मैंने ये जाना मै चुप हूं तो
उस मां की वजह से
आपके लिए मैं शायद मर भी गया हूं
लेकिन जिंदा हूं तो सिर्फ
उस मां की वजह से
आप हमे चाहें या ना चाहें
ये आपकी मर्जी
पर मेरे लिए मेरी चांद ही
सब कुछ है हर जगह से
आपका नाम मेरे दिलों मे है
आपका अमु मुश्किलों में है
बहुत कम बची है उम्र उसकी
हर रोज बस लेता है नाम आपका
क्योंकि भले ही आप उसे भुला दीं हो
पर इतना पता है कि
आज भी वो आपके दिलों में है
क्योंकी ये प्यार है गहरा
बन के सहारा सोचा था
साथ निभाऊंगा
चाहें हो कितनी भी तकलीफें
हर पल तुझपे खुशियां लुटाऊंगा
*****************
हर शाम के बाद
सुबह का सुरज
बन उभरना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
धूप में भी , छांव में भी
सहर में भी गांव में भी
करना है बचाव
लोगों के मन में
फैली हैं जो कुरीतियां
इसमें करना है प्रेम रूपी
दवा का छिड़काव
बदल रहें हैं लोगों के स्वभाव
बढ़ रहा है जातिवाद का भेद भाव
इसे मिलकर मसलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
बुराइयों का शाम बनकर
हमे तो ढलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
मुस्किलों में रक्षक बन कर
अंधेरों में दीपक बन कर
हमे तो जलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
सच का साथ देकर
गुनाहों को मात देकर
मुजरिमो को भी बदलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
आंखों में ख्वाब लेकर
दुश्मनों को जवाब देकर
फौज की तरह बर्फीले
रेत में भी पिघलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
सता का शासन बन कर
न्याय का सिंघासन बन कर
होते अन्याय को कुचलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
नदियां की धारा बन कर
गरीबों का सहारा बन कर
हर हाल में आगे बढ़ना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
हर शाम के बाद
सुबह का सुरज
बन उभरना है
मैं राही हूं मुझे चलना
मैं राही हूं मुझे चलना
******************
मैं हूं राही मुझे चलना है
हर शाम के बाद
सुबह का सुरज
बन उभरना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
धूप में भी , छांव में भी
सहर में भी गांव में भी
करना है बचाव
लोगों के मन में
फैली हैं जो कुरीतियां
इसमें करना है प्रेम रूपी
दवा का छिड़काव
बदल रहें हैं लोगों के स्वभाव
बढ़ रहा है जातिवाद का भेद भाव
इसे मिलकर मसलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
बुराइयों का शाम बनकर
हमे तो ढलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
मुस्किलों में रक्षक बन कर
अंधेरों में दीपक बन कर
हमे तो जलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
सच का साथ देकर
गुनाहों को मात देकर
मुजरिमो को भी बदलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
आंखों में ख्वाब लेकर
दुश्मनों को जवाब देकर
फौज की तरह बर्फीले
रेत में भी पिघलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
सता का शासन बन कर
न्याय का सिंघासन बन कर
होते अन्याय को कुचलना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
नदियां की धारा बन कर
गरीबों का सहारा बन कर
हर हाल में आगे बढ़ना है
मैं राही हूं मुझे चलना है
हर शाम के बाद
सुबह का सुरज
बन उभरना है
मैं राही हूं मुझे चलना
मैं राही हूं मुझे चलना
हुआ सफल जो ना मेहनत छोड़ा
जो जितना है रेस के काबिल
पाया उसने ऊतनी मंजिल
पल-पल समय का है अनमोल
समय को दौलत से ना तुम तौल
करना है जो समय से करले
इतना कर की खुशियां भरले
