिम व दक्षिण दिशा में 7 से 8 किलोमीटर दूर रेल मार्ग या सड़क मार्ग के माध्यम से 1820 में निर्मित गेट वे ऑफ़ बंगाल यानी बंगाल का प्रवेश द्वार तक पहुंचा जा सकता है। जो पूर्व में बंगाल का प्रवेश द्वार के नाम से भी जाना जाता था..!
प्राचीन काल में बंगाल में प्रवेश करने के लिए इस किला तक पहुंचना आवश्यक होता था। जैसा कि इतिहास के अनुसार पूर्व में वर्चस्व की लड़ाई हुआ करती थी, राज्य की जीत या फतेह की लड़ाई हुआ करती थी, जिसके कारण इस तेलीयागढ़ी की धरती वीर सेना के रक्त से रंजीत भी हुई थी, जो अब तक बलि प्रथा के तहत यहां की धरती अब भी रक्तरंजित होती है।
तो कुछ असर किला पर भी हुआ,और अब के समय में खंडहर में तब्दील नजर आता है, यह किला गवाह है बंगाल के प्रवेश द्वार का, वर्चस्व की लड़ाई का, लूटेरों के सुरक्षित स्थान का, रक्तरंजित धरा का,बलि प्रथा का....... 

वर्तमान समय में देखा जाए तो यह किला पूर्णतः खंडहर में तब्दील है, या यूं कहें कि कुछ ही हिस्सा टूटी-फूटी अवस्था अवशेष के रूप में रह गया है, वर्षों पहले काले पत्थर, कंक्रीट तथा लकड़ी से निर्मित होने के बावजूद अब भी बेहद ही रोचक, आकर्षक तथा रहस्यमय रूपी खंडहर प्रतीत होता है।झाड़ीनुमा किले के ऊपरी हिस्से पर बना किला, साथ ही साथ बेहद करीब से इस खंडहर का दीदार करते हुए गुजरता हुआ रेल मार्ग... प्रकृति की हरियाली से यह तेलियागढ़ी  किला अपनी ओर आकर्षित करती है ।
इस तेलियागड़ किला का इतिहास भारत सरकार के जानकारी में आते ही राष्ट्रीय धरोहर के रूप में शामिल कर लिया गया है। साथ ही झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा यात्री विश्राम गृह बनाने के साथ-साथ इस इलाके की घेराबंदी भी किया गया, लेकिन विशेष तौर से इसकी रक्षा के लिए कोई इंतज़ाम ना हो सका, जिसके कारण बनाया गया विश्रामगृह या फिर घेराबंदी बेकार ही प्रतीत होती है..!
 प्रत्यक्ष साक्षात्कार के पश्चात। यह किला अब भी अपनी रक्षा, गरिमा की प्राप्ति के लिए तरस रहा है,साहेबगंज जिला राजमहल क्षेत्र के ऐतिहासिक पुराने भवन व इमारत की भांति इस तेलीयागढ़ का संरक्षण देने तथा इन्हें पर्यटक उद्यान में परिवर्तित किया जाए तो इसके चर्चे मात्र इतिहास के पन्नों पर ही नहीं बल्कि आने वाले पीढ़ी के लिए भी प्रत्यक्ष दर्शन का स्थल बन सकता है।

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साहेबगंज/मंडरो:-25/05/2018. 
