31 मार्च 2020

रचना :- मौसमी कुमारी..!

बेटी होना क्या पाप है..?
सबसे पूछना चाहती हूं एक बात,
क्या लड़की होना है कोई पाप?
हर पल कष्ट लड़की ही सहती,
क्या हर गलती लड़की ही करती?
बेटे हों या पुरुष हो,
सब गलती करके चले जाते हैं,
चारदीवारी सीमित महिलाओं पर।
एक धब्बा छोड़ जाते हैं
आखिर ऐसा क्या है राज?
लड़की को दे जाते हैं दाग!
कब तक ये सहेगी लड़की,
कब तक ऐसे रहेगी लड़की?
क्या इसका है कोई दवाय,
या करना पड़ेगा खुद उपाय।
दर-दर ठोकर खाती है लड़की,
आखिर किस दर जाएगी लड़की?
मैं लड़की हूं इसका अफसोस आता नहीं ,
हर पापों को सहन करना मुझे भाता नहीं।
जब वे सुधर नहीं सकते,
तो मैं भी नहीं बदलूंगी।
अपनी शक्ति और सच्चाई से,
हर दरिंदों का नाश करूंगी।

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