13 अप्रैल 2021

आलेख :- मो० शाहबाज़ आलम..!

बैंककर्मी कोरोना पॉजिटिव, बैंक बंद..!
साहिबगंज/बरहेट :- 13/04/2021. प्रखंड अंतर्गत बरमसिया गाँव  के भारतीय स्टेट बैंक मुख्य ब्रांच का एक कर्मचारी के कोरोना पॉजिटिव 11 अप्रैल 2021 को कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के कारण मंगलवार 13 अप्रैल 2021 को बैंक परिसर बंद कर दिया गया। बैंक परिसर को सैनिटाइज कराया गया। लेनदेन बंद होने से खाताधारकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। बैंक अधिकारियों ने बताया कि बैंक 14 अप्रैल को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती एवं 15 अप्रैल को सहरुल पर्व की छुट्टी रहेगी पुनः बैंक अपने सुचारू रूप सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए निर्धारित समय अनुसार संचालित किया जाएगा। प्रबंधक ओमप्रकाश नैयर ने बताया कि बैंक बंद करने के बाद पूरे परिसर को सैनिटाइज करवाया गया है।

डिग्री थ्री कोविड 19 स्पेशल परीक्षा 2020 शांतिपूर्वक कदाचार मुक्त परीक्षा प्रारंभ..!
साहिबगंज :- 13/04/2021. सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित साहिबगंज महाविद्यालय साहिबगंज में डिग्री थ्री कोविड 19 स्पेशल परीक्षा 2020 शांतिपूर्वक कदाचार मुक्त परीक्षा प्रारंभ हुआ। परीक्षार्थियों को महाविद्यालय में प्रवेश के दौरान थर्मल स्कैनर व मास्क जांच कर प्रवेश कराया गया। छात्रों को सैनिटाइज कर व मास्क पहनाकर व शरारिक दूरी का विशेष ध्यान रखा गया था। मौके पर केंद्राधीक्षक डॉ रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि कोविड-19 स्पेशल परीक्षा 2020 डिग्री थ्री का प्रारंभ शांतिपूर्वक कदाचार सम्पन्न हुआ। साथ ही परीक्षा नियंत्रक डॉ अनुप कुमार साह, मजिस्ट्रेट एजाज अहमद, केंद्राधीक्षक डॉ रणजीत कुमार सिंह ने कक्षाओं का भ्रमण कर परीक्षा का जायजा लिया तथा सभी छात्रों को मास्क पहनकर, सिनेटाइज व दूरी बना कर ही परीक्षा हॉल में प्रवेश करने का हिदायत दी। परीक्षा नियंत्रक डॉ अनूप कुमार साह ने बताया कि कुल 56 उपस्थित तथा 12 अनुपस्थित रहे।

गंगा प्रहरी टीम के सदस्यों ने जिले  मे चलाया कोविड - 19 जागरूकता अभियान..!
साहिबगंज :- 13/04/2021. भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून व नमामि गंगे के सौजन्य से गंगा प्रहरी स्पेयरहेड टीम के द्वारा साहिबगंज जिले के विभिन्न स्थानों पर लगातार कोविड - 19 जागरूकता अभियान किया जा रहा है। इस जागरूकता अभियान के क्रम में आज राजमहल प्रखंड के कन्हैया स्थान, मंगला हाट चौक, कस्बा गांव तथा राजमहल बाजार के तीनपहाड़ मोड़ पर स्थानीय जन समुदाय, राहगीरों, दुकानदारों गाड़ी चालकों एवं सवारियों के बीच करोना से बचाव के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया। सभी लोगों को अनिवार्य मास्क का उपयोग, समय अंतराल में सेनीटाइजर का उपयोग तथा सामाजिक दूरी बनाए रखने का बात बताई गई। जिनकी उम्र 45 वर्ष से ज्यादा हो चुकी थी उन सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन लेने की सलाह दी गई, इसमें बताया गया कि अपने आसपास वैक्सीनेशन कैंप या संबंधित सदर अस्पताल में कोरोना वैक्सीन दिया जा रहा है जहां वे जाकर कोरोना वैक्सीन ले सकते हैं और जिन्होंने वैक्सीन ले ली है उनसे उनका फीडबैक भी लिया गया।  दुकानदारों एवं फल सब्जी-फल बेचने वालों से भी मास्क का उपयोग करते हुए और ग्राहकों को भी मास्क का उपयोग करने पर ही सामान देने की बात बताई गई। सवारी वाहनों के वाहन चालको एवं सवारियों से भी मास्क का अनिवार्य उपयोग के लिए कहा गया। इस दौरान लोगों के हाथों को सैनिटाइज भी किया गया। इस जागरूकता अभियान में गंगा प्रहरी स्पेयरहेड टीम के राम निरंजन कुमार, संतोष कुमार मंडल, मणिकांत कुमार, स्पेयरहेड क्लस्टर लीडर राजेश कुमार उपस्थित थे।

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शहादत को ताजा कर देती है सिदो-कान्हू जयंती..!
आदिवासी समाज के लोग सिदो-कान्हू को किसी भगवान से कम नही मानते :- शाहबाज आलम..!
साहिबगंज/बरहेट :- 13/04/2021. संताल हूल के महानायक वीर शहीद सिदो कान्हू की जयंती आज..! बरहेट प्रखंड के भोगनाडीह गाँव के सिदो कान्हू की जन्मस्थली में कोविड 19 गाइडलाइन का पालन करते हुए सुबह से ही मनाया जा रहा जयंती, पारम्परिक तरीके से पूजा-पाठ किया गया । सिदो कान्हू पार्क व सिदो कान्हू के आवास को आकर्षक तरीके से सजाया गया है।
इस बार नही दिख रहा है चहल-पहल..!
कोरोना के दूसरे लहर को देखते हुए इस बार लोगो का जमावड़ा नही हो रहा है, प्रतिवर्ष लाखो की संख्या में बरहेट सिदो-कान्हू की जन्मभूमि  उनके जन्म दिवस के अवसर पर पहुंचते थे।
और तरह-तरह के दर्शनीय कार्यक्रम रात्री दिनाजपुर आर्केस्ट्रा आदि कार्यक्रम किया जाता था लेकिन बढ़ते करोना को देखते हुए इस बार भी सभी कार्यक्रमों को स्थगित किया गया है जहां आज सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए कुछ ही लोगों को आदेश दिया गया है कि सिदो कान्हू  के प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उनके जन्म दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि दे।
11 जून क्यो मनाया जाता है सिदो-कान्हू जयंती..??
सिदो-कान्हू अंग्रेज, महाजनों एवं शोषण के खिलाफ आन्दोलन व बलिदान की कर्मभूमि है भोगनाडीह। सिदो-कान्हू की जयंती उनके शहादत की यादों को ताजा कर देती है। आदिवासी समाज के लोगों के लिए शोषण व अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए सिदो कान्हू ने संथाल हूल का शंखनाद किया था। आदिवासी समाज के लोग सिदो कान्हू को किसी भगवान से कम नही मानते। सिदो-कान्हू ने देश की संस्कृति व सम्मान की रक्षा कर संथाल परगना को गौरवान्वित करने का काम किया। आदिवासी तथा गैर आदिवासीयों को अंग्रेज व महाजनों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने में अहम भूमिका निभायी थी। ब्रिटिश हुकूमत की जंजीरों को तार-तार करने वाले इन वीर सपूतों के शहादत की याद में जयंती समारोह प्रत्येक साल 11 अप्रैल को मनाया जाता है। इस समारोह में देश के कई प्रान्तों से भोगनाडीह पहुंचने वाले विद्वान, लेखक, इतिहासकार, शहीदों के इतिहास को कुरेद कर उनके जीवन वृतांत पर प्रकाश डाल कर उनके बलिदान की याद ताजा कर जाते हैं। बरहेट प्रखंड के भोगनाडीह गांव में चुनू मुर्मू के घर सिदो का जन्म 1820 ई. को और कान्हू का जन्म 1832 ई0 में हुआ था। उनके दो सहोदर भाई चन्द्राय मुर्मू तथा भैरव मुर्मू भी थे। इन देशभक्तों ने अंग्रेजो के अत्याचार का विरोध करने व आजादी का परचम लहराने के लिए 30 जून 1853 को पंचकठिया में बरगद के पेड़ के नीचे संथाल हूल का बिगुल फूंका था। 1855-56 का संथाल विद्रोह संपूर्ण एशिया महादेश में विख्यात हुआ था। आज भी वर्षो पुराना बरगद का पेड़ पंचकठिया में एतिहासिक हूल क्रांति का गवाह के रूप में मौजूद है।

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मुसलमानों के लिए रमजान में रोजे रखना है जरूरी..!
साहिबगंज/बरहेट :- 13/04/2021. आज से पुरे भारत सहित झारखण्ड मे शुरु हो गया है रमजान गौरतलब है कि नया चांद दिखाई देने पर पवित्र महीना शुरू होने का एलान किया जाता है। भारत में अक्सर सऊदी अरब के एक दिन बाद ही रमजान की शुरुआत होती है, जहा आज अरब मे एक रोजा हो गया है। ऐसी स्थिति में भारत में आज चांद देखा गया है जो कल से ही रजमान की शुरुआत हो जाएगी, 
आपको बता दें कि हर साल रमजान महीने की शुरुआत पिछले साल के मुकाबले 10 दिन पहले होती है और चंद्र वर्ष सूर्य वर्ष के मुकाबले छोटा होता है। 2020 में रमजान 23 अप्रैल को शुरू हुआ था। रमजान इस्लामी कैलैंडर का नौवां महीना होता है।इस महीने में दुनिया भर के मुसलमान सुबह से लेकर शाम तक उपवास रखते हैं।
इस्लाम में रोजा बुनियादी पांच स्तंभों में से एक है। रमजान का रोजा हर मुसलमान, बालिग और दिमागी रूप से स्थिर शख्स पर फर्ज है। इस महीने की इस्लाम में बहुत बड़ा महत्व है। रमजान में मुसलमानों को दान-पुण्य करने पर विशेष जोर दिया गया है। अमीर मुसलमानों को अपनी आमदनी में से ढाई फीसद निकालना वाजिब है। ये रकम गरीबों के बीच वितरित की जाती है।
पवित्र महीना खुद को संयमित और अनुशासित बनाए रखने का नाम है. महीने के आखिरी दस दिनों के दौरान पांच विषम नंबर की रातों में से एक 'लैलतुल कद्र' पड़ता है. 29 या 30 रोजे बीतने पर नए महीने का एलान किया जाता है. नए महीने की शुरुआत खुशियों के त्योहार ईद से होती है।

