06 जनवरी 2020

आलेख :- रमेश हेम्ब्रम..!الخ :- رمیش ھمبرم

शीतलहर के कारण 7 व 8 जनवरी को बंद रहेंगे शिक्षण संस्थान..!
साहिबगंज/पतना :- 06/01/2020. जिला शिक्षा पदाधिकारी साहिबगंज की ओर से जिला के सभी सरकारी व गैर सरकारी सीबीएसई/ आईसीएससी प्राथमिक, मध्य एवं उच्च विद्यालयों को 7 व 8 जनवरी को बंद रखने का निर्देश दिया गया है.    इस संबंध में उपायुक्त साहिबगंज के आदेश के आलोक में मौसम में परिवर्तन और कड़ाके की ठंड तथा शीतलहर के प्रभाव को देखते हुए शिक्षण संस्थानों को बंद रखने का निर्देश दिया गया है. हालांकि इस अवधि में शिक्षक व अन्य कर्मी स्कूलों में उपस्थित रहेंगे..!

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पतना "निरीक्षण भवन" फिर बना "दामिन डाक बंगला"..!
स्थानीय ग्रामीणों ने निरीक्षण भवन नामकरण का विरोध जताया था..!
साहिबगंज/पतना :- 06/01/2020. पतना प्रखंड के सोमवारी हाट परिसर के निकट पुराने दामिन डाक बंगला परिसर में निर्माणाधीन नए भवन का नामकरण फिर से 'दामिन डाक बंगला' कर दिया गया है. 
           जिला परिषद की ओर से वित्तीय वर्ष 2019-20 में पतना प्रखंड के जीर्ण शीर्ण हो चुके दामिन डाक बंगला के स्थान पर नए भवन का निर्माण शुरू हो गया है. जिसकी लागत करीब 46.45 लाख रूपए है. विगत 27 अक्टुबर 2019 को जिप अध्यक्ष रेणुका मुर्मू ने इस भवन का शिलान्यास किया था. शिलान्यास के शिलापट्ट पर 'निरीक्षण भवन' का निर्माण कार्य अंकित था. 
          स्थानीय गांव मयूरजूठी के ग्रामीणों ने इसके विरोध में 05 नवम्बर 2019 को पतना प्रखंड विकास पदाधिकारी के द्वारा डीसी को पत्र लिख कर 'निरीक्षण भवन' शब्द बदल कर 'दामिन डाक बंगला' ही रखने की मांग किया था. गांव की प्रधान वेरोनिका मरांडी व सामाजिक कार्यकर्ता मनोज टुडू के नेतृत्व में ग्रामीणों आवेदन में कहा था कि दामिन डाक बंगला शब्द इस क्षेत्र में अंग्रेजी हुकूमत के साथ हुए  ऐतिहासिक संघर्षों की पहचान है. 
        सोमवार को निर्माण स्थल पर नया शिलापट्ट लगाया गया जिसमे 'दामिन डाकबंगला' शब्द अंकित किया गया है..!

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...बेटा हूं भाई हूं..विश्वास रखिए किसी के साथ अन्याय नहीं होगा :- हेमन्त..!
बरहेट में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जनता से रूबरू हुए..!
साहिबगंज :- 05/01/2020. झारखंड के मुख्यमंत्री सह बरहेट के विधायक हेमन्त सोरेन रविवार को बरहेट के भोगनाडीह में जनता से रूबरू हुए..!
     मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भोगनाडीह पहुंच कर सबसे पहले हूल के महानायकों सिदो- कान्हू, चांद-भायरो व फूलो-झानो की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इसके बाद वे जिला प्रशासन के बने मंच पर पहुंचे. मुख्यमंत्री ने भोगनाडीह मैदान पर मौजूद हजारों लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड में पहली बार झारखंड के लिए संघर्ष करने वालों की सरकार बनी है. वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भायरो व फूलों-झानों की धरती पर उन्हें नमन किए बिना कोई काम करना उचित नहीं होगा. इसलिए आज यहां आया हूं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार जाति व धर्म के आधार पर भेदभाव किए बिना जनता के लिए काम करेगी. सेविका, सहायिका, रसोईया, पारा शिक्षक या कोई भी सरकार का काम करने वाला हो उन्हें काम की मजदूरी मिलेगी. उन्होंने कहा कि जो कोई मजदूरी रोकेगा उन्हें जेल जाना होगा.
        हेमन्त सोरेन ने कहा कि मैं एक सरकार के मुख्यमंत्री के बजाय एक बेटा एक भाई की तरह आपके लिए काम करूंगा. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर तीन सौ से अधिक स्वयं सहायता समूहों को 1.63 करोड़ व 74 लाख रूपये का चेक वितरण किया. इस क्रम में वृद्धा पेंशन, विकलांग पेंशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, अत्यंत गरीबों को कंबल वितरण किया तथा सिदो कान्हू के परिजनों को शॉल देकर सम्मानित किया. इस मौके पर सांसद विजय हांसदा, डीसी वरूण रंजन, एसपी अमन कुमार, डीडीसी मनोहर मरांडी, झामुमो केन्द्रीय सचिव पंकज मिश्रा, जिलाध्यक्ष शाहजहां अंसारी समेत अन्य उपस्थित थे..! 

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वोट नहीं देने पर चापाकल खराब करने के विरोध में सड़क जाम..!
माधोपाड़ा में जे०एम०एम० नेता पर ग्रामीणों का आरोप..!
साहिबगंज/पतना :- 03/01/2020. पतना प्रखंड के रांगा थाना क्षेत्र अन्तर्गत माधोपाड़ा में शुक्रवार को ग्रामीणों ने सड़क जाम कर दिया. सड़क जाम के कारण करीब दो घंटे तक बरहड़वा- राजमहल मुख्य मार्ग पर आवागमन ठप रहा. 
             सड़क जाम की सूचना मिलने पर पतना के बीडीओ सह सीओ चंदन कुमार सिंह एवं रांगा थाना प्रभारी शिव कुमार सिंह पुलिस बल साथ मौके पर पहुंच कर लोगों से वार्ता कर जाम हटवाया..!
            सड़क जाम को लेकर लोगों का कहना था कि जेएमएम के एक नेता ने विधान सभा चुनाव में उनकी पार्टी को वोट नहीं देने का आरोप लगा कर गांव के तीन चापाकलों को खोलकर खराब कर दिया था. इसके अलावा कुछ दिन पहले उसी नेता ने अपने खेत पर रखे धान के पल्ले में आग लगाने का आरोप कुछ ग्रामीणों पर लगाया है..!
           बीडीओ सह सीओ चंदन कुमार सिंह ने तत्काल मिस्त्री को बुला कर तीनों चापाकलों को ठीक कराया. उन्होंने ग्रामीणों को समझाते हुए कहा कि सड़क जाम करने बजाय ग्रामीण चापाकल खराब करने वाले के खिलाफ प्रशासन को लिखित शिकायत करें. 
         इस अवसर पर चौकीदार हांसदा, रामजीत सोरेन, नायकी हांसदा, फिलिप हेम्ब्रम, बाबूजी बेसरा, उकील बेसरा समेत सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे..!

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अलग झारखंड राज्य के सूत्रधार थे जयपाल सिंह मुंडा..!

03 जनवरी को मनेगी 117 वीं जयंती..!
साहिबगंज :- 02/01/2020. झारखंड में राजनीति के पुरोधा एवं महान हॉकी खिलाड़ी जयपाल सिंह मुंडा की 117 वीं जयंती 03 जनवरी को मनायी जाएगी. महानायक जयपाल सिंह मुंडा को झारखंड की राजनीति का सूत्रधार भी माना जाता है. उन्हें "मरांग गोमके" के नाम से भी जाना जाता है.
      उनका जन्म 03 जनवरी 1903 को खूंटी जिला के टकरा पाहन टोली में हुआ था. उनकी शिक्षा-दीक्षा मिशन स्कूल में हुई. वे एक मेधावी छात्र थे. साथ ही हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी भी थे. 
            1925 में "ऑक्सफोर्ड ब्लू" का खिताब पाने वाले वे एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी थे. वर्ष 1928 की ओलंपिक में जयपाल सिंह मुंडा की कप्तानी में भारत ने हॉकी का स्वर्ण पदक प्राप्त किया था. उनका चयन भारतीय सिविल सेवा (आई सी एस) में भी हुआ था लेकिन हॉकी टीम का कप्तान बनाए जाने के कारण उन्होंने आई सी एस का प्रशिक्षण छोड़ दिया था.
          इस क्रम में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में गोल्ड मेडल भी हासिल किया. इसके बाद उन्होंने बिहार और देश के कई आदिवासी इलाकों का दौरा किया, दौरे के बाद उन्होंने महसूस किया कि आदिवासियों की सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक स्थिति अच्छी नहीं है. इस वजह से उन्होंने आदिवासी और मूलवासियों को एकजुट करने का निर्णय किया. 1938 में उन्होंने "आदिवासी महासभा" का गठन किया और महासभा के अध्यक्ष के तौर पर पहली बार "अलग झारखंड राज्य" की मांग की. 
           कुछ ही वर्षों में वे देश में आदिवासियों की बड़ी आवाज बन गए. इस कारण स्वतंत्र भारत में जब संविधान सभा का गठन हुआ तो वे  सभा के सदस्य बनाए गए. संविधान सभा सदस्य के रूप में उन्होंने देश के सामने आदिवासियों के सामाजिक लोकतांत्रिक मूल्यों एवं जीवन दर्शन को बखूबी सामने रखा. 
            1952 देश के पहले चुनाव में तथा 1957 के प्रांतीय चुनाव में बिहार के चुनाव में जयपाल सिंह मुंडा की झारखंड पार्टी ने मजबूत मानी जाने वाली कांग्रेस पार्टी को दक्षिण बिहार में जबरदस्त चुनौती दी और 34 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल किया. 
           हालांकि बाद में पार्टी कमजोर हो जाने पर उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लिया. वर्ष 1970 में उनकी मृत्यु के करीब 30 वर्षों के बाद झारखंड अलग राज्य बना और आदिवासी मूलवासियों के लिए अलग राज्य का उनका सपना पूरा हुआ..! 

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नव वर्ष के अवसर पर हुआ खेलकूद प्रतियोगिता..!
साहिबगंज/पतना/ :- 01/01/2020. नव वर्ष के अवसर पर पतना के धर्मपुर चर्च मैदान पर खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ. प्रतियोगिता का उद्घाटन स्थानीय चर्च के रेव्ह. दानियल मुर्मू ने किया. इस मौके पर विभिन्न वर्गों के लिए प्रतियोगिता में बालकों के 200 मीटर रेस में आदित्य मुर्मू प्रथम, विवेक मंडल द्वितीय व जेठा किस्कू तृतीय, बालिकाओं के 100 मीटर रेस में दिक्षिता दयाल प्रथम, प्रीति बास्की द्वितीय व कृतिका सोरेन तृतीय, छोटे बालक वर्ग के 50 मीटर रेस में अमन डेविड प्रथम, गोलू दास द्वितीय व तनिष्क मरांडी तृतीय, बालिकाओं के 50 मीटर रेस में मानसी उरांव प्रथम, एलिस दास द्वितीय व प्रीति दास तृतीय, महिलाओं के पैदल रेस में मेरीनीला हेम्ब्रम प्रथम, कनकलता हेम्ब्रम द्वितीय व शांति देवी तृतीय तथा बालिकाओं के सूई-धागा दौड़ में दिक्षिता दयाल प्रथम, सृष्टि दास द्वितीय व कमलिनी हेम्ब्रम ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. 
           विजेताओं को मुख्य अतिथि रेव्ह. दानियल मुर्मू ने पुरस्कार वितरण किया. इस अवसर पर गोपाल बास्की, सिमोन सोरेन, आषीश मंडल, जयप्रकाश दास, प्रताप राय समेत अन्य उपस्थित थे.

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तेंदुए के हमले में घायलों का ईलाज कराएगा वन विभाग..!

साहिबगंज/पतना :- 01/01/2020. वन प्रमंडल साहिबगंज के निर्देश पर पतना के तलबड़िया गांव में 31 दिसम्बर को हुए तेंदुए के हमले में घायलों का ईलाज वन विभाग कराएगा.
        इस संबंध में पतना वन क्षेत्र के वनपाल बिहारी मुंडा ने बताया कि वन विभाग इस घटना में घायल क्रिसस्टम मुर्मू व भोला किस्कू को बेहतर ईलाज के लिए आवश्यक खर्च मुहैया कराएगा. 

           उधर, वन विभाग की ओर से रांची की टीम साहिबगंज पहुंच चुकी है. सूत्रों ने बताया कि रांची की टीम में खतरनाक जानवरों को पकड़ने के विशेषज्ञ शामिल है. वन विभाग तेंदुए की गतिविधियों के लिए लोगों को सीधा संपर्क करने को कहा गया है.

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बरहड़वा पतना में हर्षोल्लास के साथ नए साल का स्वागत..!
साहिबगंज/पतना :- 01/01/2020. वर्ष 2020 के आगमन पर बरहड़वा व पतना में लोगों ने हर्षोल्लास के साथ नए साल का स्वागत किया. वर्ष के पहले दिन विंदुवासिनी पहाड़ के आस पास व मंगलाडीह के निकट पहाड़ की तराई में बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने के लिए जुटे. इन जगहों पर परिवारों के सदस्यों और युवाओं की टोली ने पिकनिक का लुत्फ उठाया.
       उधर, विंदुवासिनी पहाड़ पर स्थित मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु नए साल के अवसर पर पूजा करने भी पहुंचे थे. 