मिर्जाचौकी कारू बांध का अस्तित्व खतरे में..! सूखे बांध पर भटकते प्यासे पालतू जानवर व पशु-पक्षी की विवशता ...! मंडरो प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश तालाब या पोखर की स्थिति वर्तमान समय में गंभीर बनी हुई है... खासकर महादेवरन पंचायत के निमगाछी गांव जहां की आबादी 400 से 500 के करीब होगी..! यह गांव राजमहल पहाड़ी के अंतिम तलहटी पर बसा छोटा सा संथाली बस्ती' इस बस्ती में बना एक बांध जो कारू बांध के नाम से क्षेत्र में प्रचलित है। ग्रामीणों से मिली विशेष जानकारी के अनुसार मंडरो प्रखंड के मिर्जाचौकी क्षेत्र में यही एक ऐसा बांध है जिसमें बांध के नजदीकी ग्रामीण क्षेत्रों की सिंचाई ,रोजमर्रा के कार्य जैसे- स्नान करना, कपड़े धोना, जानवरों अपनी प्यास बुझाने का कार्य, यहां तक कि वर्ष में होने वाले छठ पर्व इसी बांध में मनाते हैं।
यूं कहें की आस्था की पूर्ति भी इसी कारू बांध से आज तक होता आया है। लेकिन वर्तमान समय में इस बांध की स्थिति बदतर हो चुकी है, यानी गर्मी का मौसम आने के पूर्व से हीं अपनी रूठी किस्मत पर आंसू बहाने को विवश हो जाती है, तथा जेष्ठ का महीना आते आते इस बांध का पानी पूर्ण रुप से समाप्त हो जाता है,यानी सूख जाता है, और भीषण गर्मी व चिलचिलाती धूप में आकाश की ओर फटे धरती की तरह होती है मुंह बाये टकटकी लगा देती है। इस बांध के सुख जाने से पास के नजदीकी ग्रामीणों को समस्या होती है साथ ही इस गांव के पालतू जानवर हो या पशु पक्षी प्यास के मारे दर-दर भटकने को मजबूर हो जाते हैं। यहां तक की खेती पर भी खासा असर पड़ता है।
 ग्रामीणों के कथनानुसार जब से बांध का निर्माण हुआ है तब से अब तक बांध के सुरक्षा व देखभाल, सफाई की व्यवस्था अब तक नहीं हो सका है,इस बांध पर लगे अधिकांश वृक्ष भी सूख कर गिर पड़े हैं, और ना ही सरकारी योजना के तहत इसके रक्षा हेतु कोई कदम उठा है।ग्रामीणों का कहना है की नजदीकी में लगातार जोर - सोर से पत्थर का खनन हो रहा है, जिसके कारण बरसात के मौसम में पहाड़ की मिट्टी बरसात में आकर जमा हो जाता है,तो पहाड़ में लगातार वर्ष भर बहने वाले छोटी-छोटी जलस्रोत नष्ट कर दिए जा रहे हैं, जिसके कारण बांध विलुप्त के कगार पर है।
 अगर ऐसा ही रहा तो हम ग्रामीणों के खेती सिंचाई पर असर पड़ेगा,साथ में क्षेत्र के पालतू जानवर तथा पशु पक्षियों के लिए जल संकट की समस्या आ सकती है। सौ बात की एक बात ये की गर्मियों के मौसम में खास कर आजाद पशु पक्षियों के भारत सरकार योजनाओं के माध्यम से तलाब,डोभा, व जलाशयों निर्माण के लिए  राशियां खर्च कर रही है, अतः इस बांध की ओर भी ध्यान आकृष्ट करना चाहिए। वर्ना हालत अगर ऐसे ही बनी रही तो वर्षों से अपनी क्षेत्र के एक मात्र प्रचलित कारू बांध का अस्तित्व खो देगा।
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साहिबगंज:-07/05/2018.
इंसान की इंसानियत ही क्या जो बेजुबान के काम न आयी..। साहेबगंज शहर के बीचों - बीच दर्द के साये में कदम बढ़ाना भी मुश्किल सा था, एक ही स्थान पर बैठा रहा...दिनभर - रातभर.... इसी आश में की तकलीफें दूर हो जाएगी,फिर से मैं स्वस्थ हो जाऊंगा..। देखते ही देखते कई दिन निकल गए, तकलीफें बढ़ती गई यहां तक कि दर्द के कारण खाया भी न जा रहा था ... आखिर दर्द बयां करते तो किससे......??? 
क्योंकि मेरी भाषा इंसान के समझ से परे था क्योंकि मैं बेजुबान लावारिस पशु था...हां मैं लावारिस था। साहिबगंज शहर के बीचो- बीच कॉलेज रोड में पांच सात दिन पूर्व में कुछ अंदरूनी परेशानी के कारण एक काले रंग का सांढ बेसुध दर्द में बैठा था, साहेबगंज शहर वासी किसी न किसी कार्य से उसी रास्ते से आना जाना भी  रहा था। कोई इन बातों से अनजान था, कोई जानते हुए भी नजरें चुरा लेता, तो कोई दुख प्रकट कर आगे निकल जाता रहा...। दर्द व तकलीफ में हालात इस कदर खराब हो गए की अब तो बस निढाल अवस्था ही थी, उस स्थान के आसपास के कुछ दुकानदार भाइयों की परेशानियां जरूर हो गई, तो कुछ के नजरों में खटक रहा था। परंतु कुछ दयालु लोग खाने की व्यवस्था भी किया। अंततः उसे उस जगह से दूर सबकी नज़रो से एक स्थान ले जाया गया, कुछ इलाज की प्रक्रिया चली, लेकिन...... अब पछताए होत क्या..! जब चिड़िया चुग गई खेत...! अंत में सांढ की मौत हो गई..। क्या उस बेजुवान की मौत.....मौत है.....या जिले में स्वास्थ व्यवस्था दो........??? वक़्त रहते उसका इलाज होता तो शायद वह अपनी जिंदगी के कुछ दिन और भी जी लेता ।अब सवाल यह उठता है कहां गई इंसान की इंसानियत........??? कहां गए धर्म समाज के ठेकेदार जो गौ सेवा हेतू बातों की डिंगे हांका करते थे..........??? वो बेजुबान मर कर इंसान की इंसानियत परख गया.....साथ ही साथ पशु स्वस्थ सेवा का विधि व्यवस्था भी बता गया........।
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साहिबगंज/मंडरो:-01/05/2018.