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जरूरतमंद व मानसिक रूप से लाचार व्यक्तियों की मूलभूत आवश्यकताएं उपलब्ध कराएगी ब्लड डोनेशन सोसायटी
:- अमन कुमार "होली"
साहिबगंज :- 25/10/2020. ब्लड डोनेशन सोसायटी साहिबगंज के अध्यक्ष मोहम्मद शाहबाज आलम एवं निदेशक अमन कुमार होली के संयुक्त नेतृत्व में जिले के चौक-चौराहों तथा सड़कों में भूख से व्याकुल जगह-जगह मारे-मारे फिर रहे गरीब, मानसिक रूप से लाचार व्यक्तियों के देखभाल व उनके मूलभूत आवश्यकताओं जैसे भोजन, वस्त्र तथा रहने योग्य आवास का इंतजाम करने के लिए एक मुहीम चलाया जा रहा है। निदेशक अमन कुमार "होली" ने कहा कि बीते महीनों से साहिबगंज जिला में ऐसे लोग बहुतायत संख्या में जगह-जगह सड़कों पर देखे जा सकते हैं जिनकी समाज के एक बड़े तबके की निगाहें नहीं जा रही है।ऐसे में एक मानव होने के नाते हमारा एक कर्तव्य हो जाता है कि हम दूसरे मानव के भावनाओं को कद्र करें । यदि किसी व्यक्ति को मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो पा रही हो तो सक्षम तथा देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा एक कर्तव्य बन जाता है कि हम हैं ऐसे लोगों की जिम्मेदारी को उठाएं। वही अध्यक्ष मोहम्मद शाहबाज आलम ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से भी ऐसे लोगों को मूलभूत अधिकार उपलब्ध कराने का कोई व्यवस्था नहीं किया जा रहा है और वे उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं। आवास वस्त्र और भोजन पानी के अभाव में वे रेलवे स्टेशन परिसर , शहर के गली मोहल्लों में इधर-उधर  लोगों से भिक्षा मांग रहे हैं। उनके शरीर में ना तन ढकने के ज़रुरी कपड़े हैं। इस दृष्टि में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता को महसूस करते हुए ब्लड डोनेशन सोसायटी ने यह जिम्मेदारी उठाई है कि ऐसे लोगों की मदद करने के लिए लोगों को एकजुट करना। बीते 2 महीने से ब्लड डोनेशन सोसायटी साहिबगंज इस तरह के जरूरतमंद व्यक्तियों को भोजन उपलब्ध करा रही है। लेकिन हमारी मांगे जिला प्रशासन से यह है कि ऐसे लोगों के लिए वस्त्र भोजन और रहने का इंतजाम यथासंभव किया जाना चाहिए। इस कार्य में ब्लड डोनेशन सोसायटी साहिबगंज के दर्जनों स्वयंसेवक अपनी सहभागिता निभा रहे हैं। सोसाइटी के ही सक्रिय स्वयंसेविका ज्योति कुमारी ने बताया कि चौक बाजार, सब्जी मंडी, बाटा रोड , दहला , चैती दुर्गा , सकरोगढ, तथा स्टेडियम रोड  जैसे क्षेत्रों में ऐसे लोग देखें जा रहे हैं। हमारा उद्देश्य केवल और केवल मानवता का सेवा करना है और पूरी सक्रियता और तन्मयता के साथ यह कार्य किया जा रहा है इसमें  शहर के लोगों की भी सहयोग की आवश्यकता है साथ ही साथ जिला प्रशासन का ध्यान भी इस ओर आकृष्ट करना है। ताकि हमारा समाज, सशक्त तथा सुदृढ़ बने।
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घरों की "ताज" है बेटियाँ..!
जिन्दगी की "शाज़" है बेटियाँ 
हर घर की "ताज" है बेटियाँ 
"खुदा" का दिया उपहार है बेटियाँ 
माँ बाप की 'शान" है बेटियाँ 
हर घर की लक्ष्मी और 
"समाज" की चिराग है बेटियाँ
उजड़ते वंशजों का दवा है बेटियाँ
दुआ है बेटियाँ, इबादत कुबुल का 
एक जरिया है बेटियाँ
जिस घर मे हो उस घर को 
रौशन कर देती है बेटियाँ
बेटी से बहू, बहू से माँ, माँ से दादी, 
दादी से बुढ़ी माँ बन जाती है बेटियाँ
सीता है बेटियाँ दुर्गा है बेटियाँ
सरस्वती है बेटियाँ, पूजा है बेटियाँ 
महिमा है बेटियाँ आराधना है 
बेटियाँ उपासना है बेटियाँ 
जिन्दगी की "शाज़" है बेटियाँ 
हर घर की "ताज" है बेटियाँ 

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पैसा..!

पैसा यह होता है कैसा..??
गरीब को होशियार बना देता है 
यह पैसा
गूंगे को जबान दे देता है 
यह पैसा 
छोटे को बड़े, बड़े को छोटा कर देता है 
यह पैसा
भाई को भाई से दोस्त को दोस्त से जुदा कर देता है 
यह पैसा....
जिन्दगी रंगीन बना देता है 
यह पैसा
अपनी औकाद भुला देता है 
यह पैसा
पैसा यह होता है कैसा..?
भूख मिटा देता है 
यह पैसा
मुजरिम बना देता है 
यह पैसा
खूनी बना देता है 
यह पैसा
कहा से कहा पहुचा देता है 
यह पैसा
यह पैसा होता है कैसा..?

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भारतीय अन्नदाता..!
"मै" हुँ अन्नदाता, 
खुद भूखे रहकर 
दूसरों को अन्न उपज कर देता।
"मै" हुँ अन्नदाता 
मजबुरी मे खेतों पर मजदूरी करता ।।
सारा-सारा दिन खेतों मे ही रहता, 
फिर रात को भूखे ही सो जाता 
हाँ मै हुँ भारतीय अन्नदाता
महाजन के खेतों मे काम करता 
पूरी जीवन कर्जो मे ही दबे रहता
"हाँ" मै हुँ अन्नदाता
सबको मै अनाज उपज कर देता
मेरा ही परिवार भूखा नंगा रहता
हाँ मै हुँ अन्नदाता
रोज सवेरे ही उठ जाता 
बैलो को लेकर खेतों को जाता 
बिना वस्त्र के नंगे शरीर मे 
कड़ी धुप मे दिन भर काम करता ....
हाँ "मै" हुँ अनदाता 
हाँ मै कहलाता अन्नदाता
लेकीन मेरे घरों मे ही 
एक दाना तक़ नही रहता।
मै हुँ अनदाता.....
कर्ज लेकर फसल उपजाता
जब सुखा पड़ जाये 
तो आत्महत्या कर लेता।
हाँ मै हुँ अनदाता.....
सभी महाजनों के खेतों को जोतता 
फसल उपज कर महाजन को देता
मेहनत सालो-साल करता 
मेहनत का फल कभी नही मिलता 
हाँ "मै" हुँ अनदाता.....
अपनी हानि कभी नही देखता
फिर खेतों पर बैलो की भांति काम करता 
हाँ "मै" हुँ भारतीय अनदाता...


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बेटे से अनमोल होती है बेटियां..!
जब रुलाते है बेटे, 
तब आंसू पोछती है बेटिया,
जब माँ-बाप को ठोकर मारते है बेटे, 
तब अपनाती है बेटियां...
जब घर से निकाल देते हैं बेटे 
तब अपने पास रखती है बेटियां.....
शादी के बाद मां-बाप से बिछड़ने पर 
सबसे ज्यादा दुखी होती है बेटियां....
बेटे से ज्यादा मोहब्बत 
मां-बाप से करती है बेटियां...
मां बाप के आंखों में जरा सा भी आंसू 
देख बर्दाश्त नहीं कर सकती है बेटियां...
जब दुनिया छोड़ चले जाते हैं माँ-बाप 
तब सबसे ज्यादा रोती है बेटियाँ.....
मां-बाप के मरने के बाद 
मायके से पराई हो जाती है बेटियां.....

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बहन मनीषा को  इंसाफ दो..!