       नए साल को लेकर बरहड़वा व पतना की अधिकतर दुकाने बंद रही. वहीं दोपहर तक मुर्गा और मीट की दुकानों में भीड़ लगी हुई थी. मौसम में नमी होने के बावजूद लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी.

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पतना के तलबड़िया गांव में पहुंचा तेंदुआ, चार को जख्मी किया..!
वन विभाग तेंदुए को पकड़ने में विफल, निकट ही छिपे होने की आशंका..!
साहिबगंज/पतना :- 31/12/2019. पतना प्रखंड के रांगा थाना क्षेत्र अन्तर्गत तलबड़िया गांव में मंगलवार एक तेंदुआ (लेपर्ड) के आने से गांव में दहशत का महौल है. उक्त तेंदुआ को लोगों ने सुबह देखा था लेकिन दिन भर तमाम कोशिशों के बाद भी शाम तक वन विभाग के कर्मी तेंदुए को पकड़ने में विफल रहे.

           स्थानीय लोगों के अनुसार मंगलवार की सुबह तलबड़िया गांव के राम हेम्ब्रम के नए बन रहे मकान में एक व्यक्ति ने तेंदुए को देखा. इसके बाद पूरे गांव के लोग वहां इकट्ठे हो गए. काफी देर तक तेंदुआ अंदर ही रहा, बाद में लोगों के शोरगुल के कारण तेंदुआ लालजी हेम्ब्रम के घर में घुस गया. तेंदुए को घर में घुसते देख लालजी हेम्ब्रम के परिजन किसी तरह जान बचा कर भाग खड़े हुए.

       इस बीच सूचना मिलने पर पतना के बीडीओ सह सीओ चंदन कुमार सिंह व रांगा थाना प्रभारी विष्णुकांत मिश्रा पुलिस बल के साथ तलबड़िया पहुंचे, साथ ही वन विभाग के स्थानीय वन रक्षी राजेश टुडू, चंदन हेम्ब्रम, होपना टुडू व बिहारी मुंडा भी वहां पहुंचे. 
        इससे पहले उक्त तेंदुए ने एक घर से दूसरे घर भागने के क्रम में  सोहित यादव, क्रिसस्टम मुर्मू व भोला किस्कू समेत एक अज्ञात प्रत्यक्षदर्शियों को जख्मी कर दिया. 
          दिन भर तलबड़िया गांव में लोगों की भीड़ और तेंदुए के बीच लुका छिपी का खेल चलता रहा. इसके बावजूद वन विभाग के कर्मी तेंदुए को पकड़ने में नाकाम रहे. शाम होते ही तेंदुए फिर से भागने की कोशिश की और पास के झाड़ियों में घुस गया. 
         फिलहाल तेंदुए की मौजूदगी के कारण तलबड़िया, विजयपुर, केशरो, मयूरझूठी व धरमपुर समेत आस पास के गांवों में दहशत का माहौल है. वहीं प्रशासन ने लोगों से कहा है कि सभी लोग अपने घरों के दरवाजे एवं खिड़कियों को बंद कर रहे तथा अकेले घर से बाहर न निकलें.
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वृद्ध एवं असहाय लोगों के बीच बांटे कंबल..!
साहिबगंज/पतना :- 31/12/2019. पतना प्रखंड के शिवापहाड़ पंचायत में मंगलवार को प्रशासन की ओर से वृद्ध एवं असहाय लोगों के बीच कंबल बांटे गए.
          शीतलहरी व कड़ाके की ठंड के कारण प्रभावित गरीब वृद्ध एवं असहाय लोगों के बीच शिवापहाड़ पंचायत में कंबल का वितरण किया गया. पंचायत के मुखिया मदन हांसदा व उप मुखिया सनोका देवी ने पंचायत के विभिन्न वार्डों के करीब 250 वृद्ध पुरूष व महिलाओं के बीच कंबल का वितरण किया. इस मौके पर पंचायत सचिव वीरेन्द्र कुमार, जनसेवक सुसन्ना सोरेन, विजय कुमार, गोपाल कुमार, समेत अंचल कार्यालय के कर्मी व वार्ड सदस्य उपस्थित थे..!


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एक जनवरी की सुबह बरहड़वा पहुंचेंगे आलमगीर..!
साहिबगंज/बरहड़वा :- 30/12/2019. कांग्रेस विधायक दल के नेता सह झारखंड सरकार के नव नियुक्त कैबिनेट मंत्री आलमगीर आलम नए साल के पहले दिन एक जनवरी को बरहड़वा स्थित अपने पैतृक आवास पहुंचेंगे. इस संबंध में कांग्रेस नेता अश्वनी आनंद ने बताया कि पाकुड़ के विधायक सह झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम एक जनवरी को बरहड़वा के ईस्लामपुर स्थित अपने पैतृक आवास पहुंचेंगे. 
        उन्होंने कहा कि आलमगीर आलम के आगमन पर बरहड़वा स्टेडियम में मंत्री महोदय का नागरिक अभिनंदन किया जाएगा. इसके लिए कांग्रेस पार्टी की स्थानीय ईकाई और नागरिकों की ओर से तैयारी की जा रही है..! 

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पत्थर लदा ट्रक दुर्घटनाग्रस्त..!
साहिबगंज/पतना :- 28/12/2019. बरहड़वा-बरहेट मुख्य सड़क पर पतना चौक के निकट शनिवार की अहले सुबह एक पत्थर चिप्स लदा ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया..!
      स्थानीय निवासी सन्नी दास के अनुसार अहले सुबह उन्होंने जोरदार धमाके की आवाज सुनी..! कुछ देर बाद लोगों की आवाज सुनकर वह बाहर सड़क पर आया तो देखा कि वहां सड़क के किनारे रखे ईंटों को रौंद कर एक 14 चक्का ट्रक नाले में फंसा हुआ था..! उक्त ईंटों को प्रधानमंत्री आवास निर्माण कार्य के लिए रखा गया था..! अन्य प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि WB 57 B 9983 नम्बर की ट्रक का एक्सल टूट जाने से ट्रक दुर्घटना ग्रस्त हुआ है..!

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प्रभु यीशु के जन्म का उत्सव आज से शुरू..!
मंगलवार को गिरजाघरों में देर शाम को विशेष प्रार्थना सभा हुई..!

साहिबगंज:- 24/ 12/ 2019. 
मंगलवार 24 दिसम्बर की देर शाम से ही पतना बरहड़वा के गिरजाघरों में प्रभु यीशु के जन्म का उत्सव शुरू हो गया है.
        पतना- बरहड़वा स्थित धर्मपुर सीएनआई चर्च में मंगलवार को देर शाम विशेष प्रार्थना सभा आयोजित हुई. इस अवसर पर चर्च के पादरी रेव्ह. दानियल मुर्मू ने कहा कि करीब दो हजार वर्ष पूर्व मध्यपूर्व एशिया के बैथलेहम नगर में स्थित एक गौशाले में प्रभु यीशु का जन्म हुआ था.
       बैथलेहम नगर में उस वक्त जनगणना में नाम लिखवाने के लिए लोग जमा हुए थे. उन लोगों में नासरत का युसूफ और उसकी पत्नी मरियम भी बैथलेहम पहुंचे थे. 
          मरियम गर्भवती थी, और जिस दिन वे बैथलेहम पहुंचे थे. उसी रात को मरियम ने एक बालक को जन्म दिया. 
         सीतापहाड़ स्थित कैथोलिक चर्च में भी देर रात मिस्सा पूजा आयोजित हुई. इस मौके पर फादर क्रिसोस्टम हेम्ब्रम ने मिस्सा पाठ पढ़ा एवं कहा कि प्रभु यीशु का जन्म परमेश्वर की ओर से तय था. इसलिए परमेश्वर ने ही कुंवारी मरियम को चुना और उसके द्वारा प्रभु यीशु का जन्म हुआ. 
         फादर ने बताया कि यीशु के जन्म की भविष्यवाणी विद्वानो ने की थी. जिस समय यीशु का जन्म हुआ उस रात को आसमान पर एक अद्भुत चमकीला तारा प्रकट हुआ था. उन्होंने कहा कि प्रभु यीशु का जन्म मनुष्यों को पाप से उद्धार दिलाने के लिए हुआ है, जो कोई यीशु पर विश्वास करता है उसे उद्धार मिलता है. इस अवसर पर गोपाल बास्की, सिमोन सोरेन, मनोज टुडू, समेत अन्य उपस्थित थे.

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23 वर्षों में भी लागू नहीं हो सका पी पेसा कानून..!
1996 में संविधान के 73 वें संशोधन में पारित हुआ था पी पेसा कानून..!

साहिबगंज:- 24/12/ 2019 पतना प्रखंड के धर्मपुर रांगा में मंगलवार 24 दिसम्बर को आदिवासी बुद्धिजीवि मंच की ओर से पी पेसा दिवस पर प्रेस वार्ता की गयी. इस अवसर पर मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर मालतो ने कहा कि देश में संसद से पारित पी पेसा कानून 1996 एक ऐसा कानून है जो आज 23 वर्षों के बाद भी लागू नहीं हो सका है.
        उन्होंने कहा कि देश की संसद में संविधान के 73 वें संशोधन के द्वारा "दि प्रोविजन्स ऑफ पंचायत एक्सटेंशन टू दि शिड्यूल एरिया एक्ट-1996  (पी पेसा कानून) बना.
           पी पेसा कानून 1996 पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी और मूलवासियों के लिए सुरक्षा कवच है तथा उन्हें अपनी रूढ़ीगत पारंपरिक पहचान के साथ अधिकार सम्पन्न बनाता है. 
           विक्टर मालतो ने कहा कि संसद से पारित इस कानून का सेक्शन 4 (ओ) पांचवीं अनुसूची के क्षेत्र में सामान्य त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था पर रोक लगाता है, इसके बावजूद झारखंड के पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था लागू है, जो असंवैधानिक है.
          उन्होंने कहा कि इस संबंध में भारत के अनुसूचित जनजाति आयोग और झारखंड राज्य की विधानसभा समिति ने भी कहा है कि झारखंड में पी पेसा कानून 1996 का अक्षरश: अनुपालन किया जाए.
         आदिवासी बुद्धिजीवि मंच करीब 18 वर्षों से लगातार इसकी मांग करता आ रहा है. आज पीपेसा कानून दिवस पर राज्यपाल महोदया से मांग करते हैं कि पी पेसा कानून 1996 का अक्षरश: पालन किया जाए.

         इस अवसर पर सेबास्टियन हेम्ब्रम, सुनील सोरेन, शील मुर्मू, मनोज टुडू, संटू किस्कू, सच्चिदा मरांडी, सोले मरांडी समेत अन्य उपस्थित थे..!

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उर्जा संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव..!
राष्ट्रीय उर्जा संरक्षण दिवस पर विशेष..!
साहिबगंज:- 14/12/2019. आज 14 दिसम्बर राष्ट्रीय उर्जा संरक्षण दिवस है. लेकिन दुर्भाग्य से इस महत्वपूर्ण दिन को लेकर आम लोगों में जागरूकता का बड़ा अभाव है. 
       देश में उर्जा के संरक्षण को लेकर 2001 में ही कानून बन चुका था. इस कानून को लागू करने के लिए उर्जा संरक्षण ब्यूरो एक सरकारी संस्थान है. इस संस्थान और राष्ट्रीय उर्जा संरक्षण दिवस के माध्यम से लोगों को उर्जा के संरक्षण के लिए नीति और नियमन बनाने का काम किया जाता है.
           लेकिन, दुर्भाग्य से कानून बन जाने के बाद भी उर्जा के संरक्षण को लेकर लोगों की उदासीनता बरकरार है. 
            यही वजह है कि आज बड़े पैमाने पर सरकारी भवनों, आवासों, चौक- चौराहे और दूसरे जगहों पर दिन में भी लाईट जलती हुई दिख जाती है. इसी तरह कार्यालयों या आवासों के खाली कमरों में पंखे, एसी और अन्य उपकरण चालू रहते हैं.   
       देश में उर्जा के पारंपरिक या गैर पारंपरिक स्त्रोत के साधनों पर बड़ी आबादी का बोझ है. ऐसे में उत्पादित उर्जा या सौर उर्जा के उपलब्ध क्षमता का आवश्यकता के अनुसार उपयोग कर उर्जा का संरक्षण किया जा सकता है.
       राष्ट्रीय उर्जा संरक्षण दिवस का उद्देश्य है कि उपलब्ध उर्जा का आवश्यकता के अनुसार उपयोग कर उर्जा को संरक्षित किया जा सकता है.