पछतावा ना रहे उस दौर का
जो यू ही तू गंवाएगा समय
तो रहेगा ना किसी ओर का
सच्चे दिल से करना कुछ भी
भले ही पाव सफलता थोड़ा
जिंदगी है एक रेस का घोड़ा
हुआ सफल जो ना मेहनत छोड़ा
करना ऐसा काम
हमेशा ले दुनिया तेरा नाम
गुजर बसर तो सब करतें हैं
लेकिन कष्ट होती है
नसीब वालों की
*****************
एक पिता के जैसा कोई
जग में नहीं महान रे
एक पिता के जैसा कोई
जग में नहीं महान रे
पिता है भगवान
वही हैं मेरी जहां
पिता है भगवान
वही हैं मेरि जहां
जिसने हमें इस
दुनिया में लाया
उंगली पकड़ कर
चलना सीखाया
मां का आंचल घर है मेरा
तो पिता हैं छत के समान रे
पिता हैं भगवान
वही हैं मेरी जहां
पिता हैं भगवान
वही हैं मेरी जहां
भुख लगे तो मईया खिलातीं
लोरियां गाके हमे सुलातीं
रूठूं जब मैं हम मनाते हैं
पिताजी हाथी घोड़ा
बन फुसलातें आते हैं
बिठा के कंधे पर वो अपने
सैर कराते जहान रे
बिठा के कंधे पर वो अपने
देते अच्छे ज्ञान रे
पिता हैं भगवान
वही हैं मेरी जहां
पिता हैं भगवान
वही हैं मेरी जहां
एक पिता के जैसा कोई
जग में नहीं महान रे
एक पिता के जैसा कोई
जग में नहीं महान रे
पिता हैं भगवान
वही हैं मेरी जहां
पिता हैं सम्मान
वही हैं भगवान
पिता हैं सम्मान
वही हैं भगवान
***********
हम हैं नादान
हमे कुछ सीखना है
निकल के गरीबी की धूप से
मेहनत की बारिश में
भींगना है हमे
राहें जितनी भी कठिन हो
बिना परवाह किए
आगे बढ़ना है हमे
भले ही कोई साथ ना दे
तो क्या हुआ,
सारी बाधाओं को पार कर
हर दर्द से गुजरना है हमे
ना किसी से शिकवा है
ना किसी से गीला है
बस इतना ही जानता हूं
जिंदगी में जो कुछ भी पाया
वो सब मेरे कर्मों से मिला है
सोचा था कोई हमसफर होता
साथ निभाने को
जो मेरी तन्हाइयों को
समझ पाता
भटकता जो राहें तो
हक जाता कर
सही राह दिखलाता
पर सपने कहां अपने होते हैं
मतलब की जहां में
इंसान के जमीर दफने होते हैं
हम हैं नादान
हमे कुछ सीखना है
हॉप फॉर कैंसर पेशेंट्स टीम को समर्पित रचना..!
कराह रही जमीं
बढ़ रहा है कोरोना
लगवालो वैक्सीन
निहोरा है आप से
बचो कोरोना के अभिशाप से
सर्तक रहें तो लड़ पाएंगे
लापरवाही से पछताएंगे
अपनो से दुर होना भी
हो गई है मजबूरी
हो जहां भीड़ इकठ्ठा
दुरी दो गज की जरूरी
आएगा वो दौर फिर से
खुशियां मनाएंगे हम सब मिलके
बस सुनो ये ध्यान से
जीना है शान से
आओ हम सब मिलकर
प्रार्थना करें भगवान से
अब बहुत हुआ प्रभु
अब मुक्त कर दीजिए हिन्दुस्तान को
कोरोना शैतान से
गरीब मजदुर असहाय की सेवा
में चलाई जा रही मुहिम
इस जान लेवा महामारी में
गदा धारी भीम बन कर
लड़ रही हॉप फॉर कैंसर पेशेंट्स टीम
रहन-सहन के तौर तरीके
दिए जाते बतलाए
गांव-मुहल्ला, नगर-शहर में
स्वस्थ सुरक्षित साफ रह टीका लियो लगवाय
पुकार रहा आसमान
कराह रही जमीं
बढ़ रहा है कोरोना
लगवालो वैक्सीन
***************
लग गई लत चाय की
हो गए मजबूर
जब तक ना लें साथ हम
दो चाय की चुस्कियां
दिन ढलता नहीं हुजूर
सुबह हो या शाम हो
चाहे जितना काम हो
सुबह से लेकर शाम तक
शाम से लेकर सुबह तक
जिंदगी में सिर्फ काम ही काम है
खुदगर्जी की बात नहीं
हम दोस्तों में बात यही
होते हैं जब एक साथ हम
करते हैं खुब हंसी ठिठोली
चलते हैं जिस और हम
उधर ही बन जाती है टोली
करते रहते हैं एक दूजे की
आपस में ही टांग खिंचाई है
जबसे मिले हम साथ हुए
फिर शिकायत की कोई बात ना आई
मित्रता में इतने लीन हुए
की हो गए मशहूर
हाय राम अब क्या करें
लग गई लत चाय की
हो गए मजबूर
***********
सुनs ए खैनी..!