आज जो बहन मनीषा का 
जिस्म निचोड़ा गया
जो खून जिस्मों पर पड़ी थी,
वही बलत्कार के बाद बेजान-सी
सड़क किनारे कष्ट में पड़ी थी।
न किसी ने मदद किया 
न ही किसी ने आवाज उठाया,
जब तक़ जिन्दा थी 
उसके बलत्कार के बारे में 
बार-बार पुछा गया।
जब मरी तब मगरमच्छ के आंसू 
बहाने सभी सड़कों पर उतर आए
ना ही उसे इंसाफ मिला 
ना ही किसी ने इंसाफ दिलाया,
जो अंजा ए बलत्कार दरिंदे दिए थे 
वो हूबहू इंसान जैसे थे, पर इंसान नहीं थे।
मन की प्यास कुछ भूखे भेड़ियों ने
एक भाई की बहन, माँ-बाप की बेटी को  
सुनसान खेतों में बारी-बारी से शोषण किया।
उस वक्त ना तरस आया 
ना खौफ ए खुदा आया।
वासना कामुक में यूं मदहोश था 
कि ना किसी की बहन याद आया,
ना किसी की बेटी पर परवाह आया। 
न किसी को अपनी मां याद आया 
ना अपना बहन याद आया,
एक दरिंदे भेड़िए के जैसा 
शिकार जो पाया शिकार जो किया।
मनीषा को इंसाफ दो

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कोरोना ने स्वतंत्रता दिवस का उल्लास किया फीका..!
बरहैट:- 15/08/2020. प्रखंड के सभी सरकारी कार्यालयों निजी संस्थानों क्लब आदि जगहो में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया, भोगनाडीह वीर शहीद सिदो कान्हू की भूमि जन्मस्थल बंगला घुटू शहीद स्थल पंचकठिया बाबूपुर में प्रखंड विकास पदाधिकारी सोमनाथ बैनर्जी, प्रखंड कार्यालय में सिला टूडू ने झंडोतोलन किया पुलिस निरीक्षक कार्यालय पुलिस निरीक्षक थाना प्रभारी श्री टी एन झा बरहैट झामुमो प्रखंड कार्यालय में प्रखंड अध्यक्ष राजाराम मरांडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरहैट में प्रभारी डॉ अरविंद कुमार और बोरियो प्रखंड कार्यालय में प्रमुख मंडल मरांडी झामुमो जिला कार्यालय में अध्यक्ष शाहजहां अंसारी ने झंडा तोलन किया..! वहीं वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण स्वतंत्रता दिवस वित्तीय वर्ष के अपेक्षा इस कोरोना काल महामारी के कारण  फीका रहा जहा कोरोना महामारी ने स्वतंत्रता दिवस का उल्लास भी फीका कर दिया । स्वतंत्रता दिवस के सुबह शहर के चौक-चौराहों से लेकर जिला के गाँधी चौक सिदो कान्हू स्टेडियम तक वह रौनक इस बार ढूंढने से भी दूर दूर तक कहीं दिखाई नहीं दिया जो कि आजादी के बाद से लेकर अब तक दिखाई देती रही है। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण स्कूलों के बंद रहने से भी विद्यार्थियों में भी पर्व को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाई दी, सभी बच्चे मायुस दिखे जबकि विगत वर्षो में स्वतंत्रता पर्व से पूर्व ही विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न तरह के कार्यक्रमों में भागीदारी लिए जाने को देखते हुए उनके द्वारा तैयारियां शुरू कर दी जाती थी, कोई टीम भागड़ा, तो कोई गिद्दा तो कोई टीम नाटक, डांस, कविता आदि प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे, परंतु इस बार न स्कूल स्तर कोई प्रोग्राम हुआ न ही जिले में कोई कार्यक्रम  हुआ और न ही जिला स्तर पर जहा सिदो कन्हू स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम होता था विगत वर्षो में देखने को मिला था  स्वतंत्रता दिवस से पूर्व ही विद्यार्थियों को तिरंगा लेकर आते-जाते हुए देखा जा रहा था, परंतु इस बार तो तिरंगा बनाकर बेचने वाले लोग शहर में दिखाई दे रहे है और न उन्हें खरीदने वाले बच्चे दिखाई दिये जिन कुछ दुकानदारों द्वारा पिछले साल के तिरंगे दुकानों पर रखे गए है, उन्हें खरीदने वाला कोई खरीददार तक नहीं मिल रहा है..! न ही मिठाई दूकानदारो के पास कोई ओर्डर आया न ही किसी हलवाई ने मिठाई बुंदिया नमकीन बनाया यदि किसी ने बनवाया भी होगा तो  वित्तीय वर्ष जैसा नहीं  किसी ने तो किसी नही खरीदा बिना मुह मीठा किये ही  कुछ  लोगों ने मिलकर झंडा तोलन किया।साहिबगंज महाविद्यालय एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ रंजीत कुमार सिंह ने भी एनएसएस के सभी छात्रों को ऑनलाइन वर्चुअल विचार गोष्ठी के माध्यम से स्वतंत्रता दिवस के परिपेक्ष में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि 74 साल पहले स्वतंत्रता सेनानियों के असीम बलिदान देश भक्ति व देश के सपूतों के द्वारा भारत को स्वतंत्र कराने हेतु जितना बलिदान दिया गया उनका कर्ज भारत के नागरिक कभी नहीं चुका पाएंगे। असल में स्वतंत्रता दिवस उन्हीं वीर सपूतों की वीर गाथा ओं की याद दिलाती है। कुर्बानियों को याद कर हम प्रतिवर्ष स्वतंत्रता दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं ताकि भारत की संप्रभुता अक्षुण्ण रह सके।आज देश के नागरिकों का यह कर्तव्य होता जाता है कि देश को आगे बढ़ाने के लिए देश का हर एक नागरिक बड़ा से लेकर छोटा तक अपने अपने जिम्मेदारियों को समझे और उनके अनुरूप कार्य करें। तभी देश का कल्याण संभव है देश का विकास संभव है।
वही साहिबगंज कॉलेज साहिबगंज के छात्र अमन कुमार होली ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि किस प्रकार भारतीय सेनानियों ने अंग्रेजों के दमन को साकार भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से आजाद कराने हेतु 200 वर्षों की कठोर लड़ाइयां लड़ी, अंग्रेजों की लाठियां खाई, जेल की कठिन से कठिन आत्माओं को सहा, यह स्वतंत्रता दिवस उन्हीं बलिदानी ओके वीर गाथाओं को याद करने का दिन है। देश के वीर सपूतों स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान तभी हो सकेगा जब सच्चे अर्थों में भारत आत्मनिर्भर, भ्रष्टाचार मुक्त सभी को समान अधिकार मिले, अमीर और गरीब के बीच की सामाजिक खाईयां खत्म कर दी जाए। युवा पीढ़ी देश की तरक्की के विषय में सोचें लोगों को रोजगार का अवसर उपलब्ध हो। साथ ही साथ यह बताते चलें कि इस बार  सभी एनएसएस के स्वयं सेवक कोरोना के कारण अपने अपने घरो से ही ऑनलाइन माध्यम से एक दुसरे को स्वाधीनता दिवस की शुभकामनाएं दी।



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जल बचाओ, कल बचाओ..!

कभी जल की किमत को, 
हम अदा नहीं कर सकते ।
बिना पानी के जीवन में,
हम रह नहीं सकते ।।
आओ बचाये जल के हर बूंद को,
हम एक साथ  मिलकर ।।
भूखे तो कई दिनो तक रह सकते है, 
लेकीन प्यासे रह नहीं सकते।।
कभी जल की महत्ता को,
“बयाँ” हम कर नहीं सकते
बिना नीर के हम जी नही सकते।
पेड़ लगाओ नीर बचाओ
आओ मिलकर बचाओ जल मीनार
प्राणों की रक्षा की खातिर याद रहे 
हर बार बचाये पानी की जलधार।।
जब जल रही थी दुनिया बचाया पानी ने, 
अगर आज पानी की करोगे बर्बादी रहोगे नुक्सानी मे।।
बूंद–बूंद को मोती समझे, दिल माँ की तरह प्यार।।
आओ जल बचाये इस महामारी मे अबकी बार..!



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मजदूर कभी पीछे नही हटा..!

मेहनत से न पीछे रहता
कभी काम से न ये डरता
पर्वत काट कर राह बनता
हर काम ये दिल से करता 
अपनी परवाह कभी न करता 
चंद पैसो के लिए अपना
तन-मन लगाता 
न दौलतमंद बनने के लिए मेहनत करता 
न राजा महाराजा कभी बन पता
एक वक़्त की रोटी की खातिर 
तपती धुप मे दिनभर काम ये करता 
मजदूरी करता मजबुरी मे 
न ही कभी ये चोरी करता 
न ही कभी किसी का रुपया पैसा लुटता 
मेहनत करता मेहनत करता 
रोज सवरे ये उठ जाता 
मीलो दूर ये पैदल चलता
दिन को कमाता रात को खाता 
फिर भी ये अपने दुनिया मे खुश रहता
इस महामारी मे कुछ भी न खाता 
भूखे प्यासे पड़ा रहता 
न दिन को खाता न रात को खाता
इनकी जिन्दगी भगवान भरोसे चलता
झोपड़ी मे पुरा परिवार रहता 
सर्दी हो या गर्मी (वर्षा) वाली रात कभी न सोता

छत के उपर चांद और सूरज दिखता 
फिर भी ये खुश रहता

न कभी किसी से सिकायत करता 
न ही किसी के सामने आंसू बहता 
दिन भर काम करता 
कम मजदूरी लेकर भी घर चल जाता।
ये मजदूर कहलाता, मजदूर कहलाता, 
मजबुरी मे मजदूरी करता 
नव निर्माण श्रमिक कहलाता