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साहिबगंज:- 09/12/2019. हूल क्रांतिकारी बाबा बैजल की सारंगी संताल संस्कृति की पहचान..! संताल समुदाय का सबसे प्राचीन वाद्ययंत्र माना जाता है एक तारा सारंगी..! सन् 1855-56 में अंग्रेजों के खिलाफ सिदो- कान्हू के नेतृत्व में छेड़ा गया हूल भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है. 
         इस अध्याय का एक हिस्सा है बाबा बैजल सोरेन. बाबा बैजल सोरेन का जन्म सुंदर पहाड़ी के निकट एक गांव में हुआ था. साहिबगंज जिला के पतना प्रखंड अन्तर्गत इमली गाछ चौक पर बाबा बैजल सोरेन की प्रतिमा लगी है. उनका नाम सिदो-कान्हू की तरह प्रसिद्ध नहीं है. लेकिन देश-विदेश में संताल समुदाय के बीच बाबा बैजल सोरेन एक क्रांतिकारी एवं महान लोकगायक के रूप में प्रसिद्ध है. संताल समुदाय उन्हें समाज की संस्कृति का सबसे प्रतिष्ठित वाहक मानते हैं.
       बाबा बैजल सोरेन की जो तस्वीर आज सामने है, उसमें उनके हाथों में एक सारंगी दर्शाया गया है. इस सारंगी (बानाम) को 'बेला' या 'बेहाला' भी कहा जाता है. इस वाद्ययंत्र को लकड़ी और किसी पशु के चमड़े से बनाया जाता है. इस वाद्ययंत्र में एक तार या दो तार लगाए जाते हैं. 
           पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिला स्थित घोषालडांगा विष्णुबाटी में 09 दिसम्बर 2019 को "6ठा संताल म्यूजियम डे" मनाया गया. विष्णुबाटी और संतालों के वाद्ययंत्र सारंगी (बानाम) का एक अनोखा रिश्ता है. 
      विष्णुबाटी में करीब छह साल पहले "घोषालडांगा विष्णुबाटी आदिवासी ट्रस्ट एंड म्यूजियम ऑफ संताल कल्चर" की स्थापना हुई थी. विष्णुबाटी में हर साल संताल लोक कलाकार, वाद्ययंत्रों के निर्माता और समुदाय के गणमान्य लोग उपस्थित होते हैं और कई तरह की गतिविधियां होती है. 
        विष्णुबाटी स्थित संताल म्यूजियम की सबसे अनोखी चीज है, सारंगी यानी बानाम. संताल समुदाय में आज भी कई लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों में 'बानाम' का उपयोग करते हैं और कई लोग इसका निर्माण अपने हाथों से करते हैं. विष्णुबाटी के संताल म्यूजियम में सबसे अनोखा संग्रह 'बानाम' का है. यहां संग्रहित 'बानाम' के डिजायन कलाप्रेमियों के लिए रचनात्मकता की एक नयी खिड़की खोलता है..! 

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साहिबगंज:- 05/12/2019.
बाबा साहब के महा परिनिर्वाण दिवस पर चढ़ा उन्माद का रंग..! बाबा साहब ने लाखों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था..! 06 दिसम्बर का दिन भारत के इतिहास में दो बड़ी घटनाओं का गवाह है. पहली महत्वपूर्ण घटना थी बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का महा परिनिर्वाण (पुण्यतिथि) दिवस, और दूसरी बड़ी घटना थी बाबरी मस्जिद के ढांचे का गिराया जाना.
          बाबा साहब का महा परिनिर्वाण 06 दिसम्बर 1956 को हुआ था. उनका अंतिम संस्कार मुंबई में बौद्ध रीति रिवाज से हुआ था. उनके परिनिर्वाण के करीब 36 वर्षों के बाद 06 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को उन्मादी भीड़ ने ढहा दिया था. हाल ही में अयोध्या के चर्चित फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने ढांचे को गिराये जाने को गलत बताया है. 
        साधारणत: एक ही दिन देश में दो बड़ी घटनाओं का होना महज संयोग माना जाता है. लेकिन लोगों की भीड़ द्वारा एक निर्धारण तारीख को किसी काम को अंजाम देना महज संयोग नहीं हो सकता. इन दोनों घटनाओं में यही एक बड़ा सवाल है. हम भले ही इस सवाल से नजरें चुरा लें, लेकिन सवाल तो मौजूद है. 
        बाबा साहब ने अपने महा परिनिर्वाण से महज 36 दिन पूर्व 14 अक्टुबर 1956 को हिन्दू धर्म का त्याग कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण किया था. उनके साथ पांच लाख से भी अधिक लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया था. दुनिया के इतिहास में संभवत यह सबसे बड़ा धर्म परिवर्तन था. लेकिन करीब चार दशकों से बाबा साहब से जुड़े इस पहलू पर जैसे पर्दा डाल दिया गया है. छह दिसम्बर को जिस प्रकार बाबरी प्रकरण की चर्चा होती रही है. उससे यही प्रतीत होता है कि बाबा साहब के महा परिनिर्वाण दिवस को देश के नागरिकों के स्मृतियों से मिटाने की कोशिश की जा रही है.
         बाबा साहब बौद्ध धर्म ग्रहण करने के बाद भले ही ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहे, लेकिन वे काफी पहले ही बौद्ध धर्म के संबंध में जानकारी हासिल करना और अध्ययन करना शुरू कर दिया था. उन्होंने "दि बुद्धा एंड हिज धम्म" नामक पुस्तक लिखा था. यह पुस्तक उनके महा परिनिर्वाण के बाद 1957 में प्रकाशित हुआ था. बाबा साहब के जीवन का यह महत्वपूर्ण पहलू है..! 
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साहिबगंज:- 05/12/2019.
कैंडिडेट की भीड़ बड़े दलों के डर का परिणाम..! डमी कैंडिडेट की उपयोगिता खर्च कम दिखाने का उपाय..! पांचवें और अंतिम चरण के लिए यहां होने वाले चुनाव को लेकर नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी आज पूरी हो गयी है. स्क्रूटनी के बाद साहिबगंज जिला के अन्तर्गत तीनों विधानसभा क्षेत्रों से अब कुल 49 प्रत्याशी मैदान पर गए हैं. हालांकि, अभी नामांकन वापसी का समय बाकी है.
         स्क्रूटनी में राजमहल विधानसभा क्षेत्र से कुल 24, बरहेट विधानसभा क्षेत्र से कुल 12 और बोरियो विधानसभा से कुल 13 प्रत्याशी हैं. इसमें बडे़ और मुख्यधारा की पार्टियों के महज तीन या चार प्रत्याशी ही हैं. जबकि, छोटी पार्टी और निर्दलीयों की संख्या ज्यादा होती है. इनमें कई प्रत्याशी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ते हैं तो कई बड़ी पार्टियों के डमी के तौर पर चुनावी मैदान में होते हैं. 
         चुनावों में डमी कैंडिडेट की उपस्थिति की परम्परा पुरानी है. लेकिन अब डमी कैंडिडेट मुख्यधारा की बड़ी पार्टियों के प्रत्याशियों की जरूरत बन गया है. 
          इस संबंध में 1974 के आंदोलनकारी और वरिष्ठ पत्रकार रामनाथ विद्रोही कहते हैं कि मौजूदा समय के चुनाव में कैंडिडेटों की भीड़ का बड़ा हिस्सा मुख्यधारा के पार्टियों के प्रत्याशियों की मदद के लिए उतारा जाता है. 
         वे कहते हैं कि लगभग हरेक पार्टी चुनाव में संगठन या बड़े नेताओं की पसंद के प्रत्याशियों को टिकट देते हैं, जिसकी असली परीक्षा जनता के बीच में होता है. इसलिए सभी को हार का डर होता है. पार्टी के बड़े नेता भी समझते हैं कि उनके पास जनता के हर सवालों का जवाब नहीं है. 
         आज का चुनाव प्रबंध कौशल से लड़ा जाता है. क्योंकि मुद्दों की लिस्ट इतनी लंबी होती है कि जनता को संतुष्ट करना ईसान नहीं होता है. इसलिए डमी कैंडिडेट उतारना भी इसी चुनावी प्रबंध कौशल का हिस्सा है. 
           चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट्स का चुनावी खर्च भी डमी कैंडिडेट्स की वजह से कम दिखाना आसान होता है. वे कहते हैं कि आज एक विधायक या सांसद के चुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित खर्च की सीमा से अधिक खर्च किया जाता है. बड़े दलों के नेता अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए बड़ी रकम खर्च करते हैं. इस खर्च से डमी कैंडिडेट के वाहन, प्रचार करने वाले और बूथों पर  काम करने तथा काउंटिंग के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता मिल जाते हैं. 
          रामनाथ विद्रोही के अनुसार डमी कैंडिडेट विरोधियों के प्रभाव क्षेत्रों में वोट के बिखराव में भी मदद करते हैं. 
        बहरहाल, चुनाव दर चुनाव डमी कैंडिडेट्स की भूमिका बड़ी पार्टियों के प्रत्याशियों के मददगार के रूप में बड़ा आकार लेता जा रहा है..!
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साहिबगंज:- 04/12/ 2019.
लोकतंत्र में जनता अपने प्रतिनिधि के लिए वोट डालें..! लोकतंत्र में चुनाव अपने प्रतिनिधि को चुनने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है. इस बार झारखंड विधानसभा का चुनाव यहां की जनता और राजनीतिक परिस्थिति के लिए अहम पड़ाव साबित हो सकता है. जाने माने व्यंगकार और कवि अशोक प्रसाद सिंह का यह मानना है.
      अशोक प्रसाद सिंह के व्यंग और कविताएं कई पाक्षिक और मासिक पत्रिकाओं में छप चुकी है. 
      वे कहते हैं कि इस चुनाव में बड़ी पार्टियों के अलावा कई छोटी राजनीतिक पार्टियां और निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतर रही है. इनमें से अधिकतर वैसी पार्टियां है, जिनका कोई मेनूफेस्टो नहीं है. यदि वे चुनाव जीत गए तो सत्ता में बैठी पार्टी का समर्थन करेंगे या विपक्ष में रह कर जनता की आवाज बुलंद करेंगे, यह भी साफ नहीं है. 
         उनका मानना है कि असल में चुनाव के मैदान में उतरे ऐसे ज्यादातर प्रत्याशी जनता को भरोसा दिलाने के बजाए जनता के बीच भ्रम पैदा करते हैं. वे कहते हैं कि वोट डालने का अधिकार संविधान के पालन करने की व्यवस्था को मदद करता है.
       हालांकि चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाने के बाद चुनाव आयोग  चुनाव को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है. इसका उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा मतदान कराया जा सके. चुनाव आयोग यह भी कहता है कि अपना वोट लालच या अन्य कारणों से नहीं बेचें. 
       लेकिन, जनता कैसा प्रतिनिधि चुने, इस संबंध में किसी भी तरह का जागरूकता अभियान नहीं चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पार्टी के नाम पर प्रत्याशी को वोट करना और वोट के द्वारा अपना जनप्रतिनिधि चुनना बिल्कुल अलग बात है. वास्तव में संविधान ने हमें अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया है. 
           लेकिन, वर्तमान व्यवस्था में हम राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशी को ही वोट डाल कर चुनते हैं. यही कारण है कि आज बड़ी संख्या में सांसद या विधायक दागी हैं. वे कहते हैं कि जनता को वोट डालने का अधिकार मिलना बड़ी बात है, लेकिन इस अधिकार का इस्तेमाल कर एक बेहतर और योग्य प्रत्याशी को चुनना भी बड़ी जिम्मेदारी का काम है. एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हरेक वोटर को अवश्य ही वोट डालना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि चुनाव आयोग एक बेहतर और योग्य जनप्रतिनिधि के चुनाव के लिए भी जागरूकता अभियान चलाए..!
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साहिबगंज :- 02/12/2019.
डाल-डाल पात-पात का चुनाव प्रचार..! 1977 का लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव गैर कांग्रेस वादी राजनीति का महत्वपूर्ण पड़ाव था. इस चुनाव ने देश में पहली बार कांग्रेस के विकल्प को आधार दिया था..!
          सन् 1977 का चुनाव राजनीतिक इतिहास में जितना महत्वपूर्ण माना जाता है, इससे जुड़े किस्से भी उतने ही दिलचस्प है..! 
          उस समय बरहेट विधानसभा के चुनाव में परमेश्वर हेम्ब्रम जनता पार्टी के उम्मीदवार थे. उनके सामने निर्दलीय पूर्व विधायक मसीह सोरेन मुख्य प्रतिद्वंदी थे. चुनाव प्रचार शुरू हो चुका था. मसीह सोरेन चुनाव प्रचार के लिए ज्यादातर पैदल ही घूमते थे..!
           जनता पार्टी के प्रत्याशी परमेश्वर हेम्ब्रम को चुनाव प्रचार के लिए एक जीप मिली थी. एक दिन बरहरवा स्टेशन के निकट सुबह-सुबह जनता पार्टी के प्रत्याशी परमेश्वर हेमब्रम और निर्दलीय प्रत्याशी मसीह सोरेन की मुलाकात हो गयी. दुआ सलाम हुआ फिर दोनों अपने-अपने रास्ते प्रचार के लिए निकल पड़े..! 
            करीब डेढ़ घंटे बाद जनता पार्टी के प्रत्याशी बरहेट प्रखंड के खेरुआ गांव पहुंच गए थे. वहां वे लोग करीब बीस मिनट रूके थे. इसके बाद उनकी जीप शिवगादी की ओर निकल पड़ी. जीप कुछ ही दूर गयी थी कि रास्ते पर अचानक मसीह सोरेन दिखायी पड़े. जीप रूकी और परमेश्वर हेम्ब्रम ने बाहर निकल कर बड़े आश्चर्य से पूछा...अरे आप इतनी जल्दी यहां कैसे पहुंच गए..? 
             जवाब में मसीह सोरेन ने कहा...आप लोग डाल-डाल चलते हैं तो हम भी पात-पात चलते हैं. 
           दरअसल, मसीह सोरेन उस समय पैदल ही बिंदुवासिनी के पास से पहाड़ के रास्ते मंगलाडीह, तालझारी व मंडालो होते हुए खेरूआ पहुंच गए थे. जानकारों के अनुसार बरहरवा से पहाड़ों के बीच का यह रास्ता महज एक-डेढ़ घंटे में शिवगादी तक पहुंच जाता है..!
            आज भी शिवगादी जाने वाले कई लोग पहाड़ों के इसी रास्ते का इस्तेमाल करते हैं. बहरहाल, पात-पात चलने वाले मसीह सोरेन 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के प्रत्याशी परमेश्वर हेम्ब्रम से चुनाव हार गए थे..! 
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साहिबगंज:- 01/12/2019.
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री ने दिया इस्तीफा..! भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री नजीबुल हक ने अपने पद एवं पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने रविवार को पतना प्रखंड के दुर्गापुर स्थित आवास पर पत्र जारी कर इसकी जानकारी दी. मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सोना खान को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि वे पिछले बीस वर्षों से भाजपा के साथ जुड़े हुए थे...! 
                 लेकिन, अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को लेकर पार्टी की नीति नहीं बदली है. भाजपा का सबका साथ सबका विकास का नारा भी छलावा साबित हुआ है. उन्होंने कहा कि लोकसभा या विधानसभा चुनावों में भाजपा द्वारा एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं देना, भाजपा की नीति का हिस्सा है..!
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साहिबगंज:- 30/11/2019. 
साहिबगंज में यूपीए के तीन सीटों पर खेल बिगाड़ सकता है आजसू..! एनडीए से अलग हुआ आजसू झारखंड में कई सीटों पर यूपीए गठबंधन का खेल बिगाड़ सकता है. जिस तरह विभिन्न दलों के बागियों ने आजसू का दामन थामा है, उससे यही कयास लग रहे हैं कि आजसू के टिकट पर मैदान में उतरे प्रत्याशी सबसे ज्यादा यूपीए को ही नुकसान पहुंचा सकते हैं. 
         राजमहल लोकसभा क्षेत्र में साहिबगंज जिला की तीन  विधानसभा सीटें हैं. इनमें से राजमहल और बोरियो विधानसभा में आजसू ने मो. ताजुद्दीन उर्फ एमटी राजा तथा ताला मरांडी जैसे कद्दावर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है. माना जा रहा है कि इन सीटों पर  आजसू मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएगी. 
         वहीं, बरहेट सीट पर आजसू ने युवा नेता गमानिएल हेम्ब्रम को प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर भी आजसू की मौजूदगी से झामुमो की मुश्किल ही बढ़ती दिख रही है. 
         पिछले दो चुनावों में पहले और दूसरे स्थान पर रहे पार्टियों को मिले वोट शेयर का अंतर अधिकतम ग्यारह प्रतिशत है. इस बार आजसू के अलावा जदयू और कई निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. 
             जानकारों का मानना है कि बोरियो एवं राजमहल सीट पर यूपीए गठबंधन की मुश्किल साफ दिख रही है. वहीं बरहेट में अभी तक झामुमो का प्रचार-प्रसार शुरू नहीं हो पाया है. चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही हेमन्त सोरेन अबतक यहां नहीं पहुंचे है. जबकि दूसरे दलों के प्रत्याशी चुनावी प्रचार में जुट गए हैं. बहरहाल यहां यूपीए गठबंधन का भविष्य आजसू और दूसरे प्रत्याशियों के प्रदर्शन पर टिका हुआ है...! 
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साहिबगंज:- 29/11/2019.
बरहेट में आठ बार रहा झारखंड नामधारी पार्टी का कब्जा..! बीजेपी का अबतक नहीं खुल सका खाता..! संताल हूल के नेतृत्वकर्ता अमर शहीद सिदो-कान्हू की जन्म स्थली बरहेट विधानसभा सीट पर अबतक झारखंड नामधारी पार्टियों का कब्जा रहा है.
          वर्ष 1957 से अबतक इस सीट पर कुल 13 चुनाव हो चुके हैं. इन चुनावों में झारखंड नामधारी पार्टियों का कुल आठ बार कब्जा रहा है. 1952 में पहले विधानसभा चुनाव में बरहेट राजमहल दामिन सीट का हिस्सा था. वर्ष 1957 में पहली बार बरहेट सीट पर चुनाव हुआ. इस चुनाव में झारखंड नामधारी पार्टी जेएचपी के प्रत्याशी बाबूलाल टुडू ने कांग्रेस के जयराम मुर्मू को पराजित किया था. 
           बरहेट में 1962 के विधानसभा चुनाव में पुन: झारखंड पार्टी ने कांग्रेस प्रत्याशी को पराजित किया. वर्ष 1967 और 1972 में बरहेट के तीसरे और चौथे चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी मसीह सोरेन विजयी हुए थे. 1977 में जेपी के लहर में जनता पार्टी के प्रत्याशी यहां से जीते थे.
       वर्ष 1980 एवं 1985 में बरहेट सीट से कांग्रेस के थॉमस हांसदा ने जीत हासिल किया था. इसके बाद 1990 से अबतक बरहेट सीट पर लगातार छह बार झामुमो का कब्जा रहा है. 
            बरहेट सीट पर झामुमो और झारखंड नामधारी पार्टियों के प्रभाव का इतिहास इस सीट को झामुमो के लिए सबसे सुरक्षित सीट बनाता है. हालांकि बीजेपी को अबतक इस सीट पर कामयाबी नहीं मिली है. लेकिन बीजेपी को पूरी उम्मीद है कि वह बरहेट सीट पर झामुमो के जीत के सिलसिले को रोक सकता है...!
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साहिबगंज:- 28/11/2019.
ज्योतिबा फुले ने भारत में बालिकाओं का पहला स्कूल खोला..! फुले की 129 वीं पुण्यतिथि आज..! देश के महान दलित समाज सुधारक, शिक्षाविद, दार्शनिक और क्रांतिकारी ज्योतिराव फुले की आज पुण्यतिथि है. उन्हें महात्मा फुले एवं ज्योतिबा फुले भी कहा जाता है. उनका जन्म 04 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के कल्गुन में हुआ था और उनका निधन 28 नवम्बर 1890 को हुआ था.
     उनकी माता चिमनाबाई और पिता गोविन्दराव थे. वे दलित समुदाय से आते थे और माली का काम करते थे. ज्योतिबा फुले बचपन में ही जाति आधारित भेदभाव के कारण स्कूल नहीं जाना चाहते थे. लेकिन एक अरबी और फारसी के विद्वान गफ्फार बेग मुंशी और एक फादर लिजिट ने उन्हें शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया. 
           उस समय महाराष्ट्र में जाति व्यवस्था वीभत्स रूप में मौजूद थी और स्त्रियों की शिक्षा को लेकर समाज उदासीन था. समाज में स्त्रियों की स्थिति काफी दयनीय थी. ज्योतिबा फुले ने जब शिक्षा पूरी कर ली तब वे समाज सुधार के काम पर लग गए. इसके बाद वे सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए महिला शिक्षा, विधवा विवाह, किसानों की समस्या और अछूतोद्धार का अभियान शुरू कर दिया. इसी क्रम में उन्होंने पुणे में बालिकाओं की शिक्षा के लिए स्कूल खोला जो भारत में बालिकाओं के लिए पहला स्कूल माना जाता है. 
             ज्योतिबा फुले ने 1873 में सत्य शोधन समाज संस्था की स्थापना किया. इन प्रमुख  सामाजिक सुधार आंदोलन के अलावा उस क्षेत्र में चल रहे छोटे-छोटे आंदोलन को समर्थन एवं बढ़ावा दिया. उन्होंने दलित एवं पिछड़े समुदाय के लोगों में नए विचार और नए चिंतन की प्रेरणा जगाने का काम किया. भारत के वंचित समुदाय के लिए उनका महान योगदान हमेशा याद किया जाएगा.
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साहिबगंज:- 27/11/2019.
बोरियो सीट में कांग्रेस को सिर्फ दो बार मिली है जीत..! बोरियो में अबतक मिला-जुला रहा है परिणाम..! देश में भले ही कांग्रेस की सत्ता 60 वर्षों तक रही हो, लेकिन बोरियो विधानसभा की सीट पर कांग्रेस पार्टी को सिर्फ दो बार ही जीत हासिल हुई है. संयुक्त बिहार एवं झारखंड में अब तक कुल 14 विधानसभा चुनाव हुए हैं.
         वर्ष 1952 से 2014 तक यहां कुल 14 विधानसभा चुनाव हुए हैं. इन चुनावों में बोरियो सीट पर 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी जॉन हेम्ब्रम ने झामुमो प्रत्याशी को पराजित कर जीत हासिल किया था. 
        हालांकि, इस सीट पर सबसे अधिक तीन बार झामुमो ने कब्जा किया है. झामुमो ने वर्ष 1990, 2000 तथा 2009 में बोरियो सीट पर कब्जा जमाया था. 
         बीजेपी ने 2005 तथा 2014 में बोरियो सीट पर जीत हासिल किया था. हालांकि इससे पहले झारखंड हूल पार्टी (जेएचपी) के प्रत्याशी भी 1957 एवं 1952 में यहां से जीत चुके हैं. 1952 में इस सीट को "राजमहल दामिन" कहा जाता था. 
          इसके बाद 1962 में झारखंड पार्टी एक बार, 1967 में एसडब्ल्यूए के प्रत्याशी एक बार, 1972 में पीजेएच एक बार, 1977 में जनता पार्टी एक बार तथा वर्ष 1995 में निर्दलीय प्रत्याशी एक बार जीत हासिल कर चुके हैं. 
           बोरियो विधानसभा में अबतक हुए चुनावों के परिणाम से यही जाहिर होता है कि यहां किसी भी पार्टी का लंबे समय तक प्रभाव नहीं रहा है. यहां के वोटरों का यह ट्रेंड बताता है कि इस सीट पर हर चुनाव बदलाव की उम्मीद जगाता है...!