बावे धईले बेचैनी,
आदत ई कईसन धरा दिहलु,
राह चलत केहू लोग बाग से
पल में भीखमंगवा दिहलु
सुनs ए खैनी,
बावे धईले बेचैनी........
आदत ई कईसन धरा दिहलु
होत भोरहरिया, खोजी पंजरिया
खात में प्रेशर बढ़ा दिहलु
खाना-पीना सब कइला के बाद भी
आपन याद करा गईलु
सुनs ए खैनी,
बावे धईले बेचैनी......
आदत ई कईसन धरा दिहलु
धईनि जब से ई नासा
बिगड़ल बा दासा
दांत के इज्जत घटा दिहलु
घरे आईल जे अगुवा
बन गईलु कटुवा
पच से थूक फेकवा दिहलु
सुन ए खैनी
बावे धईले बेचैनी
आदत ई कईसन धरा दिहलु
हांथ में लेई चुना मिलाई
मुंह में रगड़ के जे डालीं
बाबू जी बाड़े बड़ परेशान
रोज लाठी-लाठी पिटालीं
जब से जिंगी में आईलू
विपत बढ़ईलु
सुघर दांत में चिति लगा दिहलु
अब खाईब ना खैनी
भले बढ़े बेचैनी
अब दिल से तोहे विसरा दीहनी
प्रिय मित्रों तम्बाकू व ध्रूमपान सेहत के लिए हानिकारक है :-
************************
एक तरफ है कोरोना
दूजा यास की तबाही है
पहले तोड़ी कमर कोरोना
अब यास की असर भी छाई है
हैं काल कोरोना से प्रभावित
और सबों में त्राहि त्राहि है
भूखे प्यासे मर रहे लोग
घोर विपत्ति आई है
आया तूफान जो यास का
हुए घर से बेघर कुछ
गांव जल में समाई है
देख परिस्थितियां अपने देश की,
हॉप फॉर कैंसर पेशेंट्स संस्था आई है ।
गुजरते हुए परिस्थितियों से
लड़ने की हौसला जगाई है
हॉप फॉर कैंसर पेशेंट्स की टीम ने
जरूरतमंदों की मदद कर
एक उम्मीद की दीप जलाई है
हर मुसीबत में साथ रहेंगे
ऐसी विश्वास दिलाई है
हाय तोबा ये कैसी आफत आई है
एक तरफ है कोरोना
दूजा यास की तबाही है..!
आई है आफत बनके कोरोना-2
घर में सब कोई रहो ना-2
घर से बाहर निकलो तबहिं-2
जरूरत जब पड़ेगा-2
वायरस का यह खेल घिनौना-2
सब पर भारी पड़े ना
घर से बाहर निकलो तबहिं
जरूरत जब पड़ेगा
छुआ-छूत का है ये मंजर-2
सारा देश कहे ना......
घर से बाहर निकलो तबहिं
जरूरत जब पड़ेगा.......
बंद हुआ सब स्कूल कॉलेज-2
रैली फिर भी चले ना
लगे बाजार सड़क सब सुना
पब्लिक हाथ मले ना-2
शासन सत्ता की है मनमानी-2
इनसे बच के रहो ना।
घर से बाहर निकलो तबहीं,
जरूरत जब पड़ेगा-2
होता बीमारी चाहे कुछ -2
डॉक्टर कहे कोरोना,
घर में रहे जो बच ही जाय
हॉस्पिटल में है मरोना
घर से बाहर निकलो तबहिं
जरूरत जब पड़ेगा।
आई है आफत बनके कोरोना-2
घर में सब कोई रहो ना-2
मास्क पहन के जो नहीं चलता-2
मास्क पहन के जो नहीं चलता
पुलिस डंडा मारे ना-2
घर से बाहर निकलो तबहिं,
जरूरत जब पड़ेगा-2
**************************
हर कोई चाहता है मिले कोई अपना
लेकिन किस्मत का भी खेल है यारों
जिसे हम सबसे ज्यादा करीब रखतें है
ना जाने वो क्यों हो जाता है सपना
करूं फरियाद तुझसे ए मेरे खुदा
अगर मिलाते हो किसी को तो
जुदाई मत देना
जब भी हो नाराज कोई हमसे तो
उसे खुश रखने का मौका भी देना
जानते है हम की
रिश्ते निभाना इतना आसान नहीं होता
और सच्चे रिश्तों का कोई प्रमाण नहीं होता,
यूं तो बनते है अनगिनत रिश्ते संसार में,
लेकिन जो मुश्किलों में साथ दे,
वो शख्स कभी बेईमान नहीं होता..!