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कोरोना काल में जरूरतमंदों के  मसीहा बने एन०एस०एस० वॉलिंटियर्स..।
साहिबगंज :- कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में राष्ट्रीय सेवा योजना (एन०एस०एस०) के छात्र-छात्राओं ने कमान संभाली है। ये स्वयंसेवक जिला एवं पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। साहिबगंज महाविद्यालय के छात्र एनएसएस स्वयंसेवक बरहेट सनमनी निवासी मो. शाहबाज आलम कोरोनावायरस के इस दौर में गरीबों और जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर उभरे हैं। लॉक डाउन के कारण रोजगार खत्म हो जाने  से बरहेट सुदूरवर्ती आदिवासी बहुल चंद्रपुरा में मो. आलम ने गरीबों हेतु दो दो किलो चावल दाल और आलू एवं बच्चों के लिए बिस्किट चॉकलेट आदि के पैकेट बनाकर निस्वार्थ भाव से लोगों तक पहुंचा रहे हैं। साथ ही साथ खुद से 100 से ज्यादा  फेस मास्क  तैयार कर  मजदूरों एवं ग्रामीणों के बीच बांट रहे हैं।भोजन सामग्री के इंतजाम में अध्यक्षता श्रीमती रेणुका मुर्मू ने भी मदद की और शाहबाज के योगदान की प्रशंसा की। एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ रंजीत कुमार सिंह ने मो. शाहबाज के इस कदम की सराहना करते हुए बधाई दी है। साथ ही साथ उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है उन्होंने कहा है  कि लॉक डाउन में बहुत सारे एनएसएस वॉलिंटियर्स ने गरीब एवं जरूरतमंदों के लिए निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने कहा एनएसएस का मोटो है नोट नहीं बट यू यानी मैं नहीं आप । एनएसएस का एकमात्र लक्ष्य लोगों की निस्वार्थ भाव से सेवा करना है। बहुत सारे एनएसएस वॉलिंटियर्स विभिन्ना स्थानों में कोरोनावायरस के खिलाफ हो रहे जंग में अपने-अपने तरह से भूमिका अदा की है। एनएसएस वॉलिंटियर्स अनामिका कुमारी और अमन कुमार होली , बच्चों को पढ़ा कर सामाजिक सेवा में अपना योगदान दे रहे हैं । वही मोहम्मद शाहबाज आलम का कहना है कि उन्हें इस कार्य के लिए कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ रंजीत सर और उनकी माताजी बीबी मेहरून से प्रेरणा मिली। जो भी प्रवासी मजदूर भाई अपने गांव कस्बे या मोहल्ले में आ रहे हैं तो चिकित्सा वार्ड एवं प्रशासन को बारे में जानकारी देकर साथ ही साथ 14 दिनों का क्वारेंटीन कोर्स पूरा करके ही अपने घरों के सदस्य या परिवार से मिले। वही बताते चलें कि इस अवसर पर शाहबाज के पिताजी अकीमुद्दीन अंसारी मां बीबी मेहरून  को अपने बेटे के इस कार्य से बहुत खुश है। उन्होंने कहा की आज के दौर में लोगों को कदम से कदम मिलाकर परोपकार के कार्य में अपना भूमिका अदा करें।  भाई महफूज और  तबरेज बहन शरीना परवीन अपने भाई के द्वारा की जा रहे हैं इस कार्य तो खूब सराहा है। इस अवसर पर मोहम्मद शाहबाज के सहयोगी साथी संतोष कुमार, निसार अहमद, वार्ड सदस्य लालू मुर्मू , दुगु मरांडी बाले हांसदा, हरि मुर्मू, सकला मुर्मू, भगत सोरेन, प्रधान मरांडी , चौरण सोरेन महफूज आलम तबरेज अंसारी साकिब अली साथ ही साथ सैकड़ों की संख्या में आदिवासी ग्रामीण मौजूद थे..!

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दुख: के वक़्त में खुशी का ये त्यौहार ईद..!

ईद का मतलब खुशी
खुशियों का है ये त्योहार
30 रोजा पुरा करने वालो का है ये त्यौहार
आज कोई खुशी तो कोई गम से मना रहा है ये त्यौहार
कोरोना का कहर और गरीबों का मारा-मारा सा है ये त्यौहार
शुक्र कर रब का तू अपने घर में है इस त्यौहार
हाल पूछ उससे जो अटका सफर में है इस त्यौहार
शक़्ल तक नही दिखी किसी को 
किसी की" आज बेबसी छाई है इस त्यौहार
कोई हॉस्पिटल में बेसहारा है"..
"तो कोई कब्र में पहुचा इस त्यौहार
तेरे घर में भरपूर राशन होगा, 
मीठी सेवइयां दुध दही 
इस ईद की तयारी पूरी हो गई होगी".
तू जरा सोच उसका जो"...
दो वक़्त की रोटी की फ़िक्र में है
और ईद मनाने को रो रहे है पुरा परिवार
तुम्हें किस बात की जल्दी है"..
गाड़ी में घूमने की"....
बाजारों से नये-नये कपड़े खरीदने की 
नया जुता चप्पलें आदि
कफन खरीदने के आलम में 
नया-नया पहनने की
अब तो सारी की सारी क़ायनात ही सब्र में है"
30 रोजा घर पर हुआ ईद भी घर पर मना लेंगे 
अभी भी तुम किसी भरम मे  मत रहना दोस्तों".
की ईद आई है खुशियाँ मनाएंगे..
उपरवाले आज.....
इंसानों की नही सुनता"..
आज़कल ये क़ुदरत अपने ही सुर में है"।

अपील :- सभी भाईयों से जिस तरह हमलोगों ने 30 रोजा जूमा का नमाज घर पर ही अदा किये ठीक उसी तरह ईद की नमाज भी घरों मे अदा करे..। घर पर रहें, घरों से ही ईद मनाए..! नये कपड़ों के बजाए गरीबों को कुछ समान खरीद कर दे..। लॉक डाउन ईद मुबारक..!

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दिल की बात, गुप्त दान महादान..!
आज मैं अपने अंतरात्मा की अनुभूति आप सभी मित्रों से शेयर करने जा रहा हुँ..। जैसा की आप सभी जानते ही है की देश मे कोविड 19 वैश्विक महामारी जारी है..। और उपर से कई दिनों से लोग बेरोजगार बैठे है, इस बेरोजगारी मे सबसे ज्यादा समस्या मध्य वर्गों को हो रही है..। और सामने मुस्लिम सामुदाय का ईद त्यौहार है..! ऐसे में गरीबों को सबसे ज्यादा मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है..। इसी तंगी को देखते हुए मैंने आज अभी अपने बाइक के जरिये अपने गाँव का दौरा किया और लोगो से ईद की तैयारीयों को लेकर जानकारी हासिल किया व हाल-चाल जाना..! जानकारी के दौरान बहुत ऐसे लोग मिले जिन्हें मैं यथासंभव आर्थिक मदद करना चाहा..। किसी ने लेने से इन्कार किया, तो कोई लेते-लेते खुशी के आंसू बहा दिये और आशीर्वाद भी मिला..! कई ऐसे भी दिखे जिसे आर्थिक मदद करने में मुझे डर लगा की कही मना न कर दे, लेकीन वह मेरे नजर मे भी अत्यंत ही गरीब है..। मैने अभी जितने को आर्थिक मदद किया उनका न ही फोटो ना वीडियो लिया..! मेरी अंतरात्मा उन सबका फोटो लेने से इन्कार कर रही थी..! आज मुझे बहुत खुशी मिली उन सबको यथासंभव मदद कर पाया और बहुत ही दुख भी लगा की समाज में ऐसे लोग भी रह्ते है जो भूखे रहना पसंद है लेकीन मांगना पसंद नही करते..! कई लोग 10 रुपया देते है और 100 फोटो ले लेते है। शायद इसी करण आज मदद लेना पसंद नही लगा होगा..। आज वैसे जो लोग मुझे मिले जिसने मदद के रूप में रुपया लेने से इन्कार किये मैने सोचा है की उनलोगों को मै गुप्त दान करू..! उन्हे बिना बताये उनके घर के आँगन पर पैसें फेंक कर रख दूं, ताकी उन्हे इसका अन्दाजा भी न लगे की किसने दिया और क्यों दिया, शायद वे ऊपर वाले का रहमत समझ कर रख लेंगे, मना नही कर पायेंगे और इसी तरह उन्हे मेरे तरफ से मदद मिल जायेगी और उनका जरूरत भी पुरा हो जायेगा..। मुझे गर्व है की मैने ये सब मेरे गुरु डॉ० रणजीत कुमार सिंह से सीखा है और प्रेरणा भी मिला है। मैं ऐसे गुरु जी का शिष्य हो कर धन्य हो गया..। आपका बहुत-बहुत आभार सर की आपने मुझे एन०एस०एस० का सक्रीय स्वयं सेवक का दर्जा दिया..। 

अपील :- मेरे एन०एस०एस० मित्रों दान ऐसा करे की दाएँ हाथ से करे तो बाये हाँथ को मालुम न चले..!


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अनमोल हैं बेटियाँ..!

मैं बेटी हुँ मुझे बेटी ही रहने दो
आज मुझे जी भर के कहने दो
लोगों ने कहा बेटी हो 
शादी करके ससुराल चली जाओ
काम, नौकरी वह सुख नही देगा जो बच्चे देगा
अपनी जिन्दगी को यू बेकार न करो,
जाओ शादी कर लो
अपने ही घर माँ-बाप के बोझ न बनो,
हम बेटी बोझ नही है 
ये अक्ल लोगों को कब आयेगी..?
आखिर बेटी ही कब तक़ पर्दों में रहेगी..??
घर से बाहर निकलते ही,
बदनाम हो जाती है बेटियाँ..!
बेटा रात-रात भर पार्टी करें, 
इन पर रोक कौन लगायेगी..??
आज हम बेटियाँ कही भी सुरक्षित नही रहे
स्कूल कॉलेज के रस्तो मे दरिंदे बैठे रहे।
मंदिर-मस्जिद तक इनकी नापाक इरादा नही रुकती
अकेले मिल जाये तो जात-पात, 
छोटी-बड़ी नही देखती..
दिल भर गई है 
इस बेमतलब दुनिया से
कोई आज काबिल नही रहा 
हम लड़कियो के इज्जत बचाने 
इज्जत लुट जाती है 
तब आते है हमे इंसाफ दिलाने
पहले खुद खड़े-खड़े देखते रह्ते है 
हमारी खौफनाक मंजर
फिर चले आते है मगरमच्छ के आंसू बहाने
मै बेटी हुँ, मुझे बेटी ही रहने दो
आज मुझे जी भर के कहने दो

आज मुझे जी भर के कहने दो.....