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साहिबगंज:- 26/11/2019.
1977 के चुनाव की स्मृतियों को साझा कर रहे हैं घनश्याम शर्मा..! सत्तर के दशक में चुनाव आज की तरह न तो हाईटेक था और न ही खर्चीला था. कई निर्दलीय प्रत्याशी पूरे विधानसभा क्षेत्र में पैदल ही घूमते थे. जबकि, किसी बड़ी राजनीतिक पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार के लिए दो-तीन विधानसभा क्षेत्रों को एक ही वाहन उपलब्ध कराया जाता था.
          अपनी जिंदगी के 75 बसंत देख चुके बरहरवा बाजार के निवासी पंडित घनश्याम शर्मा ने 1977 के विधानसभा चुनाव की स्मृतियों को साझा करते हुए कई पहलुओं की जानकारी दी.
          पंडित घनश्याम शर्मा के अनुसार 1977 में संताल परगना के आदिवासी बहुल क्षेत्र में भी जेपी आंदोलन का व्यापक प्रभाव पड़ा था. 1977 में बोरियो, बरहेट एवं पाकुड़ सीट से जेपी की अगुवाई वाली जनता पार्टी के प्रत्याशी चुनाव लड़े थे. जिसमे से बोरियो एवं बरहेट की एसटी (सुरक्षित) सीट पर जनता पार्टी विजयी हुई थी. जबकि पाकुड़ सीट पर दूसरे स्थान पर रही थी.
          पंडित घनश्याम शर्मा उस समय हुए चुनाव प्रचार की यादें ताजा करते हुए बताते हैं कि जनता पार्टी की ओर से बोरियो, बरहेट एवं पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए सिर्फ एक ही जीप मिली थी. वही जीप तीनों विधानसभा क्षेत्र में अलग-अलग दिन घूमती थी. जिसमे स्थानीय कार्यकर्ता व नेता दौरा करते थे.
             वे कहते हैं कि जीप या दूसरे प्रचार वाहन में घूमने वाले प्रत्येक कार्यकर्ताओं को दो रूपए प्रतिदिन के हिसाब से खर्च मिलता था. यह राशि भी पूरा खर्च नहीं होता था. उस वक्त चुनाव में धनबल का प्रभाव नहीं था. अब तो परिस्थिति काफी बदल गयी है. लेकिन जनता चाहे तो चुनाव में धनबल को प्रभावहीन कर किसी बेहतर उम्मीदवार को विजयी बना सकती है...!
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साहिबगंज/
बरहरवा :- 26/11/2019.
पत्थर व्यवसायी के घर आयकर का छापा..! बरहरवा थाना क्षेत्र अन्तर्गत एनएच 80 के करीब एक बड़े पत्थर व्यवसायी के घर आयकर विभाग के छापेमारी की खबर मिली है. सूत्रों के अनुसार दोपहर के बाद व्यवसायी के घर आयकर विभाग की टीम पहुंची और उक्त व्यवसायी के घर और कार्यालय में कागजातों की जांच कर रही है..! 
        हालांकि स्थानीय पुलिस इस संबंध में कुछ भी बताने से इंकार कर रही है..! लेकिन सूत्रों का कहना है कि देर शाम तक व्यवसायी के घर और कार्यालय में जांच चल रही थी..!