********************
जुदाई..!
रोना चाहूं रो ना पाऊं ।।
अपना दुख मैं किसे सुनाऊं
आपके होने से हिम्मत सी थी
वो हिम्मत अब कहां से लाऊं
ना थी चिंता ना थी चाहत
हमें किसी और बात की ।।
आप के रहते हुआ कभी ना
कमी किसी के साथ की
अब तो सारी दुनिया
लगती है बेगानी सी ।।
होते थे जब साथ तो
मुसीबत भी लगती सुहानी सी
अब तो आपका साथ नहीं
मैं कैसे खुद को मनाऊं ।।
रोना चाहूं रो ना पाऊं
अपना दुख में कीसे सुनाउं
जिंदगी की हर मोड़ पर
बस आपका ही सहारा था
दुख सुख में साथ मिलकर
हमने समय गुजारा था
सोच सोच कर आंखे भर आती
अब ये तड़प मै सह ना पाऊं
रोना चाहूं रो ना पाऊं
अपना दुख मैं किसे सुनाऊं
आप ही थे परमेश्वर मेरे
आप ही थे जेवर मेरे
आपसे ही से संसार था ।।
आपसे ही से श्रृंगार था
निहारूं राहें इधर-उधर
पर कहीं ना दर्शन पाऊं
रोना चाहूं रो ना पाऊं
अपना दुख में किसे सुनाऊं
*****************
मेरे पापा..!
याद आ रहा है वो पल
जो गुजर गया कल
पिता के कंधों पर थे हम झूले
पिता के गोद में थे हम खेले
पर ना जाने आज
वो कहां गुम हो गए,
सता रही उनकी यादें,
ऐ विधाता इतने बेदर्द
क्यों तुम हो गए ,
उंगली पकड़कर
जिसने चलना सिखाया
अपने कंधों पर बिठाकर
जिसने हमें घुमाया
क्यों चले गए वो दूर हमसे
क्यों छीना हमसे
मेरे पिता का साया
जब भी याद आती है उनकी
मेरी आंखें भर आती है।
मां की उदासी हमें
बहुत तड़पाती है
क्या करूं कुछ
समझ नहीं आता
तु चुप क्यों है ,
आज बोल विधाता
किससे कहूं मैं अपनी
दिल की बातें,
किसे सुनाऊं
मैं अपनी फरियादें
जरा सी तकलीफ होने पर
जो परेशान हो जातें
जब मैं रूठूं तो थे वो मनाते
पिता जी मेरे शान थे
पिता जी मेरे भगवान थे
उनकी कमी हमें
हर पल रूलाती है।।
देखूं जो तस्वीर उनकी
तो आंखें भर आती हैं।।
तूने ऐसा रित क्यों
बनाया विधाता
जिसे तुमने ही मिलाया
फिर क्यों वो बिछड़ जाता
कहां किस ओर मैं उन्हें खोजुं
कैसे मां की आंसुओं को पोछूं
ऐसा दर्द देना ना
किसी और को
बहुत दर्द होती है
निभाने में इस दौर को,
भले ही लोग मिले हजार
पर दे नहीं सकता कोई
पिता जैसा स्नेह और प्यार
उनके ना होने से
मन में हो रही है हलचल।
याद आ रहे है वो पल
जो गुजर गया कल
************************
मैं पूछता हूं कब तक
बेटियां मौत की नींद में सोती रहेंगी
क्या हो गया है इस जमाने को
हमारे देश में जिसे देवी का दर्जा देकर
उनका सम्मान किया जाता है
आज कुछ दरिंदों के वजह से
हमारी बेटियां हमारी बहने
सुरक्षित नहीं है
आखिर में सरकार से
यही प्रश्न करता हूं
क्या कर रही है उनकी सरकार
क्या कर रहे हैं वह सत्ता में आकर
पहले तो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं
वादे करते हैं फिर कुर्सी मिलने के बाद
वह कहां गुम हो जाते हैं
मेरी सरकार से दरख्वास्त है की
बेटियों के लिए कोई ऐसी कानून बनाएं
जिससे बेटियां सदा के लिए स्वतंत्र हो जाए
और निर्भय होकर अपनी जीवन जी सकें
ऐसे दरिंदे भेड़िए को तो जिंदा जला देना चाहिए
पर सरकार इसे बचाने में क्यों लगी है
इनका हस्तक्षेप क्यों करती है
अब हमें कुछ सोचे बगैर
इनको सबक सिखाना होगा
क्या होती है बेटियां
इनकी नारी शक्ति को अब जगाना होगा
जिसे हम अबला नारी समझते
और उसकी अवहेलना कर
उसका अपमान करते हैं
उसे प्रताड़ित करते हैं
उसके साथ दुर्व्यवहार करते हैं
हम यह भूल जाते है कि
जिस देवी का हम अपमान कर रहे हैं
वही देवी, मां, बहन
और पत्नी के रूप में हमारे साथ होती है ।।
बेटी नहीं तो बहू कहां से लाओगे
मत मारो इस तरह बेटियों को
वरना नर्क में भी जगह नहीं पाओगे
क्या मिलता है, क्या मिलता है
इस तरह बेटियों को मार कर
ऐसा घिनौना पाप करके
कैसे अपनी मां बहन बेटियों को
अपना मुंह दिखा पाओगे।
फांसी से ना होगा कुछ
अब जिंदा जला दिए जाओगे..!