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सबसे बड़ी बीमारी..!
कोरोना से भी बड़ी बीमारी,  
वो है गलतफहमी, जी हां.......
हिंदू-मुस्लिम करा देता है गलतफहमी,
भाईचारा को मिटा देता है ये गलतफहमी ,
माँ को बेटे से, भाई को बहन से लड़ा देता है..
गलतफहमी 
अच्छे-बुरे को खराब कर देता है...
ये गलतफहमी 
भाई-भाई में दुरियां बढ़ा देता है...
गलतफहमी 
पवित्र रिश्ता पति-पत्नी को भी 
पल भर मे जुदा कर देती है, 
ये गलतफहमी 
दुनिया का सबसे बड़ा रिस्ता दोस्ती,
इसे भी खत्म कर देती है 
ये गलतफहमी
जिन्दगी को नर्क बना देती है 
ये गलतफहमी ।।
(नोट :- मित्रों कोरोना के साथ-साथ सबसे बड़ी बीमारी गलतफहमी इससे खुद बचें और अपने परिवार दोस्तों को भी बचायें..! मेरा ये संदेश उन लोगो के लिए जो आज इस गलतफहमी का शिकार होकर अपने परिवार वालो के साथ दुरिया बना रखे है। इस महामारी मे यदि आप किसी से नफरत करते है तो मुझे आप पर शक़ है की आप एक इंसान हो)

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एन०एस०एस० परिवार के ओर से वीर शहीद 170 बटालियन, सी०आर०पी०एफ० जवान श्री मुन्ना यादव जी को नमन करते है...।
आज फिर से हमने देश का एक लाल खोया है।
आँखों में आंसू आया, दिल जार-जार रोया है।

मैं इनके कुर्बानी पर नमन करता हूं।
पुष्पांजलि, श्रद्धा सुमन अर्पण करता हूं।

कांप गया रूह देखकर शहीद के शव को..
खून खौला मेरा देख के इस मंजर को.....
लिपटा तिरंगे मे जब शव शहीद मुन्ना जी का
हो जायेंगे गर्व से चौड़ा सीना परिवार वालो का

शहीद मरते नही है।
हमेशा के लिए अमर हो जाते है।
देकर कुर्बानी वतन के नाम
शहीद हो जाते है।
दुनिया से दूर नही शहीद होने वाले....
हर दिलों में राज कर जाते है।

रखवाली कर हमलोगों का
लुटा दिये तन अपना
आज शहीद होने के बाद भी,
हम सब याद करते है।
हम सब हमेशा याद करते है।


जय हिन्द, जय भारत..!

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बहू आते ही दुश्मन हो गई माँ..!

हर एक दर्द से दुनिया छोड़ के चल गई माँ
बच्चों के लिए मजबुर हो गई माँ
माँ के पसीने से घर मे आई खुशियाँ
अपनी खुशी खुद ही भुल गई माँ
बच्चों की जिन्दगी की खातिर
अपनी जवानी खो दी माँ
रेंगते-रेंगते कब बड़ा हो गया बेटा
बहू आते ही पराई हो गई माँ
औलादों का कहना है,
बेअक्लमंद हो गई है, माँ
बहू आते ही चुप सी हो गई है, माँ
बहू-बेटे ने खूब सताया
जब सरपंच मुखिया आया मुकर गई माँ,
जब माँ दादी बन गई
तब बहुत खुश हुए थी माँ
कुछ दिनो बाद बूढ़ी हो गई माँ
जरा महंगी माँ की दवाई हो गई
सभी औलादों में फिर से लड़ाई हो गई।।
तुम रखो आज कल मेरे घर थी माँ
अब एक रात के बाद
अपने ही घर पराई हो गई माँ
कब दादी से दाई बन गई माँ
मैंने अपनी आँखों के सामने
जब-जब तुझे बिलखते देखा माँ
तब-तब अपने दिल को धडकने से रोका माँ
मुझे तो याद नहीं वो मंज़र बचपन का,
मुझे प्यार से खाना खिलाती थी माँ
बहू आते ही पाराई हो गई माँ
बहू आते ही दुश्मन हो गई माँ
बहू आते ही मेहमान हो गई माँ
अब हमारी यादों में नजर आयेगी माँ

क्योकी अब दुनिया छोड़ कर चली गई है माँ

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मेरी ये कविता सभी कोरोना योध्दा नर्स (सिस्टर्स) को समर्पित..!
माँ नही है, फिर भी सेवा करती है,
बहन नही है, फिर भी सिस्टर कहलाती है..!
अपनी जान की परवाह न कर,
सबकी सेवा वो करती है..!
किसी से कोई रिस्ता न नाता,
पर स्नेह का भाव दिखाती है..!
रात-रात भर जाग-जाग कर,
हमारे बीमारियों में सेवा करती है..!
जात-पात की भेद-भाव न करके,
अपनी धर्म और कर्म निभाती है..!
अपने घर-परिवार से सुदूर अकेले,
मरीजों को ही परिवार वो मानती है..!
कम पैसे में ही सही,
पर काम वो अपना तन-मन करती है..!
अपने इच्छाओं का गलाघोट कर,
मेकअप और टिक-टॉक वाली दुनिया में,
साधारण सी वो रह्ती है..!
हम बच्चो को सबसे पहलें,
इस दुनिया में वो लेकर आती।
खून से लथपथ बच्चों को सीने से वो लगाती है..!
वो मदर-टेरेसा जैसी वो दिखती..!
वो सिस्टर कहलाती है, वो सिस्टर कहलाती है..!

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स्थानीय मजदूरों और वाहनों को मौका नहीं देने से आसपास के मजदूरों एवं वाहन चालकों में आक्रोश का माहौल..! इंटक जिला अध्यक्ष सद्दाम ने अनुमंडलाधिकारी पंकज कुमार साहू को लिखा पत्र..!
साहिबगंज :- भारतीय राष्ट्रीय मजदूर युवा कांग्रेस (इंटक) के जिला अध्यक्ष मो० सद्दाम हुसैन ने अनुमंडलाधिकारी पंकज कुमार साहू को पत्र लिखकर कहा कि क्रेशर में अवैध रूप से मॉनिंग चालान ओर फावेट आदि का दाम रोज मनमानी रूप से बढ़ाते ही जा रहे है। मारी कुर्ती महादेवगंज स्थित एम०एस० ज्योति कांट्रेक्शन प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा मनमानी रूप से माइनिंग चालान हाईवे आदि का रेट बढ़ाया जा रहा है और लोकल गाड़ियो, वाहनों को मौका नहीं देकर काम नहीं, लेकर बाहर से आए वाहनों का ज्यादा उपयोग किया जा रहा है..। इससे आसपास के मजदूर एवं वाहन चालकों के द्वारा कंपनी के कार्यों को रोकने को लेकर ड्राइवर और चालकों में गुस्सा का माहौल है। इस लॉक डाउन को देखते हुए कंपनी के विरुद्ध भीड़-भाड़ किसी प्रकार का ना लग जाए इसलिए सभी को समझा बुझा कर आगे की कार्रवाई जिला प्रशासन को लिखित रूप से दिया गया..! जिला प्रशासन को  लॉक डाउन में लोगो  को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग इंटक के जिला अध्यक्ष करती हैं..।

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कितनी बदल गई है दुनिया..!

सचमुच, कितनी बदल गई है ये दुनिया
एक दूजे से मिलने पर डरने लगी है ये दुनिया।
शायद हम सबसे कुछ कहना चाह्ती है ये दुनिया
ना जाने कहा से कहा चली गई है दुनिया
इंसान कैद और आजाद हो गई है दुनिया
माना परिवर्तन होना प्रकृति का नियम है।
लेकिन इतनी मतलबी क्यों हो गई है ये दुनिया
कल तक भाग-दौड़ भरी जिन्दगी थी
आज खामोश क्यों हो गई है दुनिया
कल तक़ सब एक दुसरे से लड़ रहे थे,
आज चुप सा हो गई है दुनिया।।
कल तक़ सब हिन्दु ,मुस्लिम कर रहे थे।
आज अल्लाह-अल्लाह
इश्वर-इश्वर कर रही है ये दुनिया
कल तक़ सब कोई लम्बे पैर पसार के बैठे थे
आज सिकुड़ सी क्यो गई है दुनिया
याद करो वाह चकाचौंध भरी चौराहों को
ना जाने आज क्यों
अन्धेरी सी हो गई है ये दुनिया
अंधेरी सी हो गई है दुनिया

कितनी बदल गई है ये दुनिया


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अधुरी सी कहानी, मेरे जूबानी..!

मै आपका नही हुँ लेकिन, आप हमेशा से हमारे हो
आपके दिल में मैं अपना जगह नही बना पाया लेकिन मेरे दिल मे आपके लिए जगह हमेशा रहेगा..!
भले ही आप हमे याद न करे,
लेकिन आपको बिना याद किये हुए,
मै एक पल नही रहता।
मेरे हर शायरी की पहली शब्द हो तुम,
मेरे हर शब्दो की मुकम्मल शायरी हो तुम
तुम मेरे जिन्दगी मे आई हो एक मेहमान की तरह
फिर कल चली जओगी एक मुसाफीर की तरह
मेरे पहली और आखरी मोहब्बत हो तुम
मेरे मोहब्बत की पहली तमन्ना हो तुम।
मै आपके मोहब्बत का काबिल न हो पाया
लेकिन आपके मोहब्बत ने मुझे एक शायर बनाया
मुझे एक शायर बनाया।।


लेख:- क्या वाह जमाना था।
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क्या कॉलेज का जमाना था,
बरहरवा आंटी लॉज मे दोस्तो के संग 
खुशियों का खजाना था।।
हर दिन सुबह जल्दी उठना था
मैथ और  केमेस्ट्री का ट्यूशन भी जाना था,
ट्यूशन से आना फ़ेयर करना 
फिर बी०एस०के० कॉलेज भी जाना था,
कॉलेज से आना, खाना बनाना
कुछ देर आराम करना फिर
फिजीक्स का भी क्लास जाना था।
12th मे साइंस रखना तभी 
हम सबका पागलपन जमाना था ,
घर की जिम्मेदारी और उपर से 
पहाड़ जैसा सेलेबस भी पढ़ना था ।।
शाम होते ही वनांचाल एक्सप्रेस 
ट्रेन को देखने स्टेशन भी जाना था,
दोस्तो संग फाटक के पास 
चाट और समोसा भी खाना था।।
रात को रूम आना फिर रूम पाटनर के साथ,
लड़ाई-झगड़ा भी तो करना था।।
देखते देखते वाह दिंन भी जो करीब आना था
एग्ज़ाम फाइनल के समय 
रात-रात भर जग कर तैयारी भी करना था

जल्दी-जल्दी एग्ज़ाम देना था 
और अपने अपने घर जो भागना था।।
इस लॉक डाउन में 8 साल बाद पुराने दोस्तो को याद करना 
और उन्हे कॉल करना एक अजीब ही बहाना था
Miss U my all College Friends Special my dears

बाजार नही धर्म स्थल खोल दो साहब..! 