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साहिबगंज:- 25/11/2019. 
जनता एवं सरकार के कर्तव्य और अधिकारों का मसौदा है संविधान..! 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा से पारित हुआ था संविधान..! भारत का संविधान देश का सर्वोच्च विधान है. संविधान सभा ने इस संविधान को तैयार करने का काम 09 दिसम्बर 1947 में शुरू किया था. जिसे 26 नवम्बर 1949 को सभा ने पारित किया और यह संविधान 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ.
       भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान माना जाता है. इस संविधान को तैयार करने वाली सभा में कुल 389 सदस्य थे. संविधान का मसौदा लिखने वाली समिति को इसे लिखने में कुल 02 वर्ष 11 महीने और 18 दिन लगे थे. इससे पहले सभा ने 114 दिनों तक संविधान के मसौदे पर बहस की कुल 12 अधिवेशन हुए. भारत के संविधान के मसौदे पर कुल 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किया है. संविधान सभा की समिति ने संविधान की मूल पुस्तिका को हिन्दी एवं अंग्रेजी में लिखकर कैलीग्राफ किया. मूल संविधान में टाइपिंग या प्रिंट के लेखन नहीं है.
           भारत के संविधान में आज 465 अनुच्छेद हैं. इसके कुल 22 भाग (पार्ट) हैं और कुल 12 अनुसूचियां हैं. देश में संविधान के प्रभावी होने के बाद से अबतक संविधान में संशोधन के लिए कुल 124 संशोधन विधेयक लाए गए हैं, जिनमे से कुल 103 संशोधन लाए गए हैं. 
           भारत का संविधान ही देश का विधान है, सरकार, सरकारी संस्थाएं और जनता जिसका पालन करती है. यही संविधान देश के सभी सरकारों, संस्थानों और आम जनता को अधिकार देती है और कर्तव्य बोध कराती है.
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साहिबगंज:- 25/11/2019. 
1977 में ध्रुव भगत तक नहीं पहुंच सका था जनता पार्टी का सिंबल..! निर्दलीय ही चुनाव जीत गए थे ध्रुव भगत..! साहिबगंज :- राजमहल विधानसभा की सीट पर जेपी के लहर में 1977 में ध्रुव भगत ने निर्दलीय चुनाव जीता था. उनके निर्दलीय चुनाव जीतने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. 
           1974 के आंदोलन से जुड़े रामनाथ विद्रोही अपने अनुभव को साझा करते हुए बताते हैं कि ध्रुव भगत भी 1974 के आंदोलन से जुड़े हुए थे. उस समय जेपी आंदोलन में जनसंघ और सोशलिस्ट समर्थक नेता व कार्यकर्ता एक साथ थे. 
             वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने राजमहल, बोरियो, बरहेट व पाकुड़ सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए चुनाव सिंबल भेजा था. लेकिन, ऐसी चर्चा है कि किसी खास वजह से पार्टी का सिंबल राजमहल तक नहीं पहुंच सका. हालांकि ध्रुव भगत ने पहले से ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रखी थी. उस वक्त जेपी आंदोलन के कारण कांग्रेस के खिलाफ वातावरण तैयार था. इसलिए ध्रुव भगत ने निर्दलीय ही नामांकन कर दिया. दिलचस्प बात यह है कि उनके नामांकन करने के बाद पार्टी का सिंबल उन तक पहुंचाया गया. लेकिन कांग्रेस के खिलाफ बने माहौल ने ध्रुव भगत को विजयी बना दिया. रामनाथ विद्रोही कहते हैं कि यदि समय पर उन्हें पार्टी का सिंबल मिल गया होता तो वे जनता पार्टी से ही चुनाव लड़ते. बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गए और लगातार तीन बार चुनाव जीता.
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साहिबगंज:- 24/11/2019.
ताला मरांडी को संवैधानिक बातें रखना महंगा पड़ा..! आदिवासी अधिकारों के लिए काम करने वाले और संवैधानिक अधिकारों को लेकर जागरूक आदिवासी एवं मूलवासियों के लिए ताला मरांडी को किसी बड़ी पार्टी से टिकट न मिलना सदमे से कम नहीं है. 
                       ताला मरांडी दो बार बीजेपी के टिकट पर बोरियो सीट से 2005 और 2014 में जीत हासिल कर चुके हैं. अपनी दूसरी पारी में ताला मरांडी के व्यक्तित्व का एक दूसरा ही पहलू सामने आया. शायद इस दौरान उन्होंने भारत का संविधान और एसपीटी एक्ट का गंभीरता से अध्ययन किया. इसी वजह से जब राज्य सरकार के द्वारा सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया तो झारखंड के कुल 05 एसटी सांसदों एवं 28 एसटी विधायकों में से एकमात्र विधायक ताला मरांडी ने ही इस संशोधन का विरोध किया. 
                      जानकारों के अनुसार राज्य सरकार सीधे कैबिनेट में पारित कर एसपीटी व सीएनटी एक्ट में संशोधन नहीं कर सकती है. चूंकि एसपीटी व सीएनटी एक्ट संविधान की पांचवीं अनुसूची के अन्तर्गत आता है और इसमें किसी भी तरह के संशोधन का अधिकार सिर्फ संसद को ही है. इससे पहले राज्य के विधानसभा में चर्चा होना है तथा ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल व राज्यपाल की अनुसंशा जरूरी है. 
                     इस संबंध में वी के मालतो का कहना है कि ताला मरांडी ने वही बातें कही जो संविधान में और एसपीटी एक्ट में लिखा हुआ है. वे कहते हैं शायद यही बात मौजूदा राजनीतिक दलों को खलती है. इसलिए झारखंड के प्रमुख राजनीतिक दलों ने उनका अघोषित बहिष्कार कर दिया है..!
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साहिबगंज:- 24/11/2019.
राजमहल में झामुमो का नहीं, नेताओं के छवि का है प्रभाव..! नजरूल इस्लाम एवं एम टी राजा के कारण झामुमो बढ़ा..! झामुमो ने रविवार को पार्टी की नयी सूची जारी की है. सूची के अनुसार राजमहल सीट से केताबुद्दीन को पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया है. इससे पहले वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में झामुमो प्रत्याशी मो. ताजुद्दीन उर्फ एम टी राजा बीजेपी से कांटें की टक्कर में महज 702 वोटों से पराजित हुए थे. लेकिन, बाद में जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव को लेकर हुए झामुमो के आंतरिक विवाद के कारण एम टी राजा झामुमो छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. हाल ही में उन्होंने कांग्रेस से भी इस्तीफा दे दिया था..! 
                         राजमहल विधानसभा सीट पर झामुमो का इतिहास वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ था. तब से लेकर अब तक झामुमो के प्रत्याशियों का प्रदर्शन निम्न है:-
* 1985 जनार्दन प्रसाद गुप्ता 1926 वोट.
* 1990 जनार्दन प्रसाद गुप्ता 5534 वोट.
* 1995 नजरूल इस्लाम 20564 वोट.
* 2000 नजरूल इस्लाम 24761 वोट.
* 2009 मो. ताजुद्दीन 40874 वोट.
* 2014 मो. ताजुद्दीन 76779 वोट.
                           राजमहल सीट से झामुमो प्रत्याशियों के प्रदर्शन से यह समझा जा सकता है कि इस सीट पर एक खास समुदाय से आने वाले प्रभावशाली नेताओं के  व्यक्तिगत छवि से पार्टी का प्रदर्शन बेहतर हुआ. 
                           बतौर झामुमो नेता नजरूल इस्लाम के प्रदर्शन के पीछे उनकी व्यक्तिगत छवि का ही प्रभाव था. इसी तरह मो. ताजुद्दीन उर्फ एम टी राजा की छवि का ही प्रभाव था कि उन्होंने राजमहल सीट पर झामुमो का वोट प्रतिशत 39 फीसदी तक पहुंचा था.        

              अब एम टी राजा भी आजसू के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि झामुमो का इस सीट पर प्रदर्शन कैसा होगा..??
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साहिबगंज:- 23/11/2019.
झाविमो के प्रत्याशियों की सूची जारी..! झारखंड विकास मोर्चा ने आज पार्टी के 15 और प्रत्याशियों की सूची जारी की है. जारी सूची के अनुसार राजमहल विधानसभा सीट से राजकुमार यादव को प्रत्याशी बनाया गया है. जबकि बोरियो सीट से बाबूराम मुर्मू एवं बरहेट सीट से होपना टुडू झाविमो के प्रत्याशी होंगे. बोरियो सीट से पार्टी के सूर्य नारायण हांसदा के पाला बदल के बाद बाबूराम मुर्मू को पहली बार पार्टी का टिकट मिला है. वहीं बरहेट सीट से सिमोन मालतो के बीजेपी में जाने के बाद पूर्व विधायक थॉमस सोरेन को संभावित उम्मीदवार माना जा रहा था. लेकिन पार्टी के शीर्ष नेताओं ने  कार्यकर्ताओं की पसंद होपना टुडू को तरजीह दी...!

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साहिबगंज:- 22/11/2019.
जदयू के प्रत्याशियों की सूची जारी...! झारखंड प्रदेश जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने आज प्रत्याशियों की नयी सूची जारी की है. इस सूची के अनुसार जदयू राजमहल, बोरियो एवं बरहेट विधानसभा सीट पर प्रत्याशी उतारेगी. जारी सूची के अनुसार राजमहल सीट से राजकिशोर यादव, बोरियो से लूकस हांसदा और बरहेट सीट से सेबास्टियन हांसदा को प्रत्याशी बनाया गया है..!

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साहिबगंज :- 21/11/2019. 
बेनी प्रसाद गुप्ता बने पाकुड़ से बीजेपी प्रत्याशी..! आखिरकार बीजेपी ने पाकुड़ सीट पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरूण सिंह की ओर से आज जारी सूची के अनुसार पाकुड़ विधानसभा सीट से पूर्व विधायक बेनी प्रसाद गुप्ता को प्रत्याशी बनाया गया है. बेनी प्रसाद गुप्ता ने पहली बार 1977 में जेएनपी की टिकट पर पाकुड़ सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा था, और वह दूसरे स्थान पर रहे थे. इसके बाद वर्ष 1990 में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी हुए. पुन: 1995 के चुनाव में भी वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते. हालांकि इस बार अधिक उम्र होने के बावजूद पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है.

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साहिबगंज :- 20/11/2019.
एम०टी० राजा ने दिया कांग्रेस से इस्तीफा..! झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव एमटी राजा ने आज कांग्रेस पार्टी के प्राथमिक सदस्यता और अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.  हालांकि वे किसी पार्टी में शामिल होंगे या नहीं इसका खुलासा नहीं हुआ है. 
      वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में एमटी राजा ने झामुमो के टिकट पर राजमहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और महज 702 वोटों के अंतर से पराजित हुए थे. इसके बाद झामुमो में पार्टी की आंतरिक विवाद के कारण उन्होंने झामुमो छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर लिया था. 
दरअसल, कांग्रेस और झामुमो के बीच गठबंधन होने के कारण राजमहल विधानसभा की सीट फिर से झामुमो के ही खाते में जाने की उम्मीद है. इस वजह से माना जा रहा है कि एमटी राजा ने चुनाव लड़ने की उम्मीद में ही पाला बदला है. फिलहाल झामुमो ने भी राजमहल सीट से प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है.