ग्राम विकास समिति का गठन..! झारखंड सरकार ग्रामीण विकास विभाग राज्यों के ग्रामीण विकास में जन-जन की सहभागिता सुनिश्चित करने तथा गांव विकास के लिए प्रत्येक गांव में ग्राम विकास समिति का गठन किया जा रहा है, जिसमें मंडरो प्रखंड के मिर्जाचौकी बाजार में ग्राम सभा समिति का गठन किया गया..! मिर्ज़ाचौकी बाजार में ग्राम विकास समिति का गठन समाजसेवी अशोक प्रसाद वर्मा की अध्यक्षता में की गई। 
इस ग्रामीण सभा में ग्रामीण के सर्वसम्मति से समिति का अध्यक्ष पद के लिए सुमन देवी ,सचिव आशीष स्वर्णकार, कोषाध्यक्ष रजनी देवी, को चुन लिया गया, साथ ही इस समिति के सदस्य के रूप में किरण देवी, प्रमोद गुप्ता, सुभाष गुप्ता, अजय जायसवाल, राजीव, संदीप, रवि स्वर्णकार, विष्णु, ने सदस्यता ग्रहण किया। इस मौके पर मंडरो प्रखंड के ब्लॉक कोडिनेटर रेशमी तिवारी,जनसेवक मनीष कुमार, स्वयंसेवक नीरज गुप्ता,सोनू कुमार सहित दर्जनों ग्रामीण उपस्थित रहे।
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साहेबगंज/मंडरो:-25/04/2018.
साहेबगंज जिला के कई प्रखंड वासी मजबुर है,धूल भरी जिंदगी जीने को...! इस गम्भीर,घातक व जानलेवा समस्या पर पत्थर व्यवसायी,और खनन अधिकारियों की चुप्पी..!झारखंड राज्य का एक मात्र जिला साहिबगंज जो कि प्रकृति की गोद में बसी है, जिसे गंगा दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। एक और कल-कल बहती गंगा तो दूसरी ओर राजमहल की खूबसूरत वादी, इन दोनों के बीच में बसा हमारा साहिबगंज जिला जिसके विकास हेतु सरकार हमेशा तत्पर हैं।वर्तमान समय की परिस्थिति को देखा जाए तो ऐसा प्रतीत होता है मानो साहिबगंज जिला को किसी की नजर लग गई हो, राजमहल की खूबसूरत पहाड़ियों में तथा साहिबगंज जिला के कई प्रखंड क्षेत्र में जहरीली धूलकण से भरा हवाओं की आंधियों का वयार हमेशा चल रहा है..! 