बाजार नही मस्जिद खोल दो साहब, 
हमे इद नही रुठे रब को मनाना है।

बाजार नही मंदिर खोल दो साहब 
हमे पूजा नही भगवान को मनाना है।

शराब, पान-गुटखा की दुकाने नही 
किताबों की दूकान खोल दो साहब,
बच्चे बोर होते जा रहे है।।

शराब पान की दुकाने नही
स्कूल कॉलेज खोल दो साहब 
हम बच्चे अपने सलेबस 
भूलते ही जा रहे है।।


बाजार नही मस्जिद खोल दो साहब, 
हमे इद नही रुठे रब को मनाना है।
बाजार नही मंदिर खोल दो साहब 
हमे पूजा नही भगवान को मनाना है।।


कूरियर और पोस्टल सेवायें नही
गरीब श्रमिको के लिए नरेगा मनरेगा काम चालू कर दो साहब 
गरीब तिल तिल पैसे के लिए तरसते जा रहे है।।



मोबाइल  लैपटॉप कपड़े के दुकानें नही साहब 
साईकिल रिक्सा ऑटो रिक्सा E रिक्सा( चालू कर दो साहब 
रिक्सा वालों की परिवार बे सहारा होते जा रहे है।।

बाजार नही मस्जिद खोल दो साहब, 
हमे इद नही रुठे रब को मनाना है।।

नोट :- हमे बिमारी से नही बिमार से लड़ना है। घर पर रहे सुरक्षित रहे।।


रमजान मे औरतो का खास किरदार..!
रमज़ान मुबारक..!
रमजान मे सबसे ज्यादा खास  
किरदार:-
रमजान के दिनो मे 
औरत सेहरी के वक़्त सबसे पहले जागती है, 
और पुरे परिवार वालों के लिए सेहरी तैयार करती है ।
और  सब से आख़िर में खाती है ।
रोज़ा रखने के बाद भी एक खातुन तेज धुप और दोपहर मे भी अपने बच्चों के लिए खाना तय्यार करती है ।
फिर पुरे परिवार का कपड़ा साफ सफाई और इबादत अल्लाह का बेसुमार करती है।।
फिर 4 बजे के बाद से ही इफ्तारी  तक अपने पुरे परिवार वालों के लिए इफ़्तयारी तैयार करने में लग जाती है ।
फिर 
रात का खाना भी तय्यार करना,  सालान वगैरह तैयार करती है और साथ में यह डर भी रहता है कि पता नही कैसा पका होगा ।

सास और ससुर के लिए अलग चीज़े पकाती है ।
और साथ साथ में इफ़्तयारी से पहले शौहर के गुस्से को सब्र से झेलना भी पड़ता है ।
तारीफ तो दूर की बात । 2-2 रोटियाँ खाने के बाद एक ग्लास पानी मांगना और कहना कि पानी ठंडा कम है।
सर्बत मे मिन्ठा कम है।
और वो बहू बहन चुपके से किसी कमरे में इफ़्तयारी करती है । 
तरावीह के पहले  सभी के लिए चाय और कोफी तैयार करती हैं ।
और फिर तराविह नमाज के लिए मोसल्ले मे लम्बी नमाज अदा करने मे मस्गुल हो जाती है।
नमाज से फारिग हो कर सबको खाना खिला कर पुरे परिवार का बरतन भी साफ करती है।
तब जा के आराम करती है।।

और फिर से सेहरी में सब से पहले जागती है ।⏰⏰

अगर ख़ुदा न ख़स्ता नही जागी या लैट हो गयी तो सारे खानदान का गुस्सा बेचारी औरत पर गिरती है....सारा दिन ।


खास अपील..! आप से दरख्वास्त है कि घर की सारी औरतो को खास कर रमजान के दिनो मे जीतना हो सके इस लॉक डाउन पर माँ हो, बीवी हो, बेटी हो, बहन हो या कोई और रिश्ता हो । उनका खाना बनाने मे या इफ्तारी बनाने मे भरपुर मदद करे। उनका लाज़मी से ख्याल रखे, आखिर वो भी हमारी तरह इंसान है और हमारे ही अपने खून है।। वैसे अल्लाह पाक कहते है रमजान के दिनो मे हर कामो का अज्र उसे मिलेगा और मै खुद अपने हाथो से दूंगा, इफ्तरी सेहरी घर के हर काम के बदले अल्लाह पाक नेकी लिख देते है। तो क्यो न हम लोग भी उस नेकियो का हकदार बने और अपने परिवार के मा बहनो बिबियो को मदद करे।। रब राज़ी तो सब राजी..!

प्यारा हदीस..! 
हजरत अली के घर में सबने रोजा रखा। हजरत फातिमा ने भी रोजा रखा, दो बच्चे है उनके अभी छोटे है पर रोजा रखा हुआ है। मगरिब का वक़्त होने वाला है, इफ्तारी का वक़्त होने वाला है, सबके सब मुसल्ला बिछा कर रो-रोकर दुआ मांगते हैं ! हजरत फातिमा दुआ खत्म करके घर में गयी और चार (4) रोटी बनाई, इससे ज्यादा उनके घर में अनाज नही है।
हजरत फातिमा चार रोटी लाती है। पहली रोटी अपने शौहर अली के सामने रख दी, दूसरी रोटी अपने बड़े बेटे हसन के सामने, तीसरी रोटी छोटे बेटे हुसैन के सामने रख दी और एक रोटी खुद रख ली।
मस्जिद-ए-नबवी में आजान हो गयी, सबने रोजा खोला, सबने रोटी खाई
मगर दोस्तो अल्लाह की कसम वो फातिमा थी जिसने आधी रोटी खाई ओर आधी रोटी को दुपट्टे से बांधना शुरू कर दिया ! ये मामला हजरत अली ने देखा और कहा के फातिमा तुझे भूख नही लगी, एक ही तो रोटी है उसमे से आधी रोटी दुपट्टे में बांध रही हो??
फातिमा ने कहा!! ऐ अली हो सकता है मेरे बाबा जान(नबी पाक)को इफ्तारी में कुछ ना मिला हो, वो बेटी कैसे खायगी जिसके बाप ने कुछ खाया नही होगा?
फातिमा दुपट्टे में रोटी बांध कर चल पड़ी है उधर हमारे नबी मगरिब की नमाज़ पढ़ा कर आ रहे हैं हजरत फातिमा दरवाजे पर है देखकर हुजूर कहते हैं ऐ फातिमा तुम दरवाजे पर कैसे, फातिमा ने कहा ए अल्लाह के रसूल मुझे अंदर तो लेके चले।
हजरत फातिमा की आंखों में आंसू थे, कहा जब इफ्तार की रोटी खाई तो आपकी याद आ गयी कि शायद आपने खाया नही होगा इसलिए आधी रोटी दुपट्टे से बांध कर लाई हूँ,

रोटी देखकर हमारे नबी की आंखों में आंसू आ गए और कहा ए फातिमा अच्छा किया जो रोटी ले आई वरना चौथी रात भी तेरे बाबा की इसी हालात में निकल जाती। दोनों एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं। अल्लाह के रसूल ने रोटी मांगी, फातिमा ने कहा बाबा जान आज अपने हाथों से रोटी खिलाऊंगी ओर छोटे छोटे टुकड़े किये और हुजूर को खिलाने लगी। रोटी खत्म हो गयी और हजरत फातिमा रोने लगती है, हुजूर पाक ने देखा और कहा के फातिमा अब क्यों रोती हो? कहा अब्बा जान कल क्या होगा?? कल कोन खिलाने आयगा? कल क्या मेरे घर मे चुहला जलेगा ??कल क्या आपके घर में चुहला जलेगा? नबी ने अपना प्यारा हाथ फातिमा के सर पर रखा और कहा कि फातिमा तू भी सब्र करले ओर मैं भी सब्र करता हूँ। हमारे सब्र से अल्लाह उम्मत के गुनाहो को कम कर देंगे।

जहा अल्लाह के नबी S.A.W. हमलोगो के लिए इतना कर गये और आज हमलोग उनके हदीस को नही मान रहे है।


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हाँ मैं मजदूर हुँ, हाँ मैं मजबूर हुँ..!