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साहिबगंज:- 19/11/2019. 
मीडिया और अखबारों का विरोध क्यों..? इस समय देश की राजधानी दिल्ली में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रों का आंदोलन चल रहा है. कई दिनों से चल रहे इस आंदोलन का एक महत्वपूर्ण एंगल है, मीडिया की भूमिका को लेकर आंदोलनरत छात्रों का खुलकर विरोध जताना. यह पहली बार नहीं है कि खुद को मीडिया की मुख्यधारा मानने वाले टीवी चैनलों के पत्रकारों की बेईज्जती हुई हो. असल में पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय मीडिया, खासकर न्यूज चैनलों ने अपना चरित्र बदल लिया है. यह बदली हुई मीडिया सत्ता के साथ मजबूती से खड़ी दिख रही है. इस मीडिया ने जनता के मुद्दे, सवाल और उनका साथ छोड़ दिया है. हद तो यह हो गयी है कि यह मीडिया सिर्फ विपक्ष के पीछे ही पड़ी रहती है. सत्ता पक्ष से सवाल करना तो वह भूल गयी है.
        इस समय झारखंड में विधानसभा चुनाव होना है. आप यहां की अखबार या स्थानीय न्यूज चैनल देख सकते हैं, उनमें मौजूदा सरकार के कार्यकाल के हालात कोई भी खोजी रिपोर्ट नहीं मिलेगी. आपको उन्हीं विधानसभा क्षेत्रों की समस्याओं की खबरें मिलेगी, जहां विपक्ष के विधायक हों. झारखंड में पिछले साल 2018 में कई आदिवासी संगठनों ने 01 जुलाई को झारखंड की मौजूदा परिस्थिति और मीडिया की भूमिका के मद्देनजर झारखंड से प्राकाशित होने वाले कई प्रमुख अखबारों को खरीदना बंद कर देने का निर्णय लिया था और सोशल मीडिया में इन चिन्हित अखबारों के बहिष्कार की अपील की थी.
              साधारणतया लोगों को ऐसे निर्णय और अपील राजनीतिक लगेंगे. लेकिन इसमे नया क्या है? अब तो गैर जरूरी मुद्दे भी राजनीतिक बनाए जा रहे हैं. असल में झारखंड के आदिवासी संगठनों और लोगों का यह फैसला मीडिया के चरित्र में आए बदलाव की वजह से लिया गया है. अखबारों के बहिष्कार के मुख्य वजह निम्न हैं.....
1. झारखंड के अधिकांश मीडिया/अखबार अब संकीर्ण विचारधारा वाले कुछ संगठनों के इशारे पर चल(छप) रहा है ..! 
2. ज्यादातर अखबार अब निष्पक्ष नहीं रहा.
3. झारखंड के मीडिया में 95% से अधिक गैर झारखंडी लोग हैं.
4. ये अखबार झारखंड में आदिवासी मूलवासियों के हक की बातों को नहीं छापते हैं.
5. ये अखबार झारखंड के आदिवासी, मूलवासी, मुस्लिम व ईसाईयों के जेनुइन सवालों को गायब कर देते हैं.
6. अखबार इनके मुद्दों को हमेशा विवादित बना कर छापता है.
7. ये अखबार/पत्रकार घटनाओं की निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट छापने की बजाए बहुसंख्यकवाद विचारधारा वाले अफसर या नेताओं के आरोपों को प्रमुखता से छापते हैं.
8. ये अखबार बहुसंख्यक संगठनों के कार्यक्रम, बैठक, प्रेस कांफ्रेंस तथा इनके नेताओं के बयान को बढ़ा-चढ़ा कर छापते हैं.
9. झारखंड में कई मुख्यधारा की अखबारें अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ एक अघोषित ऐजेंडे पर काम कर रही है.
          और भी कई वजह हैं. लेकिन आप बतौर एक झारखंडी और  जागरूक नागरिक के नाते खुद तय कीजिए कि यहां उठाए गए सवाल सही है या नहीं? इन अखबारों की भाषा कैसी है और क्या इनका लक्ष्य है? क्योंकि फैसला आपको करना है..! 
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साहिबगंज:- 18/11/2019.
अमेरिकी संसदीय व्यवस्था से भारत कई साल पीछे..! आज से भारतीय संसद का शीतकालीन सत्र आरंभ हो गया है. इस बार के शीतकालीन सत्र की विशेष बात है राज्यसभा का 250 वां सत्र का आरंभ होना. राज्यसभा के इस विशेष अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी राज्यसभा के सत्र में उपस्थित हुए. 
        आबादी के हिसाब से भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है. हमारे संसदीय व्यवस्था में राज्यसभा का महत्वपूर्ण स्थान है. राज्यसभा का गठन ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों के लिए किया गया है, जो प्रत्यक्ष चुनाव से जीत कर नहीं आते. राज्यसभा में वैसे व्यक्तियों को चुन कर लाया जाता है जो विभिन्न क्षेत्रों में अपने काम को लेकर विशिष्ट पहचान रखते हों. इसके बावजूद दुनिया के सबसे आधुनिक माने जाने वाले अमेरिकी संसदीय व्यवस्था के मुकाबले हम काफी पीछे हैं. अक्सर संसद का सत्र शुरू होने पर हम एक जैसे सवालों में उलझे रहते हैं, कि इस बार संसद का कितना समय शोरगुल में बर्बाद हुआ या फिर किसी बड़े और गंभीर मुद्दों पर चर्चा तक नहीं हो पायी. लेकिन हम अबतक इसका उपाय नहीं ढुंढ पाए हैं.
अमेरिकी संसदीय व्यवस्था में एक सीनेटर (सांसद) जितना परिपक्व होता है, उनके मुकाबले हमारी संसदीय व्यवस्था महज 30 फीसदी के आस पास है. अमेरिकी संसद के बहस का स्तर हमसे कई गुना बेहतर है. इसकी वजह है संसद के सत्र को लेकर उनकी बेहतरीन व्यवस्था. 
अमेरिकी संसद में सदस्यों के बेहतर और तार्किक बहसों की वजह है उत्कृष्ट व्यवस्था. अमेरिका में भी आम तौर पर चुन कर आए सदस्य हरेक विषयों के विशेषज्ञ नहीं होते. लेकिन, उन्हें विभिन्न समस्याओं या जरूरतों के मद्देनज़र हरेक विषयों पर होने वाली चर्चा में बोलना या सवाल पूछना पड़ता है.
          अमेरिकी संसद ने अपने संसद सदस्यों को संसद में पूरी तैयारी के साथ बोलने में मदद करने के लिए उन्हें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ की टीम रखने की व्यवस्था दी है. 
        अमेरिका में एक संसद अपने टीम में 30-35 विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को रखते हैं. यह टीम संसद में चर्चा के योग्य सभी तरह के विषयों पर रिसर्च कर संसद सदस्य को इनपुट देती है. जिससे संसद सदस्य ठोस तरीके से किसी भी विषय पर बोल सके. अमेरिकी संसद ही संसद सदस्यों की इन टीमों का खर्च वहन करती है. 
         जानकारों का मानना है कि यह एक बेहतर और सुव्यवस्थित प्रणाली है. इससे संसद में सार्थक बहस होती है और सत्र का समय भी बर्बाद नहीं होता. इसके उलट एक भारतीय संसद सदस्य को सिर्फ एक निजी सहायक मिलता है...!
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साहिबगंज:- 16/11/2019. 
"विचारों पर आधारित समाचार लोकतंत्र के लिए अभिशाप" 53 वां राष्ट्रीय प्रेस दिवस आज..! देश के विभिन्न क्षेत्रों में आज 16 नवम्बर को 53 वां राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जा रहा है. लेकिन इसमे तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया मुखर नहीं दिख रही है. एक लोकतांत्रिक देश में प्रेस की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है. आजादी से पहले प्रेस एक मिशन की तरह काम करता था. लेकिन वर्तमान में प्रेस विशुद्ध रूप से उद्योग में बदल चुका है और संवाददाता (संवाद सूत्र) कमीशन के लिए काम कर रहे हैं. हालांकि, 04 जुलाई 1966 में जब प्रेस परिषद के गठन का काम शुरू हुआ तो इसका लक्ष्य स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से समाचारों को सत्य और तथ्य के साथ लोगों तक पहुंचाना निर्धारित किया गया था. इसके बाद प्रेस परिषद 16 नवम्बर 1966 से विधिवत कार्य करने लगा. इस वजह से 16 नवम्बर को प्रेस दिवस मनाया जाता है.
         आज मीडिया समूहों के  विचलन से स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचारों का घोर अभाव दिखता है. एक लोकतांत्रिक समाज में समाचारों से विचार का बनना सहज और स्वीकार्य है. लेकिन, विचारों से बने समाचार लोकतांत्रिक समाज के लिए अभिशाप है.  
        आज कोई भी समाचार पत्र पढ़े या न्यूज चैनल देखें तो ऐसा लगता है कि ज्यादातर समाचार एक खास वैचारिक दृष्टिकोण से तैयार किया गया है. वास्तव में मीडिया का यह विचलन विशुद्ध लाभ या मुनाफे के लिए आया है. मीडिया के एक बड़े वर्ग ने अपने विचलन को छिपाने के लिए राष्ट्रवाद का मुलम्मा चढ़ा लिया है. स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस के लिए यह कदम आत्मघाती साबित हुआ है. 
      वास्तव में मीडिया का यह विचलन एक दिन में नहीं आया. जैसे एक गाड़ी का कोई एक पुर्जा खराब हुआ और उसकी मरम्मति की कोई कोशिश नहीं हुई. इसके बाद एक के बाद एक कल पुर्जे खराब होते चले गए और अंतत: गाड़ी पूरी तरह खराब हो जाती है. देश में प्रेस के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. 
       प्रेस की भूमिका विभिन्न विषयों पर स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से सूचना देना, तथ्यों का प्रकाशन, जनता के सवालों को रखना, मनोरंजन, इतिहास, कला से परिचित कराना है. 
        हालांकि, मीडिया की मौजूदा भूमिका से निराशा तो है लेकिन स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारों की जमात अभी भी खड़ी है. सोशल मीडिया हो या वैकल्पिक मीडिया, स्वतंत्र पत्रकारों ने यहां पाठकों-दर्शकों को एक बेहतर विकल्प दिया है. 

      आज भारतीय प्रेस परिषद के अवसर पर प्रेस परिषद की भूमिका पर भी सबकी निगाहें होंगी. देश में पत्रकारों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. देश में प्रशिक्षित हों या अप्रशिक्षित पत्रकार, इसका बड़ा हिस्सा आज भी बेहद मुश्किल हालात में काम कर रहे हैं, सूचनाएं व खबरें ढूंढ कर ला रहे हैं. आज जरूरत है कि उन सब की भी सुध ली जाए. प्रेस दिवस पर यही उम्मीद है. 
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साहिबगंज:- 15/11/2019.
बिरसा मुंडा ने तिलका व सिदो-कान्हू की विरासत को आगे बढाया..! भारत के अलिखित इतिहास में तिलका मांझी एवं सिदो- कान्हू के जनसंघर्षों के विरासत को बिरसा मुंडा ने आगे बढ़ाया..! भले ही आज इतिहास की किताबों में इन महानायकों का जिक्र नहीं है..! लेकिन बाबा तिलका मांझी, सिदो- कान्हू एवं बिरसा मुंडा की वीरगाथाएं लोकश्रुतियों में आज भी मौजूद है..! देश में राजाओं का इतिहास इसलिए मिलता है, क्योंकि उनका इतिहास लिखवाया गया है..! राज दरबार में राजाओं की स्तुति लिखने वाले दरबारी हुआ करते थे..! लेकिन जिन्होंने सत्ता की ताकत के बिना ही आम जनों की लड़ाई लड़ी, उनसे बड़ा जननायक कौन हो सकता है..?
          तिलका मांझी, सिदो- कान्हू एवं बिरसा मुंडा में एक खास बात यह थी कि वे सभी गरीब किसानों के घरों में जन्मे थे..! किसी राजा रजवाड़ों से उनका कोई संबंध नहीं था..! इसके बावजूद उन्होंने एक स्थापित और मजबूत सत्ता के साथ संघर्ष किया..! जिस शक्तिशाली राजसत्ता के आगे देशी राजाओं ने समर्पण कर दिया था..! उन्हीं शक्तियों के साथ आम लोगों का संघर्ष करना विश्व के इतिहास का सबसे बड़ा अध्याय है..! आमजनों के संघर्ष के इस गौरवशाली इतिहास को नजरंदाज कर भारत एक महान देश नहीं बन सकता..! महान होने का अर्थ है, सारे विषयों को अपने अंदर समेट-सहेज कर रखना..! लेकिन, देश के इतिहास ने जनसंघर्षों के इतिहास के साथ भेदभाव किया है..! 
         बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश हुकुमत के इसी भेदभाव का प्रतिकार करने की सीख तिलका मांझी एवं सिदो- कान्हू के जनांदोलन से लिया था..! जो तिलका मांझी व सिदो- कान्हू का सपना था, वही सपना बिरसा मुंडा का भी था..! बिरसा मुंडा के आंदोलन का सामाजिक, सांस्कतिक व राजनीतिक आकांक्षाएं थी. यह आकांक्षा आम लोगों के जल जंगल व जमीन पर अधिकार, प्रकृति के दोहन तथा आम लोगों के अधिकारों को बिना भेदभाव के सुनिश्चित करना था..! क्योंकि आम लोगों को सबसे बड़ा खतरा इन्हीं मुद्दों  पर था..! 
        हम गांधी के गांव गणराज्य के सपनों को तो याद करते हैं लेकिन तिलका मांझी, सिदो- कान्हू और बिरसा मुंडा के "गांव- समुदाय की सत्ता" की चर्चा तक नहीं करते हैं..! बिरसा मुंडा जैसे जनसंघर्षों के नायकों की समझ और दर्शन ही पीढ़ी दर पीढ़ियों के लिए अनुकरण योग्य है..! विकास की नयी अवधारणा ने वर्षों तक नए प्रयोग किये हैं..! नयी-नयी तकनीकें आ रही है..! लेकिन,क्या बदला है..? 
          बिरसा मुंडा के आंदोलन के 110 वर्षों के बाद भी आज तिलका मांझी, सिदो- कान्हू एवं बिरसा मुंडा के समुदाय के जल, जंगल व जमीन तथा प्रकृति स्त्रोतों पर सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है..! वर्तमान की राजनीति में या राजनीतिक दलों में इन जननायकों का दर्शन कहीं नहीं दिखता है..!