प्रकृति द्वारा उत्पन्न आंधियां तो कभी कभार ही आती है, परंतु जिले के पत्थर व्यवसाइयों द्वारा धूलकण भरा आंधियों का बवंडर हमेशा उड़ाया जा रहा है जिसका शिकार साहिबगंज जिला के कई प्रखंड वासी आम नागरिकों को परेशान हो रहे हैं,सुबह हो या शाम दिन हो या रात चौबीसों घंटे वातावरण को प्रदूषित करने का कार्य किया जा रहा है,इन व्यवसाइयों को न तो पर्यावरण की फिक्र है और ना ही क्षेत्र में बसे आम मध्यम वर्गीय नागरिकों की चिंता है इन्हें तो बस अपनी मुनाफे की पड़ी है। जानकारी के अनुसार साहिबगंज जिला के कई प्रखंड या कहा जा सकता है कि राजमहल की पहाड़ियों में पत्थर खनन का कार्य वैध तथा अवैध दोनों तरीकों से किया जा रहा है। 
खनन द्वारा निकाले गए पत्थर को  पत्थर क्रेशर मशीन के माध्यम में छोटे-छोटे टुकड़ों में किया जा रहा है, इस कार्य हेतु जिला में हजारों की संख्या में वैध तथा अवैध रूप से पत्थर क्रशर मशीन संचालित व सक्रिय है, इन कारणों से क्रशर से उड़ने वाले धूल- कण प्रखंड क्षेत्र के वातावरण को जहरीला बना रहा है साथ ही साथ इन क्षेत्रों में बसने वाले ग्रामीणों को जहरीले वादियों तथा दूषित वातावरण में जीने तथा सांस लेने को मजबूर हैं।

 यहां तक कि क्षेत्र के सरकारी व गैर सरकारी विद्यालय,मंदिर,पंचायत भवन इत्यादि तमाम घर चाहे वह आम नागरिकों के क्यों ना हो, इन सभी स्थानों पर कुछ ही घंटों के दरमियान में उड़ने वाले धुलों की आंधियों से घर द्वार, खाने तक के सामग्रियों पर धूल की परतें बैठ जाया करती है। एक तरह यह कहा जा सकता है कि खाने मे धुल सांस लेने में धुल, हर समय धूल ही धूल.! इस गंभीर समस्या को लेकर व्यवसाइयों तथा अधिकारियों की चुप्पी - क्षेत्र में बढ़ रहे प्रदूषण का प्रकोप से ग्रामीण बेहद ही परेशान है लेकिन इन गंभीर समस्या तथा बीमारियों को खुलेआम बुलावा देने वाली समस्या से व्यवसाय तो अनजान बनने का ड्रामा कर ही रहे हैं, साथ ही साथ जिला के उच्च पद पर आसीन अधिकारी भी चुप्पी साधे हैं। यह समस्या वर्षों से सक्रिय है परंतु अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है...। हां खाना पूर्ति के नाम पर कागजी कार्यवाही का कार्य अवश्य किया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर किए गए कार्य का कोई अर्थ नहीं रह गया है। अधिकारी तथा व्यवसाई के आपसी मिलीभगत के कारण साहेबगंज प्रखंड क्षेत्र की जनता को दूषित वातावरण में जीने तथा बीमार होकर मरने को विवश अवश्य किया जा रहा है। 
जिले में पत्थर व्यवसाय का असर...! साहिबगंज जिला राजमहल की पहाड़ियों के गोद में बसा हुआ है इसका पूरा फायदा जिले के पत्थर व्यवसाई उठा रहे हैं, साथ ही साथ सरकार के राजस्व को करोड़ों का फायदा हो रहा है।अब सवाल यह है की जिस क्षेत्र से करोड़ों का मुनाफा सरकार या व्यवसायी कमा रहे हैं, उस क्षेत्र के विकास के बारे में क्यों नहीं ध्यान दे रही है...........???  उन क्षेत्र में चल रहे क्रेशर से उड़ने वाली धूल का तथा पर्यावरण का ख्याल क्यों नहीं रखा जा रहा है.? क्या सरकार तथा पत्थर व्यवसाई सिर्फ अपनी तिजोरियां भरने में व्यस्त है..? क्षेत्र में चल रहे क्रेशर में पानी के फुहारों की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है.? सौ बात की एक बात ये है कि जनता हो या सीधे साधे ग्रामीण मरती रहे... पत्थर व्यवसाई जिले के खनन अधिकारी तथा सरकार की जेबें भरती रहे......!!! क्या फर्क पड़ता है.........??? हालात ऐसे ही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब साहेबगंज के सरकारी तथा गैर- सरकारी अस्पतालों में है तथा असाध्य रोग टीवी छ्य जैसे खतरनाक रोगियों से अस्पताल भरा मिलेगा। अगर क्षेत्र के पत्थर व्यापार से हो रहे मुनाफे का बीस प्रतिशत भी इन पर्यावरण सुरक्षा पर खर्च किया जाता तो शायद घातक व गंभीर समस्याओं से साहिबगंज जिला के प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीण को राहत की बात होती.........लेकिन यहां स्थिति कुछ और ही है।*अपना जेब भरता, भांड में जाय जनता.....!!!

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