**********************
जिंदगी में कुछ खास की तलाश करें।
वरना जिंदगी में भटकने के सिवा
कुछ हासिल ना होगा ।।
मिलेगा सिर्फ पछतावा,
हासिल ए जिंदगी ।
हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं।
ये किया नहीं वो हुआ नहीं ।
ये मिला नहीं वो रहा नहीं ।।
सब कुछ होते हुए भी
हम दुखी होते हैं
क्योंकि जो चाहा मैंने
वो मिला नहीं,
क्यों खफा हो ऐ जिंदगी
दीदार करा दे मेरे चांद से
जी करता है हर पल उन्हें देखने को
कोई लाख बुराइयां करें उनकी
पर हमे उनसे कोई सिकवा गीला नहीं,
आप मेरे लिए खास बन गए
जो आज से पहले कभी मिला नहीं।।
****************
और हर हाल में
खुश रहना जानते हैं
चाहें खुशी हो या गम
कभी न होंगे नम
सुख में मुस्कुराते हैं लोग
पर जो दुख में भी मुस्कुराए
कुछ ऐसे ही हैं हम
नफरत में क्या रखा है दोस्तों
एक-दूसरे के साथ मिलकर
खुशियां बांटते हैं हम
अमीरी-गरीबी की परवाह नहीं हमें
ना ही जातिवाद का भ्रम,
जन्मे है इंसान बनकर
इंसानियत ही निभाएंगे हम,
हर हाल में खुश रहना जानते हैं
चाहे खुशी हो या गम
आगाज़..!
मत छेड़ मुझको लड़ना मुश्किल होगा।
लिखेंगे ऐसा इतिहास कि पढ़ना मुश्किल होगा।
बार-बार सुधारने का मौका दे रहे हैं हम,
सुधर जाओ तो अच्छा होगा।
चीनी हो या पाकिस्तानी,
या हो कोई दुश्मन हिंदुस्तान का।
डाली जो बुरी नजर हिंदुस्तान पर
नसीब ना होगा जमीन
श्मशान या कब्रिस्तान का।
छुप-छुप के करते वार तुम
तो वीर कैसे कहलाओगे।
हम हिंदुस्तानी फौजी हैं
तुम जीत कहां से पाओगे।
हैं,भारत मां के वीर सपूत
ये खाके कसम हम कहते हैं।
लेंगे बदला हर जवान का,
डाली जो बुरी नजर
हिंदुस्तान पर नसीब ना होगा
श्मशान या कब्रिस्तान का।
********************
ए वक्त क्यों रूठ गया तू
पहले तो दुख में भी मुस्कुराता था
जिंदगी जी रहें थे खुशी से
भले ही लाख मुसीबत आता था
अब ना जाने ऐसा क्यों लगता है
की कोई मेरी असफलता पर
मेरा मजाक उड़ाता है
ए मेरे वक्त,
क्या भूल हुई थी हमसे..??
जो तूने ऐसी किस्मत बनाई है
आगे कुआँ पीछे खाई है
कहां जाएं, कुछ समझ नही आता..!!