            बहरहाल, बिरसा मुंडा सरीखे जननायकों के सपनों को पूरा किए बिना न तो प्रकृति का संरक्षण संभव है और न ही जल जंगल व जमीन को बचाने के संघर्ष को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है..! बिरसा मुंडा को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि उनके जन संघर्ष के दर्शन को जन-जन तक ले जाया जाय और आम लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित किया जाए..! 
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साहिबगंज:- 14/11/2019. 
सात दशकों तक चला अलग झारखंड का आंदोलन..! सड़क से लेकर संसद तक मुखरता से उठती रही मांग..! झारखंड क्षेत्र का भौगोलिक क्षेत्रफल चार खास इलाकों को मिला कर बना है. इस क्षेत्रफल में दक्षिण बिहार का पठारी और पहाड़ी हिस्सा, पश्चिम बंगाल का उत्तरी मैदानी हिस्सा, ओड़िसा का पहाड़ी और पठारी हिस्सा तथा मध्य प्रदेश का पठारी हिस्सा शामिल है. वास्तव में यही संपूर्ण झारखंड की तस्वीर है. हालांकि वर्तमान झारखंड इस तस्वीर का आधा हिस्सा है. यानी अलग झारखंड तो मिला पर उसके भौगोलिक, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक जुड़ाव के क्षेत्रों को अलग-थलग कर दिया गया. 
   गौरतलब है कि देश की आजादी से करीब दो दशक पूर्व में ही बिहार प्रांत के दक्षिणी हिस्से में सांस्कृतिक व सामाजिक पहचान के आधार पर अलग राज्य की मांग शुरू हो चुकी थी. सन् 1932 में छोटानागपुर में आदिवासी महासभा का गठन हुआ. इसमें उपरोक्त चारों प्रांतीय क्षेत्रों की भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक समानताओं को लेकर इस क्षेत्र में प्रशासनिक सुविधा के लिए राजनीतिक विभाजन की मांग उठायी गयी.
     संयुक्त बिहार में तत्कालीन झारखंड क्षेत्र का बड़े पैमाने पर आर्थिक दोहन एक बड़ी वजह थी. खनिज और वन संपदा से भरपूर छोटानागपुर और संताल परगना से बिहार को करीब 75 फीसदी राजस्व प्राप्त होता था. लेकिन, कुल राजस्व का महज 25 फीसदी हिस्सा छोटानागपु व संताल परगना को मिलता था. असल में यह 20 फीसदी ही रह जाता था. इसका उदाहरण है कि चौथी पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत बिहार राज्य के कुल 30452 लाख रूपए के बजट में इस क्षेत्र को महज 10568 लाख रूपए ही मिले. गौरतलब है कि इस बजट का एक बड़ा हिस्सा आपातकालीन आवश्यकता के नाम पर बिहार सरकार ने रख लिया था. 
      झारखंड क्षेत्र के भू भाग में रहने वाली मूल आबादी के विभिन्न समुदायों के बीच सांस्कृतिक व सामाजिक एकरूपता अलग राज्य की मांग का सशक्त आधार मानी जाती रही है. लेकिन एक खास क्षेत्र के आबादी की एकरूपता को चार राज्यों में बांट देने का बड़ा नुकसान हुआ है. इस बंटवारे से सबसे बड़ा नुकसान झारखंड की आइडेंटिटी को हुआ है. इन्हीं सारे कारणों से झारखंड में झारखंडी राजनीति की आवश्यकता महसूस की गयी. परिणाम स्वरूप बिहार प्रांत में करीब 70 वर्षों तक अलग राज्य के लिए आंदोलन चलाया गया. इसी आंदोलनका परिणाम था कि आखिर में झारखंड को देश के 28 वां राज्य के रूप में दर्जा मिला. झारखंड आंदोलन के इस लंबे सफर में कई महत्वपूर्ण पहल हुए हैं. जिनमे ये निम्नांकित पहलुएं हैं.

1932- आदिवासी महासभा का गठन.
1948 - खरसांवा का आंदोलन.
1954 - बिहार विधानसभा में अलग झारखंड की मांग.
1955 - राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष झारखंड पार्टी का धरना.
1972-73 - झारखंड मुक्ति मोर्चा का
 गठन.
1973 - झारखंड पार्टी के एनई होरो ने केन्द्र सरकार को मांगपत्र सौंपा.
1978 - सीपीआईएम व वाम दलों का झारखंड आंदोलन को समर्थन.
1985 - बिहार विधानसभा में झामुमो को 14 सीटें मिलीं.
1986 - आजसू का गठन.
1989 - केन्द्र सरकार द्वारा झारखंड के विषय में एक कमिटी का गठन.
1992 - केन्द्र सरकार की कमिटी ने जेनरल काउंसिल के गठन का प्रस्ताव दिया.
1992 - झारखंड-बिहार में आजसू का जबरदस्त बंदी.
1994 - बिहार विधानसभा में झारखंड क्षेत्रीय स्वशासी परिषद के गठन का बिल पास.
1997 - बिहार विधानसभा में अलग झारखंड राज्य का प्रस्ताव पारित.
1998 - बिहार विधानसभा में बिहार पुनर्गठन एक्ट को लेकर तीन दिनोंतक विशेष चर्चा. 

2000 - 15 नवम्बर 2000 में झारखंड देश का 28 वां राज्य बना..!
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साहिबगंज:- 13/11/2019. 1954 में दिया गया था झारखंड गठन का पहला मेमोरेंडम..! झारखंड पार्टी ने जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में पहल किया था..! झारखंड इस बार 15 नवम्बर को अपना 20वां स्थापना दिवस मनाएगा..! अलग झारखंड राज्य की मांग भारतीय स्वतंत्रता दिवस के करीब दो दशक पूर्व से ही शुरू हो चुकी थी..! झारखंड पार्टी के संस्थापक जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में बिहार, वर्तमान छत्तीसगढ़ एवं पश्चिम बंगाल के खास भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा प्राकृतिक विशेषताओं एवं  वन आच्छादित भू-भाग को अलग राज्य बनाने की मुहिम शुरू किया गया था..! इसके लिए जयपाल सिंह मुंडा ने सन् 1930-50 तक पूरे क्षेत्र में लोगों को गोलबंद करने के लिए दौरा किया..! इसी गोलबंदी का परिणाम था कि सन् 1952 में स्वतंत्र भारत में गठित बिहार राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में झारखंड पार्टी ने 32 सीटें जीत कर बिहार विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी...! 
22 अप्रैल 1954 को झारखंड पार्टी ने बिहार विधानसभा में राज्य पुनर्गठन आयोग को पहला मेमोरेंडम सौंपा..! मेमोरेंडम में छोटानागपुर डिवीजन, संताल परगना डिवीजन, भूतपूर्व नागपुर राज की रियासतें- चंग भाखर, जशपुर, कोरेया, सरगुजा, उदयपुर, बामड़ा, बोनाई, गांगपुर, क्योंझर एवं मयूरभंज व आस पास के इलाकों को मिला कर करीब 63859 वर्ग मील के क्षेत्र का प्रस्ताव दिया गया था..! इस भू-भाग में करीब 1.63 करोड़ आबादी रहती थी...! 
कई ऐतिहासिक सबूतों से स्पष्ट होता है कि इस क्षेत्र को पूर्व में खुखरा, झारखंड या छोटानागपुर के नाम से जाना जाता था.प्रसिद्ध विद्वान बीसी मजुमदार ने अपनी पुस्तक "एबंरिजीनल्स ऑफ सेंट्रल इंडिया" में लिखा है कि आर्यावर्त की पूर्वी सीमा से सटे झाड़ जंगलों से भरे क्षेत्र को काल्कावन कहा जाता था. काल्कावन ही आगे चल कर झारखंड कहलाया. वहीं सन् 1912 में भारत के राज्य कौंसिल मार्क्युस के. सी. ने छोटानागपुर क्षेत्र को अलग करने का सुझाव दिया था. 

इसके बाद 1930 में साईमन कमीशन ने भी अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि छोटानागपुर और संताल परगना बिहार का अभिन्न अंग नहीं है. साईमन कमीशन ने छोटानागपुर और संताल परगना को "अंशत: एक्सक्लुडेड क्षेत्र" बताया था. देश की आजादी के बाद सन् 1950 में भारत के संविधान के अन्तर्गत बिहार के इन्हीं भू भाग को अनुसूचित क्षेत्र या शिड्यूल एरिया के रूप मेंं दर्ज किया गया है. 

बहरहाल, सन् 1954 में बिहार विधानसभा में 32 सीटों वाली झारखंड पार्टी ने अलग झारखंड राज्य बनाने की मांग की. उस समय बिहार विधानसभा में संताल परगना क्षेत्र से झारखंड पार्टी के कुल सात (7) विधायक थे. इनमें राजमहल दामिन सीट से जेठा किस्कू, पाकुड़ दामिन सीट से रामचरण किस्कू, गोड्डा दामिन से बाबूलाल टुडू, पोड़इयाहाट(2) से चुनका हेम्ब्रम, रामगढ़ से सुपई मुर्मू, दुमका से देवी सोरेन एवं जामताड़ा से शत्रुघ्न बेसरा शामिल थे..!
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साहिबगंज :- 12/11/2019. 
अवैध रेल टिकट बनाने में एक गिरफ्तार..! निजी आई०डी० से टिकट बना कर बेचने का आरोप..! साहिबगंज/बरहरवा :- बरहरवा थाना क्षेत्र अन्तर्गत झिकटिया स्थित एक दुकान में मंगलवार को मालदा रेलवे इंटेलीजेंस ब्यूरो व स्थानीय पुलिस ने छापेमारी की..! छापेमारी का नेतृत्व ब्यूरो के इंस्पेक्टर नीरज कुमार ने किया..! इस क्रम में पुलिस की टीम ने झिकटिया स्थित नेहाल टूर एंड ट्रैवल्स दुकान से 15 अवैध रेलवे टिकट, लैपटॉप, कैलकुलेटर व 1300 रूपए नकद जब्त किया है..! इस संबंध में इंस्पेक्टर नीरज कुमार ने बताया कि आम लोगों की सुविधा के लिए आई०आर०सी०टी० लोगों को निजी आई०डी० उपलब्ध कराती है..! इस निजी आई०डी० से एक महीने में अपने रक्त संबंधी परिजनों का अधिकतम छह टिकट बनाया जा सकता है..! लेकिन जांच में पाया गया कि इस आईडी से तीन माह में 35 टिकट बनाए गए हैं और दूसरे लोगों को बेचा गया है..! छापेमारी टीम में बरहरवा आर०पी०एफ० इंस्पेक्टर सोमेन मल्लिक व बरहरवा थाना अवर निरीक्षक जनार्दन यादव शामिल थे..! बरहरवा आर०पी०एफ० थाना में इस संबंध में कांड संख्या 899/19 के तहत मामला दर्ज कर पुलिस ने  गिरफ्तार युवक को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है..!

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साहिबगंज:- 11/11/2019 . पाकुड़ भाजपा जिलाध्यक्ष देवीधन टुडू का इस्तीफा..! पाकुड़ के भाजपा जिलाध्यक्ष देवीधन टुडू ने अपने पद से और पार्टी के प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. इस संबंध में उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिख कर अपना इस्तीफा भेज दिया है. सूत्रों के अनुसार देवीधन टुडू ने महेशपुर से टिकट नहीं मिलने के कारण यह फैसला किया है. 2014 के विधानसभा चुनाव में वे महेशपुर (एसटी सुरक्षित) सीट से दूसरे स्थान पर रहे थे..!
             देवीधन टुडू ने वर्ष 2009 में पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और दुसरे स्थान पर रहे थे. 2009 के चुनाव में उन्हें कुल 28772 वोट मिले थे. इसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने उन्हें महेशपुर से टिकट दिया. इस चुनाव में वे दूसरे स्थान पर रहे और उन्हें कुल 45710 वोट मिले थे. भाजपा ने इस बार जेवीएम से भाजपा में आए पूर्व विधायक मिस्त्री सोरेन को प्रत्याशी बनाया है. माना जा रहा है कि देवीधन टुडू के पार्टी से इस्तीफा देने की यही प्रमुख वजह है..!
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साहिबगंज:- 11/11/2019.
पाकुड़, महेशपुर व लिट्टीपाड़ा में सी०पी०आई०एम० प्रत्याशी उतारेगी..! संताल परगना के पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी सी०पी०आई०एम०..! भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सी०पी०आई०एम० संताल परगना के पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी..! सूत्रों के अनुसार पार्टी की राज्य कमिटी ने तीन सीटों पर प्रत्याशियों का नाम तय कर लिया है..! जानकारी के अनुसार पहली सूची में पाकुड़, महेशपुर व लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों का नाम तय कर लिया गया है..! पाकुड़ से मो० इकबाल, महेशपुर से गोपीन सोरेन तथा लिट्टीपाड़ा सीट से देवेन्द्र देहरी प्रत्याशी होंगे..! सूत्रों ने बताया कि इन तीन सीटों के अलावा जामताड़ा व महगामा सीट पर भी सी०पी०आई०एम० चुनाव लड़ेगी..! हालांकि इन दो सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम अभी तय नहीं हुआ है..!
         सी०पी०आई०एम० के इन तीन प्रत्याशियों में मो० इकबाल और गोपीन सोरेन पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं, जबकि देवेन्द्र देहरी पहली बार चुनाव लड़ेंगे..!