मैं एक मजदूर हूं, 
हाँ मैं मजबूर हूं।
"रब" के रहमतों से कोसों दूर हुँ,
हाँ मैं मजदूर हुँ।।

दूसरों का छत बनता हुँ।
पर खुद घर बेछत वाला में रहता हुँ।।
हाँ मैं मजदूर हुँ, हाँ मैं मजबूर हुँ l
"रब " के रहमतों से कोसों दूर हुँ।।

हर सुबह मैं चिड़ियों से पहले उठ जाता हुँ।
बिन खाए-पिये काम के तलाश में निकल जाता हुँ..!
आराम छोड़ कर आराम कमाने मीलों दूर पैदल जाता हुँ।।

दिन को कमाता हुँ,
तब जा के रात को खाता हुँ।।
हाँ मैं मजदूर हुँ, हाँ मैं मजबुर हुँ।।

मेरा भी भरा पुरा परिवार है।
बेटा है-बेटी है, माता है-पिता है ll 
परिवार में सिर्फ मैं ही कमाता हुँ।
एक दिन कमाता हुँ, एक ही वक़्त खाता हुँ 
फिर भी मैं खुश हुँ।।

"रब "के रहमतों से कोसों दूर हुँ।
हाँ मैं मजदूर हुँ, हाँ मैं मजबुर हुँ।।

बदन में एक ही वस्त्र है,
उसी को हफ्ते भर पहनता हुँ।
इसी कपड़े को ईद में पहनता हुँ,
होली मे भी पहनता हुँ।।
हाँ मैं मजदूर हुँ, हाँ मैं मजबूर हुँ l 
"रब "के रहमतो से कोसो दूर हुँ,
हाँ मै मजदूर हुँ,

खास अपील..! इस मजदूर दिवस पर आप तमाम बिल्डरों से मजदूरों को काम कराने वालों से

मजदूरों का पसीना सूखने से पहले उसे मजदुरी दे देना आपके रुपयों से ही उस गरीब मजदूर के पुरे परिवार को एक वक़्त का खाना नसीब होता है..।। आप तमाम देशवासियों और जिला वासियों को मजदूर दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..!

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     (D-D, N-N) 
दादा-दादी, नाना-नानी,
करनी है अब इनकी निगरानी..!

आओ खाते है कसम
आओ......खाते है कसम

अब हम भी लडेंगे कोरोना के संग....
दादा-दादी, नाना-नानी
अब ना करना अपनी नादानी
अब करनी है,
हम युवाओ को इनकी निगरानी।

यदि इस महामारी मे,
अगर न हो हमारी
नाना-नानी तो कौन सुनाएगा..??
हम बच्चों को परियों की प्यारी सी कहानी,

अब हम युवाओ को करनी है।
इनकी निगरानी
नाना-नानी, दादा-दादी की निगरानी।।

अब हम सबको दूर करनी है।
दादा-दादी, नाना-नानी की परेशानी।।

यह लॉक डाउन न लगे इन्हे डरावनी।

एक-दुसरे के सहयोग से
हम सब मिल के दूर करेंगे उन सबकी परेशानी

दादा-दादी, नाना-नानी,
अब ना करना अपनी नादानी
अब करनी है हम युवाओ को इनकी निगरानी
दादा-दादी की निगरानी।।

नोट:- अपनी सुरक्षा स्वयं करे..! लेकिन दादा-दादी, नाना-नानी की रक्षा कौन करे..??
आओ एक कदम इस कोरोना पर अपना भी योगदान दे।। हमारी भी जिम्मेबारी होती है।
लॉक डाउन का पालन करते हुए अपने आस-पड़ोस के सीनियर सिटीजन को भी मदद करे।।
Stay home save life.



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क्योकी मै एक बेटी हुँ न..!!

क्योकी  मैं एक बेटी हूं न !
मुझ पर हर राक्षसों की नजर होती है,
मेरे मन से ज्यादा मेरे कपड़े देखते है,
क्योकी मै एक बेटी हुँ न..!

ये गांव, मेरी हर कामों पर नजर रखती है
मेरा भी मन करता है
मैं तुम से ढेर सारी बातें करूं
तुम्हारे साथ दूर चलू 
तुझे साथ नीम के पेड़ के पास बैठूं
मेरा भी मन करता है न 
सहेलियो के संग स्कूल चलू  
उच्च शिक्षा हासिल करू 
लेकिन मै एक बेटी हुँ न..!
क्योकी मैं एक बेटी  हूं न..!

मेरे सपने, मेरी इच्छाएँ, 
सब अंदर ही अंदर दम तोड़ देते है
बस रहना है मुझे एक कमरे में
हर बात पर माँ कोसती है 
हर बात पर भाई डाटते है
हर बात पर हमारी बदनामी है
क्योकी मै एक बेटी हुँ न..!

जब तुम मुझे दूर से देख रहे होते हो
सच में, मैं भी ठहर के तुझे देखना चाहती हूं
लेकिन मुझे इसकी इजाजत नहीं है
जब तुम किसी बहाने मेरे घर  आते हो
मुझसे बाते करते हो 
मै चुप सी रह्ती हुँ 
क्योकी मै एक बेटी हुँ न

मुझसे मेरी मां अकसर कहती है
लड़की कांच की गुड़िया होती है

बेटी..! ऐसा कुछ न करना जिससे हमें शर्मिंदा होना पड़े.
क्योकी तुम एक बेटी हो न !
मुझे याद है मां की हर बात
मुझे तो सिर्फ जीना है 
गांव-समाज और लोगों के मन मर्यादाओं के साथ
क्योकि मै एक बेटी हूं न..!
Stay Home, Save life...


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छठवीं JPSC परीक्षा में अंतिम रूप से चयनित सभी सफल अभ्यर्थियों को हार्दिक बधाई.. शुभकामनाएँ.. जोहार..!!
1.मनोज मरांडी, 2.मिथिला टुडू, 3.अशोक हांसदा, 4.मोनिका बास्की, 5.सुषमा सोरेन, 6.मनोज कु. टुडू, 7.निलेश कु. मुर्मू, 8.चार्लेश हेम्ब्रोम(फ़ोटो नहीं है।)
आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई आप लोगों की बहुत मेहनत का फल आज देखने को मिला है साहिबगंज जिला का नाम रोशन हुआ है और आज आदिवासी समाज का इससे सीख मिला है मेहनत का फल तो मिलता ही है इन लड़का लड़कियों के माता-पिता को भी बहुत-बहुत सारी बधाई हो जो सारी कमाई अपने बाल बच्चों को पढ़ाई में खर्च लगाया है जो आज देखने को मिला l आज आदिवासी समाज में मिसाल कायम होगा की अपने बच्चों को कितनी मेहनत कर अपनी कमाई बाल बच्चे पर खर्च कर पढ़ाई करा कर एक अच्छा परिचय दिया है इसके लिए मेरी ओर से उसके माता-पिता को प्रणाम करता हूं..! जोहार..!

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साहिबगंज के लाल ने किया कमाल, JPSC की छठी सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम प्रयास से मिली सफलता..! 
JPSC की छठी सिविल सेवा परीक्षा का परिणाम मंगलवार को जारी किया गया..! इस परीक्षा में साहिबगंज निवासी मो० इमरान ने प्रथम प्रयास में सामान्य वर्ग ( UN ) से ही सफलता प्राप्त कर एक गौरवपूर्ण उपलब्धी प्राप्त की है..! इमरान शुरू से ही अत्यंत मेधावी छात्र रहे है, उन्होने St. Xavier's School Sahibganj से 10 th. कर DPS दिल्ली से 12 किया है एवं B.Tech - Sastra University , Tanjore ( T.N ) से ECE से इंजीनियरिंग में स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर लगभग 12 वर्ष MNC कम्पनी " Infosys - Tech Mahindra - Wipro & Barclays " जैसी वैश्विक कम्पनियों में देश - विदेश ( लंदन ) में AVP पद पर भी सेवाएँ दी है..! वैवाहिक जीवन एवं कम्पनी के कार्यो की व्यस्तता के बीच यह उपलब्धी प्राप्त करना एक बड़ी उपलब्धी मानी जाएगी..! उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता मो० इमामुद्दीन, माता शौकत जहाँ, भाई, धर्मपत्नी, मित्रों अभिषेक मिश्रा, सुधांशु शेखर, नदीम एखलाक, मो० मुहसिन, सत्यप्रकाश गोस्वामी, मो० सद्दाम हुसैन एवं अपने गुरूजन एन०के० झा, गणेश झा एवं पी०के० विश्वास को दिया है..!

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एक सच "मौत"

बेवजह घरों से निकलने की जरूरत क्या है..?
यमराज / जिब्रिल से आंखे मिलाने की जरूरत क्या है..??

सबको खबर है बाहर की हवा कातिल है..!
फिर भी कातिलो से मिलने की जरूरत क्या है..??

जिन्दगी बहुत कीमती है,उसे संभाल कर रख।
इतने जल्दी श्मशान/कब्रिस्तान जाने की जरूरत क्या है..??

वक़्त बिताने के लिए घरो पर 
प्यारे-प्यारे, नन्हें-नन्हें बच्चे है आपके..!
फिर बेवजह गलियों मे जाने की जरूरत क्या है..??
बेवजह घरों से बाहर जाने की जरूरत क्या है..??
Stay-Home Save-Life.

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Today's voice..!
Neither of the mosque nor of the temple are hungry for the people, 
first of them, my sleep is neither troubled by hymn nor by prayer,
my heart is troubled by death, the young and the toiling farmer,
It should not be a matter of bravery or of loyalty to those who die day - by - day, 
or of family or of fear, 
of soldiers stationed in 24 hours' borders apart from their families, 

of the economy or of the margomere workers who are dying should reach their families...!


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आज की आवाज..! 
ना मस्जिद की बात हो 
ना मंदिर की बात हो
जनता भुखी है 
पहले निवाले की बात हो
मेरे नीन्द को न दिक्कत 
भजन से है न आजान से है
मेरे नींद को दिक्कत तो 
मरते जवान 
और फासी लगाते किसान से है।
न मर्खज की बात हो 
न गद्दारी की बात हो
दिन ब दिन मर रहे 
कोरोना मरीजों की बात हो
न घर की बात हो 
न डर की बात हो 
अपने परिवार को छोड़ कर 
24 घन्टे सीमाओं मे तैनात पुलिस, 
जवानों की बात हो
न अर्थव्यवस्था की बात हो 
न रोजगारी की बात हो
मर रहे पलायन मजदूर 
उन्हे अपने परिवार तक पहुंचाने की बात हो..!