ए वक्त क्यों रूठ गया तू
पहले तो दुख में भी मुस्कुराता था
जिंदगी जी रहे थे खुशी से
भले ही लाख मुसीबत आता था
********************
भेज कोरोना किया बेहाल
ऐसी क्या थी दुश्मनी हमसे
जो वायरस का ही बनाया जाल
जब लड़ना था ही तो
हथियारों से लड़ते
फिर तुम घुटनों के बल गिरते
तेरे कारण ही पड़ी आकाल
गरीब मजदूरों की खुशियां छीनी
करेंगे ना माफ सुन ले चीनी
तैयार किया जो कोरोना काल
लड़ रहें हम तत्काल
पर अब जो मेरा वार होगा
बस तेरा ही संघार होगा
*************************
चलेंगे हम साथ-साथ..!
राहें भले ही कठिन हो,
पर रचेंगे हम नया इतिहास..!!
एक होकर, नेक होकर
चलेंगे हम साथ-साथ..!
मिट जाएंगी तकलीफें सारी,
लाएंगे नया प्रभात..!!
एक होकर, नेक होकर,
चलेंगे हम साथ-साथ..!
दुश्मन भी अपने दोस्त होंगे,
जब करेंगें मिलकर बात..!!
सपने भी अपने होंगे जब,
मिलकर करेंगे प्रयास..!!
एक होकर, नेक होकर,
चलेंगे हम साथ-साथ..!!
***************
माँ तो माँ होती है..!!
माँ का स्थान कौन ले सकता है..??
एक पुत्र को जन्म से जवानी तक,
कौन संभाल सकता है..??
माँ तो माँ होती है..!
भला माँ का स्थान कौन ले सकता है..??
जब भी थका हरा घर आऊं,
तो माथे का पसीना कौन पोछता है..??
मां भले ही दुख में हो,
पर पुत्र समझ ना पाता है..!
माँ तो माँ होती है..!!
भला माँ का स्थान कौन ले सकता है..??
धन दौलत तुम लाख कमा लो पर,
सकून माँ का आंचल ही बरसाता है..!
माँ तो माँ होती है..!!
भला माँ का स्थान कौन ले सकता है..??
*********************
हिंदी की बिंदी लागे है प्यारी,
हिंदी है हम सबकी दुलारी..!
हिंदी शब्द है सबसे न्यारी,
हम भारतीयों को हिंदी प्यारी..!!
जब भी हम जाते कभी परदेश में,
गैरों के संग बन जाती रिश्तेदारी..!!
यही वजह है हम गर्व से कहते,
हिंदी को समर्पित मेरी दिल ओ जान है
हिंदी मेरी मातृभाषा और हिंदी ही मेरी मां है....2
*************************
सरफरोशी हम गाएंगे..!
अगर जो आंख दिखाए वतन को,
उसको ना बख्श पायेगें..!
वतन की मिट्टी में हैं जन्मे,
सरफरोशी हम गाएंगे..!
हो चीन या पाकिस्तान,
दोस्ती का भाव दिखाएंगे..!
झुक गए हम जो ये समझ तुम,
तो सर भी तेरा मुंडवाएंगे..!
हिन्द की मिट्टी में हैं जन्मे,
सरफरोशी हम गाएंगे..!
अगर जो मेरी खामोशी को,
दुश्मन हार बताएंगे..!
तो खैर नहीं उनकी,
हम रौद्ररूप अपनाएंगे..!
भारत की मिट्टी में हैं जन्मे,
भारत के ही गुण गाएंगे..!
वतन की मिट्टी में हैं जन्मे,
सरफरोशी हम गाएंगे..!
*****************
एहसास अपनों का,
और प्यास सपनों का,
इंसान को...
कर्मठ एवं जुझारू बना देती है..!!
मेहनत करना और विनम्र रहना,
हमें सच्चा इंसान बना देती है..!!
लोग क्या कहते हैं..?
लोग क्या करते हैं..??
हम इन बातों में उलझे रहते हैं..!
और इसी बातों में हम..
अपना समय गंवा देते हैं..!
**********************
गुजरा जमाना याद आ रहा है,
एक तेरी ही याद....
हमें क्यों सता रहा है..!!
सोचा था कि साथ चलेंगे...
हम दोनों एक ही रास्ते पर,
लेकिन रब का इशारा...
क्यों कुछ और बता रहा है..!!
जिंदगी भले ही कांटों से भरी हो...
तो क्या हुआ..??
लेकिन सच्चे राह पर चलना तो,
हमें वह कांटे ही सिखा रहा है..!!
लाख बुरा छुपा लो अपने मन में,
कुछ भी ना मिलेगा...
क्योंकि यह दिल सत्यमेव जयते गुनगुना रहा है..!!
क्योंकि यह दिल सत्यमेव जयते गुनगुना रहा है..!!
Nice line
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