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साहिबगंज :- 10/11/2019.
भाजपा ने ताला मरांडी को ड्रॉप किया..! सी०एन०टी० व एस०पी०टी० एक्ट पर सरकार के फैसले का विरोध भारी पड़ा..! साहिबगंज :- झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है. इस सूची में संताल परगना के बोरियो (एसटी सुरक्षित) सीट से भाजपा ने पार्टी के सीटिंग विधायक ताला मरांडी का टिकट काट दिया है. बोरियो सीट से इस बार झाविमो से पाला बदल कर भाजपा में गए सूर्यनारायण हांसदा को टिकट दिया गया है. 
                 ताला मरांडी ने कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरूआत की थी. लेकिन पहली बार भाजपा के टिकट पर उन्हें 2005 में जीत हासिल हुई थी। वे दूसरी बार 2014 में भाजपा के टिकट पर जीते. इसके बाद मई 2016 में उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. इसी दौरान झारखंड सरकार ने सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव लाया. ताला मरांडी ने पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए विश्व आदिवासी दिवस 09 अगस्त 2016 के ठीक एक दिन पहले 08 अगस्त को मीडिया में राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध किया. 
           पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के विरोध बाद असमंजस में पड़ी भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने तुरंत मुख्यमंत्री रघुवर दास और ताला मरांडी को दिल्ली बुलाया. दिल्ली में 10 अगस्त 2016 की रात को भाजपा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामलाल के आवास पर बातचीत के बाद ताला मरांडी के बयान को पार्टी के खिलाफ अनुशासनहीनता माना गया और उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा गया. ताला मरांडी ने महज तीन महीने बाद ही 12 अगस्त 2016 के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इस बीच वे नाबालिग से अपने बेटे के विवाह को लेकर भी विवादों के घेरे में आ गए थे. 
          लेकिन ताला मरांडी सीएनटी व एसपीटी एक्ट को लेकर लगातार अपने स्टैंड पर कायम रहे. 2019 में हूल दिवस के मौके पर भोगनाडीह में आयोजित कार्यक्रम में भी उन्होंने सीएनटी व एसपीटी एक्ट को आदिवासियों की सुरक्षा का ढाल बताया था. हाल के दिनों में ताला मरांडी ने पाकुड़ के आमड़ापाड़ा में निजी कंपनी को कोयला खदान आवंटित करने के सरकार के फैसले को भी एसपीटी एक्ट का उल्लंघन बताया है।
बहरहाल यह तय माना जा रहा था कि भाजपा ताला मरांडी को रीपीट नहीं करेगी..।
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साहिबगंज :- 10/11/2019.
भाजपा में हेमलाल मुर्मू का सफर खत्म..! संताल परगना की 16 सीटों में प्रत्याशियों की सूची जारी..! साहिबगंज :- भाजपा ने 2019 की झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है. जारी सूची के अनुसार हेमलाल मुर्मू का सफर अब भाजपा से खत्म माना जा रहा है. भाजपा के राष्ट्रीय महाचसिव अरूण सिंह ने झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए पहली सूची जारी की है. इस सूची में कुल 52 सीटों के लिए प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी गयी है..! 
        भाजपा के घोषित प्रत्याशियों की इस सूची में संताल परगना प्रमंडल के कुल 18 सीटों में से 16 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी गयी है..! लेकिन इस सूची में कद्दावर संताल नेता हेमलाल मुर्मू का नाम शामिल नहीं है..! माना जा रहा था कि भाजपा इस बार भी बरहेट या लिट्टीपाड़ा सीट पर हेमलाल मुर्मू को मौका देगी..! हालांकि, हेमलाल मुर्मू दो लोकसभा और दो विधानसभा चुनाव हार चुके हैं..! शायद इस वजह से ही भाजपा ने बरहेट सीट पर आदिम जनजाति के सिमन मालतो को टिकट दिया है..! जबकि, लिट्टीपाड़ा सीट से युवा प्रत्याशी दानियल किस्कू पर दांव लगाया है..! हेमलाल मुर्मू ने अपने बेटे विकास मुर्मू को भी राजनीति में उतार दिया है..! विकास मुर्मू को पार्टी के जनजातीय मोर्चा का जिलाध्यक्ष भी बनाया गया..! लेकिन, विकास मुर्मू भी टिकट पाने की दौड़ में पीछे छूट गए..! बहरहाल, हेमलाल मुर्मू का अगला कदम क्या होगा..? यह देखना काफी दिलचस्प होगा..!
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साहिबगंज :- 09/11/2019. "मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना" अल्लामा इक़बाल की जयंती आज..! उर्दू और फारसी के मशहूर शायर और प्रसिद्ध देशभक्ति ग़ज़ल "सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा" के रचयिता मोहम्मद इक़बाल मसऊदी की आज जयंती है. यह बड़ा संयोग है कि आज ही 09 नवम्बर को देश की सबसे बड़ी अदालत ने मंदिर-मस्जिद के मसले पर अपना फैसला सुनाया है. अदालतों के फैसलों में अमूमन यह होता है कि एक पक्ष को निराशा महसूस होती है. लेकिन, फैसले को स्वीकार कर लेना और दूसरे पक्ष के साथ सौहार्द बना कर रखना और मजहबी बैर से दूर रहना भी बड़े हिम्मत का काम है. 
          आज देश में धार्मिक मसले से जुड़ा एक बड़ा फैसला आया है तो सहसा अल्लामा इक़बाल भी याद आ गए. अल्लामा इक़बाल का जन्म 09 नवम्बर 1877 को अविभाजित भारत सियालकोट में हुआ था. वे एक प्रसिद्ध शायर और दार्शनिक थे. उनका निधन 21 अप्रैल 1938 को लाहौर में हुआ.
          "अल्लामा" का अर्थ है विद्वान. इक़बाल ने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से ग्रेजुएट करने के बाद कैम्ब्रिज, जर्मनी व म्यूनिख से दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की. 
           इक़बाल की "सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा" ग़ज़ल उर्दू भाषा में लिखी गयी देशप्रेम की ग़ज़ल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बनी, इसे आज भी देशभक्ति गीत के रूप में गाया जाता है. इसी प्रसिद्ध गीत का हिस्सा है....."मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
         हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा"
हालांकि, इकबाल बाद में जिन्ना से प्रभावित होकर पाकिस्तान के समर्थक बन गए. 
         लेकिन एक लेखक कवि या शायर के रूप में उनकी लिखी उपरोक्त पंक्तियां ही दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई को प्रतिबिंबित करती है कि, धार्मिक अन्तर्विरोधों के इस दौर में दुनिया में इंसानों का आपस में मिल कर रहना ही इंसानियत का सबसे बड़ा धर्म है.

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साहिबगंज:- 07/11/2019. 
मोदीकोला के निकट ऑटो दुर्घटना में छह घायल..! बरहड़वा :- बरहेट मुख्य सड़क पर मोदीकोला के निकट गुरूवार को एक ऑटो दुर्घटनाग्रस्त हो गयी..! सूत्रों के अनुसार बिना नम्बर की उक्त ऑटो बोरियो से केंदुआ आ रही थी..! इसी क्रम में मोदीकोला के निकट ढलान पर ऑटो अनियंत्रित होकर पलट गयी..! दुर्घटना में ऑटो पर सवार छह लोग घायल हो गए..! स्थानीय लोगों ने घायलों को बरहड़वा सी०एच०सी० पहुंचाया..! अस्पताल में दो व्यक्तियों को प्राथमिक उपचार के बाद घर जाने दिया जबकि गंभीर रूप से घायल बोरियो निवासी मो० अकमल अंसारी (17 वर्ष) मो० अकबर (60 वर्ष) तथा हरियाणा के निवासी मो० जाफर (60 वर्ष) एवं दुलारा बीवी (55 वर्ष) को बेहतर ईलाज के लिए बाहर रेफर कर दिया गया..! रांगा थाना पुलिस ने ऑटो को जब्त कर छानबीन की शुरू कर दी है..!

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साहिबगंज:- 07/11/2019.
सी०बी०आई० टीम ने कैंप कर लिया चिटफंड कंपनी की जानकारी..! साहेबगंज/बरहरवा :- संवाददाता विगत दिनों साहिबगंज जिला अंतर्गत धड़ल्ले से चलाए जा रहे चिटफंड कंपनी कि अचानक राशि की हेराफेरी करते हुए फरार हो जाने को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा रांची के द्वारा पतना प्रखंड कार्यालय परिसर में कैंप कर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के निरीक्षक अवधेश कुमार सुमन, उपनिरीक्षक अजय कुमार तिवारी व अन्य के द्वारा एईसी रियल्टी लिमिटेड ,होली एग्रोटेक, स्वास्तिक हॉर्टिकल्चर लिमिटेड, भारत कृषि समृद्धि, वेल्थ एग्रो लिमिटेड से संबंधित बरहरवा, साहिबगंज, बरहेट, पतना, उधवा व अन्य ब्रांच ऑफिस के एजेंट एवं निवेशकों से पूछताछ किया, कि अमुक कंपनी में निवेशकों के द्वारा कितनी राशि जमा की गई है ,और कितने गरीबों का राशि लेकर उक्त चिटफंड कंपनी फरार हुई है |इस दौरान निवेशकों के डाक्यूमेंट्स को भी सीबीआई टीम ने जमा कर लिए |पत्रकारों से हुई वार्तालाप के दौरान सीबीआई टीम ने बताया कि निवेशकों के द्वारा जमा लिए गया डॉक्यूमेंटस से पता चलता है कि कितनी राशि उक्त फर्जी कंपनी के द्वारा अवैध रूप से उगाही कर फरार हुआ है, जिस पर हाईकोर्ट में लंबित मामले के आधार पर उक्त राशि को संबंधित कंपनी संचालक से उगाही कर निवेशकों को वापस किया जाएगा |वहीं गुरुवार को ऐईसी और होली एग्रो टेक कंपनी से संबंधित जानकारियां सीबीआई टीम के द्वारा लिया गया |वहीं सूत्र बताते हैं कि सीबीआई की टीम और तीन दिनों तक पतना प्रखंड कार्यालय परिसर में रहकर क्षेत्र से अवैध उगाही की फर्जी कंपनियों की जानकारियां प्राप्त करेंगे..! 

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साहिबगंज :- 06/11/2019.
एन०एच० 80 पर बोलेरो पलटा, तीन गंभीर रूप से घायल..! साहिबगज/बरहड़वा :- रांगा थाना क्षेत्र अन्तर्गत बरहड़वा राजमहल एन०एच० 80 पर रक्सो बांध के निकट बुधवार को एक बोलेरो (बीआर11एच 3088) दुर्घटनाग्रस्त होकर पलट गयी। इस दुर्घटना में उक्त बोलेरो पर सवार तीन यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए हैं । घटना के बाद स्थानीय लोगों की मदद से तीनों यात्रियों को सीएचसी बरहड़वा पहुंचाया गया। मौके पर मौजूद प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ सरिता टुडू ने प्राथमिक इलाज कर तीनों घायलों को बेहतर इलाज हेतु रेफर कर दिया। दुर्घटना में घायल सभी थाना लोग रांगा थाना क्षेत्र के केन्दुआ के निवासी हैं. घायल व्यक्ति दिलीप साह(40), विकास साह (30) व पोदा साह(40)  केन्दुआ से बोलेरो को भाड़े में लेकर तिलक कार्यक्रम में शामिल होने बिहार जा रहे थे । घायलों के अनुसार बोलेरो का चालक काफी तेज रफ्तार से गाड़ी रहा था। दुर्घटना के बाद चालक गाड़ी छोड़ कर फरार हो गया । दुर्घटना की सूचना पुलिस को मिलने पर पुलिस ने दुर्घटना स्थल से बोलेरो को जब्त कर लिया है और मामले की छानबीन कर रही है..!

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साहिबगंज/बरहड़वा :- 05/11/2019. 
टेम्पो दुर्घटना में दो घायल..! रांगा थाना क्षेत्र में बरहड़वा-बरहेट मार्ग पर बोरना पहाड़ ढलान में मंगलवार को बरहेट की ओर जा रही एक टेम्पो अनियंत्रित होकर पलट गयी । इस दुर्घटना में एक यात्री गंभीर रुप से घायल हो गया. घायल व्यक्ति बरहेट थाना के बरमसिया निवासी दुखिया टुडू(35) को कमर व सिर पर गंभीर चोटें लगा है वहीं भोजाय हांसदा (30) को चोट लगी है. घायलों को राहगीरों ने 108 में फोन कर एम्बुलेंस की सहायता से सीएचसी बरहड़वा पहुंचाया जहां मौके पर मौजूद डॉ के के सिंह ने प्राथमिक इलाज कर बेहतर इलाज हेतू दुखिया टुडू को अन्यत्र रेफर कर दिया । रांगा थाना की पुलिस मामले की छानबीन कर रही है ।

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साहिबगंज :- 05/11/2019. आजसू में शामिल हो सकते हैं अकील अख्तर..! पाकुड़ विधान सभा के पूर्व विधायक अकील अख्तर आजसू में शामिल हो सकते हैं. इस संबंध में पूरे विधानसभा क्षेत्र में चर्चा आम हो चला है. सूत्रों के अनुसार पूर्व विधायक अकील अख्तर इस समय रांची में अपमे समर्थकों के साथ जमे हुए हैं. माना जा रहा है कि झारखंड में यूपीए के प्रमुख घटक दलों कांग्रेस, जेएमएम एवं राजद के बीच तालमेल होने के कारण पाकुड़ विधानसभा में इस बार कांग्रेस व जेएमएम के बीच दोस्ताना संघर्ष की संभावनाएं कम दिख रही है. लोकसभा चुनाव के समय भी अकील अख्तर के समर्थकों ने इसी मुद्दे को लेकर हेमन्त सोरेन के समक्ष विरोध भी जताया था. 
लोकसभा चुनाव में राजमहल सीट के जेएमएम प्रत्याशी को पाकुड़ के निवर्तमान विधायक आलमगीर आलम ने भी समर्थन दिया था. ऐसे में आलमगीर आलम भी चाहेंगे कि उनकी सीट पर जेएमएम प्रत्याशी न दें. 
सूत्रों का कहना है कि अकील अख्तर हर हाल में चुनाव लड़ने को तैयार हैं. ऐसे में एनडीए के घटक दल के रूप में आजसू उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. 
भाजपा पिछले 15 वर्षों से पाकुड़ विधानसभा में जीत हासिल नहीं कर पायी है. 2014 के चुनाव में भी भाजपा पाकुड़ सीट पर तीसरे नम्बर पर थी. पाकुड़ विधानसभा सीट में मुस्लिम आबादी करीब 57 फीसदी है. पाकुड़ प्रखंड में मुस्लिम आबादी 64 फीसदी तथा बरहड़वा प्रखंड में करीब 53 फीसदी मुस्लिम आबादी है. इस कारण माना जा रहा है कि भाजपा पाकुड़ सीट पर अपने प्रमुख सहयोगी के साथ तालमेल कर सकती है..!

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