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मुसीबत में फंसे झारखंडी का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम एक ख़त..!

मेरा नाम केदार कुमार साह, पिता-हिरदा साह, मैं झारखण्ड के साहेबगंज जिला अंतर्गत बरहेट का निवासी हूँ..! मैं और मेरा पुरा परिवार बहुत मुसीबत, संकट में है..! लॉकडाउन के कारण मैं अभी हैदराबाद में फंसा हुआ हुआ हूँ मैं अपने परिवार को हेल्प कैसे करू..? कारण यह है कि मेरे बड़े भाई का तबियत पिछले 20 दिन से बहुत गंभीर है, उनका गोलब्लाडर में स्टोन होने के कारण डाक्टरों का कहना है कि इनका आपरेशन करवाना होगा..! लॉकडाउन के मद्देनज़र हम लोग कुछ भी नहीं कर पा रहे है..! माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी मेरे परिवार वाले को आप से बहुत उम्मीद है कि आप हमारी यथासंभव भरपूर हेल्प करेंगे इस लॉकडाउन को देखते हुए..! please help me sir.... My name is = Kedar Kumar sah, My father name is Hirda sah, My brother name is Nandkishor sah, Village- Barhait, Post - Barhait, Dist- sahibganj (Jharkhand)
My contact no is 7463007725, Please help me sir.... immediately 

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ना हिन्दु चाहिये न मुसलमान चाहिये......
ना हिन्दु चाहिये न मुसलमान चाहिये
मेरे देश मे अब अच्छा इंसान चाहिये,
न घर चाहिये न ही दौलत चाहिए 
अब कोरोना मुक्त हिन्दुस्तान चाहिये।।
न ही मंदिर चाहिये न ही मस्जिद चाहिये 
हर कोई मिल के इद और होली मनाए 
अब ऐसा हिन्दुस्तान चाहिये।।
न गीता चाहिये न कुरान चाहिये 
जो दोनो को पढ़े ऐसा इंसान चाहिये।
                      -: अपील :-
मंदिर-मस्जिद, 
हिन्दु-मुस्लिम को लेकर खुब लड़ लिए
अब साथ मिल कर कोरोना से लड़ना है, 
और फिर से जिस तरह 15 अगस्त 1947 मे 
सभी धर्म के लोग एक होकर अंग्रेजो को भारत से भगाये थे 
उसी तरह अब हम लोगो को कोरोना को भी भगाना होगा।
एकता ही बल है 
आओ हमसब एक होकर 
कोरोना मुक्त हिन्दुस्तान बनाए।
सिद्धो-कान्हू जयंती की क्रांतिकारी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं..! जय हिन्द जय भारत..!
               
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                -: गजल :- 
मेरी प्यारी बहना, कोरोना से न डरना
आपकी जीवन खुशियों से भर जाये।
आपके दिल से कोरोना का डर दूर हो जाये 
रहे सलामत आप सपरिवार या खुदाया 
मुझ गरीब की दुआ 
प्यारी परी और पुरे परिवार को लग जाये,
      
गुजरी हुई जिंदगी को कभी याद ना कर,
तकदीर में जो लिखा है उसकी फरियाद ना कर, 
जो होगा वो होकर रहेगा, तु कल की फिकर में
अपनी आज की हंसी को यु बर्बाद ना कर.
हंस मरते हुए भी गाता है 
और मोर नाचते हुए भी रोता है.
ये जिंदगी का अजीब खेल है,
दुखों वाली रात नींद नहीं आती
और खुशी वाली रात कौन सोता है
जिन्दगी के इस मुश्किल घड़ी मे 
अपना ख्याल रखना 
हो कोई गरीब आस-पड़ोस मे तो 
अपने हिस्से का निवाला उसे भी जरुर देना,
आपके बारे मे लिखे भी तो और क्या लिखे बहना
जीतना भी लिखे तारिफ कम ही है न..।
STAY HOME SAVE LIFE
Your Loving Bro...........

प्यारी बहन अस्था मिश्रा को समर्पित..!

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   -: प्यारा हिन्दुस्तान बनाओं :-

दीया और मोमबत्ती जलाओ या ना जलाओ
लेकिन सब कोई अपने दिल के नफरतों
और गंदी सोचो को जरूर जलाओ ।
हिंदू-मुसलमान के जगह
समाज मे एक अच्छा इंसान बनाओ..।।
अब तो तोड़ दो नफरत की दीवारो को
और वतन मे एक अच्छा माहौल बनाओं ।
जात पात की तोड दीवारे
आओ एक अच्छा इंसान बनाओ।।
हम मुस्लिम है आप हिन्दु हो
इस वाक्य को अब विराम करो ।
दिल मे स्नेह मोहब्बत की
हर किसी के दिल मे अब घर बनाओ।।
अब तो तोड़ दो नफरत की दीवारे को
और वतन मे एक अच्छा माहौल बनाओं ।।
जात पात की तोड़ दीवारें
आओ अमन शान्ती भरी फिर से
प्यारा हिन्दुस्तान बनाओ
प्यारा हिन्दुस्तान बनाओ।।
       ll  जय हिन्द जय भारत  ll

******************************

-: खुद को खुदा समझने लगी है दुनिया :-

आज बेमौत मर रही दुनिया।
रब से फिर भी न डर रही दुनिया ।
लोग खुद को खुदा समझने लगे है,
अपनी हद से गुजर रही दुनिया ।

आंसुओं का है काजल चेहरे पर।
जो लगा कर दिखावा कर ही है दुनिया ।
एक अंधा कुआं है लालच का ।
उस कुएं में उतर रही दुनिया ।

झूठ अफवा - ओ फरेब ज़ुल्म ओ सितम।
आज क्या क्या न कर रही दुनिया।
इंसान जानवर बना है "जनाब।
इसलिए अब खत्म हो रही दुनिया ।।


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                 -: गजल :-
बस्ती की ये ऊँची हवेली दर्द की चादर में लिपटी 
जाने किस को देख रही है बरसों से वीरान पड़ी 
शायद तुम को याद तो होगा अहल-ए-ख़िरद वो दौर कि जब 
अहल-ए-जुनूँ की ज़ंजीरों से ज़िंदानों में जान पड़ी 
मज़हब से खिलवाड़ किया तो उस का ये अंजाम हुआ 
मंदिर भी वीरान पड़ा है मस्जिद भी सुनसान पड़ी 
किस ने किस को क़त्ल किया पहचान सको तो पहचानो 
सामने ये तलवार पड़ी त्रिशूल पड़ा किरपान पड़ी 
जिस दिन इक ज़ालिम ने इक मज़लूम का ना हक़ क़त्ल किया 
उस दिन से इस दुनिया में कुछ रिश्तों की पहला कत्ल हुआ ।।


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 -: जूमा मुबारक :-
जानलेवा हवा है डरे है हम।
सांस लेने के लिए भी डर रहे हैं हम 
वीरान पढ़ी मस्जिद,
मंदिर" सूनी है..
ना पादरी ना पंडित
 न साधु इमाम है।।
मायूस सा साहिबगंज अकेले हैं हम
जिस तरह अपने ही
घरों में कैद है हम ।।
आज वह भी रो पड़ें होंगे सायद 
वीरान मस्जिदों और मन्दिरों को देख कर 
आज उसके दरवाजे पर एक मिसकीन भी नही है ।।
यह कैसा कहर है हम इंसानों पर 
एक दुसरे से मिलने पर।
ड़र रहे है हम अपने ही मानवता पर 
अपने ही मानवता पर ।।

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काश, मैं एक डॉक्टर होता..!
काश मैं एक डॉक्टर होता तो लोगों की सेवा करता ।
काश मैं एक डॉक्टर होता ,भगवान का दुसरा रूप होता।।
काश मैं एक डॉक्टर होता, 
आज इस महामारी में अपने घरों में चैटिंग और आराम नही कर रहा होता ।
काश मै एक डॉक्टर होता, कोरोना के मरीजो का इलाज़ कर रहा होता ।।
काश मेरे परिवार के पास दौलत होता ,तो मै भी एक डॉक्टर होता ।
काश डाक्टर की पढ़ाई का इतना फीस नही होता, 
तो मै भी एक डॉक्टर होता, 
और मानवता का आज सेवा कर रहा होता ।।
काश मैं एक डॉक्टर होता आज कोरोना से लड़ रहा होता।
काश मैं एक डॉक्टर होता,काश मैं एक डॉक्टर होता ।।

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शाहबाज आलम की डायरी से..!
-: पन्नें में आज का विचार :-
कभी कभी इंसान न टूटता है न बिखरता है।
बस हार जाता है।।
जैसे आज हमलोग करोना के खौफ से हारे हुए है ।
अंग्रेजी में एक कहावत है Never give up 
कभी हार मत मानो...
जागो उठो और लड़ों और हार को हराओ ।।
खुद जागरूक हो और औरों को भी जागरूक करें ।।
अब करोना को करो........... ना

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Stop crying. 
Stop making people feel 
like a mask and nothing is happening 
now is just a disease corona corona. 
If god is in your mind, 
then stop always being healthy no disease. 
Today, say thìis: 
'swear by the rumours of carona 
to convince people and realize it is useless 
when we don' t make any mistakes... 
Stop now the cry of the corona.. 

********************

बन्द करो कोरोना का रोना
बन्द करो लोगो को अफवाह फैलाना
मास्क लगा कर अब ये कुछ ना होना
ये बिमारी है कोरोना कोरोना ।।
मन मे अल्लाह मन मे भगवान हो तो
सदा स्वस्थ कोई रोग ना होना
बन्द करो कोरोना का रोना।।
आज यह खाओ कसम
करोना के अफवाहों से लोगों को समझाना 
और खुद भी समझना
जब हमलोगो ने कोई गलती ही नही की 
तो बेकार काहे को रोना....
अब बन्द करो कोरोना का रोना।।

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